कुंजवाल प्रकरण से उलझा संगठन का विस्तार
निकाय और लोक सभा चुनाव को लेकर भाजपा ने तैयारी शुरू कर दी है, लेकिन कांग्रेस अपने अंतर्कलह में ही उलझी हुई है।
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : निकाय चुनाव होने हैं। साथ ही लोकसभा चुनाव की तैयारी करनी है। समय बहुत कम रह गया है। जहां सत्तारूढ़ भाजपा ने हर स्तर पर कमर कस ली है, वहीं कांग्रेस अभी संगठन विस्तार में ही उलझी नजर आ रही है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि अल्मोड़ा में जिलाध्यक्ष पद पर हुई घोषणा विवादित हो गई थी। पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल के सख्त तेवर के बाद भी प्रदेश अध्यक्ष को अपना फैसला बदलना पड़ा था। इस प्रकरण के बाद से कांग्रेस पार्टी के भीतर मचा घमासान सामने आ गया, जिसके बाद से काफी दिनों तक अर्न्कलह को लेकर हलचल मची रही।
कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह के सामने संगठन को जल्दी से जल्दी खड़ा करने, दो-दो चुनावों की चुनौती है। संगठन विस्तार में जिस तरीके के बगावती सुर मुखर होते जा रहे हैं, उससे भी निपटना है। अल्मोड़ा में प्रदेश अध्यक्ष को जिस तरह अल्मोड़ा में जिलाध्यक्ष को बदलना पड़ा। आगे इस तरह की नौबत न आने पाए। इसे लेकर भी बेहद सतर्कता बरती जा रही है। इसके अलावा पिछले प्रदेश अध्यक्ष के समय 250 से अधिक पदाधिकारियों की लंबी-चौड़ी फौज भी तैयार हो गई थी। इसे भी नियंत्रित करना है। माना जा रहा है कि इस बार 100 से कम ही पदाधिकारी रहेंगे। इसके साथ ही 250 से अधिक ब्लॉक अध्यक्षों की घोषणा की जानी है। इन पदाधिकारियों की घोषणा कब होगी, फिलहाल स्पष्ट नहीं है। इस मामले में कांग्रेस के अंदर ही चर्चा है कि कुंजवाल प्रकरण की वजह से मामला और लंबित हो रहा है।