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1331 यजमानों ने किया सवा लाख पार्थिव शिवलिंगों का पूजन

श्री हरिहर महोत्सव में चल रहे श्री अतिरुद्र सहस्रचंडी पाठ के समापन पर 1331 यजमानों ने सवा लाख पार्थिव शिवलिंगों का पूजन किया।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Tue, 20 Nov 2018 11:30 AM (IST)Updated: Tue, 20 Nov 2018 11:30 AM (IST)
1331 यजमानों ने किया सवा लाख पार्थिव शिवलिंगों का पूजन
1331 यजमानों ने किया सवा लाख पार्थिव शिवलिंगों का पूजन

हल्द्वानी, जेएनएन :  श्री हरिहर महोत्सव में चल रहे श्री अतिरुद्र सहस्रचंडी पाठ के समापन पर 1331 यजमानों ने सवा लाख पार्थिव शिवलिंगों का पूजन किया। वैदिक मंत्रोचारण के साथ भगवान शिव का जलाभिषेक किया गया। नगर की सुख, शांति व समृद्धि के लिए भगवान से प्रार्थना की गई। शाम को साध्वी ऋतंभरा ने श्रद्धालुओं को श्रीमद् भागवत कथा के प्रसंग सुनाए।

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सोमवार को रामलीला मैदान में 13 नवंबर से आरंभ हुए श्री अतिरुद्र सहस्रचंडी पाठ एवं भागवत कथा का विधि विधान के साथ पूजन के बाद समापन किया गया। महोत्सव के आयोजन हरि शरणम जन प्रमुख रामगोविंद दास भाईजी ने भगवान की भोग आरती उतारी। इसके बाद कथा के अंतिम दिन प्रवचन देते हुए साध्वी ने कहा कि हम यदि छुआछूत और ऊंच-नीच की भावना से मुक्त हो सकें तो इस देश की मजबूती और आभा को नया पड़ाव मिल सकेगा। भारत ने विश्व को अध्यात्म का जो आधार दिया हम उसको दोबारा उसके गौरवशाली रूप में देख सकेंगे।

उन्होंने कहा कि सारे विश्व के अंदर एक प्यास है और कहीं न कहीं वह प्यास भारत के विचारों से तृप्त होती है। हमारे देश की समृद्धि व सफलता महात्वपूर्ण है। अगर भारतीयों के हृदय में कोई प्रेरक शक्ति रही है तो वह राष्ट्रवाद ही रही है। राष्ट्र और उसके हित सर्वोपरि हैं। साध्वी ने कहा कि हम यह सोचे की मेरा देश पहले है, समाज पहले है और मेरे राष्ट्र के प्रति मेरे उत्तरदायित्व सबसे पहले हैं। आज दिखावे के इस वातावरण में हमने अपनी सहजता को खो दिया है।

चलो रे मन श्री वृंदावन धाम

सोमवार को हरिहर महोत्सव में भजन संध्या में भगवान खाटू श्याम का जन्मोत्सव मनाया गया। महोत्सव के अंतिम दिन भजन गायक चित्र-विचित्र ने चलो रे मन श्री वृंदावन धाम, मिलेंगे कुंज बिहारी..काली कमली वाला मेरा यार है..जैसे भजन सुनाकर श्रद्धालुओं को भावविभोर किया। राधाकृष्ण के मोहक भजनों के जरिये भक्तों को वृंदावन की संगीतमयी यात्रा करवाई गई।

भगवान शालीग्राम व तुलसी का हुआ विवाह

देवोत्थान एकादशी पर भगवान शालीग्राम और तुलसी का विवाह कराया गया। इसके साथ ही विवाह आदि मंगल कार्यों की शुरूआत हो गई। लोगों ने घरों में धूप, दीप दर्शा कर तुलसी मां का पूजन किया।

सोमवार को कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष एकादशी को देवोत्थान एकादशी का पर्व भक्तिभाव से मनाया गया। घरों में पूजन के साथ ही आतिशबाजी की गई। रामलीला मैदान स्थित श्री राममंदिर में महंत विवेक शर्मा ने श्रद्धालुओं के साथ तुलसी पूजन किया। उन्होंने बताया कि चार महीने तक शयन करने के बाद सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु देवोत्थान एकादशी को जागते हैं। इस दिन विष्णु के प्रतीक स्वरूप शालीग्राम का विवाह तुलसी से कराया जाता है। सनातन धर्म की मान्यताओं के अनुसार देवोत्थान एकादशी से ही मंगल कार्यों की शुरूआत होगी। जिसमें विवाह, नामकरण संस्कार, यज्ञोपवीत एवं गृहप्रवेश जैसे कार्य किए जा सकेंगे।


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