दूसरे दिन भी हड़ताल पर निजी अस्पताल संचालक, सरकारी अस्पतालों पर दबाव
निजी अस्पतालों की हड़ताल से सरकारी अस्पतालों पर मरीजों का दबाव बढ गया है।
जागरण संवाददाता, हल्द्वानी: निजी अस्पतालों की हड़ताल से सरकारी अस्पतालों पर मरीजों का दबाव बढ़ने लगा है। कुमाऊं के सबसे बड़े अस्पताल एसटीएच में भर्ती मरीजों की संख्या 495 पहुंच गई है। शनिवार को 80 नए मरीज एसटीएच में भर्ती किए गए।
प्राइवेट अस्पताल संचालक क्लीनिक इस्टेब्लिशमेंट एक्ट (सीईसी) का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि संशोधित एक्ट लागू किया जाए। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के बैनर तले शनिवार को दूसरे दिन निजी अस्पताल संचालकों हड़ताल पर रहे। इसके चलते एसटीएच व बेस अस्पताल में मरीजों की संख्या बढ़ी है। शनिवार को एसटीएच में सुबह के समय मरीजों का काफी दबाव रहा। हालांकि दोपहर में भीड़ कम हो गई। करीब 1200 मरीजों की ओपीडी हुई। जबकि कुमाऊं के विभिन्न स्थानों से आए 80 मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। अस्पताल प्रशासन की मानें तो मरीजों की संख्या और अधिक बढ़ने से स्थिति मुश्किल हो जाएगी। वहीं, बेस में 960 मरीजों की ओपीडी हुई। इधर, निजी अस्पतालों में ताले लटके रहे। पीछे हटने के मूड में नहीं हैं अस्पताल संचालक
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की अग्रसेन भवन में हुई बैठक में अस्पताल संचालकों ने कहा कि सरकार के मांग न मानने तक हड़ताल जारी रहेगी। कहा कि सरकार क्लीनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट या हेल्थ केयर इस्टेब्लिशमेंट एक्ट के प्रारूप में बदलाव करे। बैठक में अध्यक्ष डॉ. डीसी पंत, डॉ. अनिल अग्रवाल, डॉ. मोहन सती, डॉ. आरए केड़िया आदि मौजूद रहे। अस्पतालों को दिया है पर्याप्त समय
डीजी हेल्थ के मुताबिक सीईए लागू करने के लिए निजी अस्पतालों को आठ वर्षो का पर्याप्त समय दिया जा चुका है, लेकिन 2011 से अभी तक राज्य में निजी अस्पतालों ने एक्ट का पालन नहीं किया है। इस यंबंध में उच्च न्यायालय ने भी आदेश किए हैं। पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश के अलावा अन्य 10 राज्यों में क्लीनिकल इस्टेब्लिशमेंट एक्ट लागू है। ये हैं एक्ट की कुछ खास बातें
- अस्पताल आने वाले हर मरीज का इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड और मेडिकल हेल्थ रिकॉर्ड अस्पताल प्रशासन के पास सुरक्षित होना चाहिए।
- एक्ट मेटरनिटी होम्स, डिस्पेंसरी क्लिनिक्स, नर्सिग होम्स, एलोपैथी, होम्योपैथी और आयुर्वेदिक से जुड़ी स्वास्थ्य सेवाओं पर समान रूप से लागू होता है।
- प्रत्येक अस्पताल, क्लीनिक का रजिस्ट्रेशन जरूरी है। जिससे ये सुनिश्चित किया जा सके कि वह लोगों को न्यूनतम सुविधाएं और सेवाएं दे रहे हैं।
- एक्ट के तहत स्वास्थ्य सुविधा देने वाले संस्थानों का ये कर्तव्य है कि किसी रोगी के इमरजेंसी में पहुंचने पर उसको तत्काल स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया करवाएं।
- प्रत्येक अस्पताल अपनी सेवाओं की कीमत केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित सीमाओं के भीतर ही ले सकेंगे। स्वास्थ्य सुविधाओं के एवज में ली जा रही कीमत को अंग्रेजी और स्थानीय भाषा में चस्पा करना होगा।
- एक्ट से जुड़े प्रावधानों का उल्लंघन करने पर अस्पताल का रजिस्ट्रेशन रद्द से लेकर जुर्माने का प्रावधान है। पुलवामा घटना के बाद भी पीछे नहीं खींचे कदम
पूरा देश आतंकी हमले से स्तब्ध है। गमगीन व शोकाकुल चेहरों से देश में राष्ट्रीय शोक की लहर दौड़ रही है। ऐसे में निजी अस्पताल संचालक शोक से अलग अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर हैं। राज्य सरकार ने बजट सत्र स्थगित कर दिया। राज्य कर्मचारियों ने आंदोलन को श्रद्धांजलि का रूप दे दिया व तमाम संगठनों ने भी अपने कार्यक्रम स्थगित कर दिए, उसी समाज का अभिन्न हिस्सा माने जाने वाले डॉक्टर दो दिन से हड़ताल पर डटे हैं।