एक माह का बिजली बिल एक लाख से अधिक, जीएम जल विद्युत निगम ने जमा किए सिर्फ 425 रुपये NAINITAL NEWS
उत्तराखंड में ऊर्जा निगम पर बिजली घोटाले का मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है। विभागीय कर्मचारी व अधिकारियों द्वारा राज्य में किये जा रहे इस घोटाले के खिलाफ जनहित याचिका दाखिल
By Skand ShuklaEdited By: Published: Wed, 24 Jul 2019 05:26 PM (IST)Updated: Thu, 25 Jul 2019 10:04 AM (IST)
नैनीताल, जेएनएन : उत्तराखंड में ऊर्जा निगम पर बिजली घोटाले का मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है। विभागीय कर्मचारी व अधिकारियों द्वारा राज्य में किये जा रहे इस घोटाले के खिलाफ जनहित याचिका दाखिल हुई है। कोर्ट ने पूरे मामले पर सुनवाई करते हुए उत्तराखण्ड पाॅवर कारपोरेशन, जल विद्युत निगम समेत अन्य पक्षकारों को नोटिस जारी किया है। हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि दो हफ्तों के भीतर अपना जवाब शपथ पत्र के साथ कोर्ट में दाखिल करें।
आरटीआइ क्लब देहरादून ने जनहित याचिका दाखिल कर राज्य में लगातार बढाए जा रहे बिजली के शुल्क को चुनौती दी है। साथ ही कहा गया है कि विभाग ने खुद के लिये उच्च अधिकारियों व छोटे कर्मचारियों के लिये बिजली बिल का शुल्क 100 से 500 रुपये तय किये हैं। याचिका में कहा गया है कि जीएम जल विद्युत निगम द्वारा एक माह में 92 हजार यूनिट बिजली खर्च की गई, जिसका बिल एक लाख से अधिक था मगर उन्होंने सिर्फ 425 रुपये ही जमा किये ,क्योंकि वो विभाग के अधिकारी हैं। याचिका में कहा गया है कि बिजली विभाग के अधिकारी कितनी ही बिजली जलाएं मगर बिल 100 रुपये ही आता है इतना ही नहीं बल्कि इन अधिकारियों व कर्मचारियों के वहां जो मीटर लगे हैं या तो व खराब हैं या फिर हैं ही नहीं। याचिका में कहा गया है कि जो ये बिजली खर्च कर रहे हैं उसका पैंसा भी जनता से ही लिया जा रहा है। याचिका में इस तहर से चल रहे फर्जीवाड़े व बिजली घोटाले की उच्चस्तरीय जांच करने व इस घपले को बंद करने की मांग की है।
आरटीआइ क्लब देहरादून ने जनहित याचिका दाखिल कर राज्य में लगातार बढाए जा रहे बिजली के शुल्क को चुनौती दी है। साथ ही कहा गया है कि विभाग ने खुद के लिये उच्च अधिकारियों व छोटे कर्मचारियों के लिये बिजली बिल का शुल्क 100 से 500 रुपये तय किये हैं। याचिका में कहा गया है कि जीएम जल विद्युत निगम द्वारा एक माह में 92 हजार यूनिट बिजली खर्च की गई, जिसका बिल एक लाख से अधिक था मगर उन्होंने सिर्फ 425 रुपये ही जमा किये ,क्योंकि वो विभाग के अधिकारी हैं। याचिका में कहा गया है कि बिजली विभाग के अधिकारी कितनी ही बिजली जलाएं मगर बिल 100 रुपये ही आता है इतना ही नहीं बल्कि इन अधिकारियों व कर्मचारियों के वहां जो मीटर लगे हैं या तो व खराब हैं या फिर हैं ही नहीं। याचिका में कहा गया है कि जो ये बिजली खर्च कर रहे हैं उसका पैंसा भी जनता से ही लिया जा रहा है। याचिका में इस तहर से चल रहे फर्जीवाड़े व बिजली घोटाले की उच्चस्तरीय जांच करने व इस घपले को बंद करने की मांग की है।
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