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कोरोनावायरस के कारण जापानी तकनीक से पाडली की पहाड़ी के मरम्मत का काम अधर में लटका

अल्मोड़ा-हल्द्वानी हाईवे स्थित अति संवेदनशील पाडली की पहाड़ी की जापानी तकनीक से मरम्मत अटक गई है।

By Edited By: Published: Fri, 10 Jul 2020 04:33 AM (IST)Updated: Fri, 10 Jul 2020 09:32 AM (IST)
कोरोनावायरस के कारण जापानी तकनीक से पाडली की पहाड़ी के मरम्मत का काम अधर में लटका
कोरोनावायरस के कारण जापानी तकनीक से पाडली की पहाड़ी के मरम्मत का काम अधर में लटका

गरमपानी, जेएनएन : अल्मोड़ा-हल्द्वानी हाईवे स्थित अति संवेदनशील पाडली की पहाड़ी में जापानी तकनीक से होने वाले सुरक्षात्मक कार्यों की अनुमति मिलने के बाद भी कोरोना संकट के कारण ब्रेक लगा हुआ है। जापानी विशेषज्ञों के भारत न पहुंच पाने से काम शुरू नहीं हो पा रहा है। हालाकि विभागीय अधिकारियों ने दावा किया है कि 14 जुलाई को होने वाली वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में तस्वीर साफ हो जाएगी और जल्द ही सुरक्षात्मक कार्य शुरू हो सकेंगे। 

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पाडली की खतरनाक  पहाड़ी के इलाज के लिए जापान व भारतीय के इंजीनियर व एनएच अधिकारियों की कई दौर की बैठकों के बाद मामला अंतिम चरण में पहुंच गया था। मार्च के अंतिम सप्ताह में कार्य भी शुरू होना था कि ऐन वक्त पर कोरोना संकट ने इस पर ब्रेक लगा दिया। बीते तीन जुलाई को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जापानी विशेषज्ञों से संपर्क साधा गया। अब 14 जुलाई को फिर जापानी विशेषज्ञों के साथ भारतीय विशेषज्ञ व एनएच के अधिकारी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आगे का रोडमैप तैयार करेंगे। 

हालांकि जापानी विशेषज्ञों ने खुद की निगरानी में ही कार्य कराने की बात कही है। इधर टास्क टीम इंचार्ज उमेश जोशी ने भी दावा किया है कि जल्द ही कार्य शुरू कर दिया जाएगा। पहाड़ी पर सुरक्षात्मक कार्यो के लिए अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरी उतर चुकी एक कंपनी से करार भी हो चुका है। अब पहाड़ी के उपचार की शुरुआत होनी शेष है। करीब 17 करोड रुपये की लागत से पाडली की पहाड़ी को नया रूप दिया जाएगा। 

हाईटेक तकनीक का मॉडल बनेगी पहाड़ी 

पाडली की पहाड़ी से खतरा टालने को तीन चरणों में कार्य होगा। पहले चरण में पहाड़ी पर सीमेंट की जालनुमा चट्टान तैयार की जाएगी। दूसरे चरण में पहाड़ी पर मजबूत चट्टान तक करीब 40 से 50 मीटर गहराई तक लोहे के एंगल फिट होंगे। अंतिम चरण में सुरक्षा दीवार व तेजी से फैलने वाली घास व पौधों का रोपण किया जाएगा, ताकि पहाड़ी को दोबारा प्राकृतिक रूप दिया जा सके। डीएफओ रानीखेत व टास्क टीम इंचार्ज पाडली उमेश जोशी का कहना है कि लगातार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जापानी विशेषज्ञ से संपर्क साधा जा रहा है। 14 जुलाई को होने वाली बैठक में रोडमैप तैयार कर लिया जाएगा। उम्मीद है कि जल्द पहाड़ी पर सुरक्षात्मक कार्य शुरू होगा। 

बारिश में और खतरनाक हो जाती है पहाड़ी

बारिश के दिनों में पाडली की पहाड़ी और खतरनाक हो जाती है। पहाड़ी से मलबा आने के कारण हाईवे अक्सर ब्लॉक हो जाता है। ऐसे में जनहानि का भी खतरा बना रहता है। उम्मीद थी कि इस बार मरम्मत होने से खतरा कम हो जाएगा। लेकिन कोरोना वायरस से मरम्मत के काम को भी असमंजस में डाल दिया है।  

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