रुचि न लेने के कारण शोध प्रोजेक्ट में पिछड़े कुमाऊं विश्वविद्यालय के प्रोफेसर
कभी शोध कार्यों के लिए अग्रणी कुमाऊं विवि के प्रोफेसरों के पास चंद संस्थाओं के ही शोध प्रोजेक्ट रह गए हैं। शोध परियोजनाएं हासिल करने में रुचि नहीं दिखाने की वजह से विवि में अध्ययनरत हजारों छात्र प्रमाणिक ज्ञान से वंचित हो रहे हैं।
किशोर जोशी, नैनीताल। कभी शोध कार्यों के लिए अग्रणी कुमाऊं विवि के प्रोफेसरों के पास चंद संस्थाओं के ही शोध प्रोजेक्ट रह गए हैं। शोध परियोजनाएं हासिल करने में रुचि नहीं दिखाने की वजह से विवि में अध्ययनरत हजारों छात्र प्रमाणिक ज्ञान से वंचित हो रहे हैं। इससे विवि के वित्तीय स्रोत भी सिमट रहे हैं तो विवि के समाज उपयोगी शोध कार्यों पर बे्रक लग रहा है। शोध परियोजनाएं किसी भी विवि का आइना होती हैं। सेंट्रल काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रीयल रिसर्च, इंडियन काउंसिल ऑफ सोशल साइंस एंड रिसर्च, डीएसटी समेत देश की तमाम शोध को वित्तीय मदद देने वाली संस्थाओं के मंजूर चंद शोध प्रोजेक्ट की विवि में संचालित हो रहे हैं। विवि में करीब 350 प्रोफेसर कार्यरत हैं, लेकिन चंद प्राध्यापकों के अधीन शोध परियोजनाओं का क्रियान्वयन हो रहा है। यूजीसी रेगुलेशन-2016 में साफ उल्लेख है बिना प्राध्यापक की पदोन्नति के लिए रिसर्च प्रोजेक्ट जरूरी है, लेकिन यह प्रावधान भी कुमाऊं विवि के प्राध्यापकों की शोध को लेकर सुस्ती को नहीं तोड़ पा रहा है। निदेशक शोध प्रो. राजीव उपाध्याय ने भी माना कि विज्ञान संकाय के तमाम प्राध्यापकों के प्रोजेक्ट चल रहे हैं, जबकि अन्य संकायों के कम हैं। विवि में करीब 18 शोध परियोजनाएं संचालित हैं।
इन प्राध्यापकों के संचालित हैं शोध प्रोजेक्ट
भू विज्ञान विभाग-प्रो. संतोष कुमार, परियोजना लागत करीब 70 लाख व 35 लाख
डॉ. बहादुर सिंह कोटलिया-करीब 80 लाख व 35 लाख
रसायन विज्ञान विभाग
प्रो. नंदगोपाल साहू-प्रोजेक्ट लागत 1.90 करोड़ व करीब 35 लाख
भूगोल विभाग-प्रो जेएस रावत अल्मोड़ा-करीब 35 लाख
प्रो. पीसी तिवारी, भूगोल विभाग
डीएसबी जंतु विज्ञान विभाग-प्रो सतपाल सिंह बिष्ट-लागत करीब 35 लाख, 15 लाख व आठ लाख
बायोटेक विभाग-प्रो संतोष उपाध्याय-करीब 45 लाख
प्रो. ललित तिवारी वनस्पति विज्ञान विभाग-करीब 12 लाख
इसके अलावा प्रो. पीके गुप्ता, डॉ. रमेश चंद्रा, डॉ. नंदन सिंह बिष्टï, डॉ. बीना पाण्डे, प्रो. भगवान सिंह बिष्टï के अधीन भी शोध परियोजनाएं संचालित हैं। प्रो. डीके नौडिय़ाल, कुलपति के अनुसार प्राध्यापक शोध परियोजनाएं में रुचि बढ़ाएं, इसके लिए प्रयास जारी हैं। तमाम प्राध्यापकों द्वारा शोध प्रोजेक्ट तैयार कर भेजे गए हैं, जिनके जल्द मंजूर होने की उम्मीद है। प्राध्यापकों से इस दिशा में एक्टिव होने की अपेक्षा की गई है।
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