नैनी झील व सूखाताल झील का पहली बार ड्रोन सर्वे, आइआइटी रुड़की की सलाह पर प्रोजेक्ट में किए बदलाव
जिला विकास प्राधिकरण के माध्यम से सूखाताल पुनर्जीवित करने के लिए 27 करोड़ का प्रोजेक्ट निर्माणाधीन है। इसमें झील के अलावा झील के चारों ओर पाथवे लकड़ी की रैलिंग के अलावा स्थानीय उत्पादों की बिक्री के लिए दुकानें बनाना भी प्रस्तावित है।
किशोर जोशी, नैनीताल। मूसलधार बारिश के चलते अर्से बाद सूखाताल झील अस्तित्व में आ गई तो पहली बार कुमाऊं मंडल विकास निगम ने सूखाताल के साथ ही नैनी झील का भी ड्रोन सर्वे कराया। कार्यदायी संस्था निगम ने आइआइटी रुड़की के विशेषज्ञों की सलाह पर सूखाताल झील को पुनर्जीवित करने के प्रोजेक्ट में बदलाव किया है।
कृत्रिम झील से टनलनुमा पाइप के माध्यम से पानी की निकासी की तकनीकी का प्रयोग करने की योजना है। जिला विकास प्राधिकरण के माध्यम से सूखाताल पुनर्जीवित करने के लिए 27 करोड़ का प्रोजेक्ट निर्माणाधीन है। इसमें झील के अलावा झील के चारों ओर पाथवे, लकड़ी की रैलिंग के अलावा स्थानीय उत्पादों की बिक्री के लिए दुकानें बनाना भी प्रस्तावित है। दरअसल, तत्कालीन कमिश्नर अरविंद ह्यांकी की अध्यक्षता में सिविल सोसाइटी के साथ कार्यदायी संस्था केएमवीएन के अधिकारियों की बैठक हुई। इस झील को लेकर लंबे समय से संघर्षरत प्रो. अजय रावत ने प्रोजेक्ट में बदलाव को लेकर सुझाव दिए थे। सिविल सोसाइटी के सुझाव पर केएमवीएन ने आइआइटी विशेषज्ञों से फिर से अध्ययन कराया, जिसकी रिपोर्ट मिल चुकी है।
जियो सिंथैटिक प्ले लाइनर से बनेगा झील का भूतल
केएमवीएन के जीएम एपी बाजपेयी के अनुसार आइआइटी रुड़की की रिपोर्ट के आधार पर प्रोजेक्ट में बदलाव किया गया है। सूखाताल झील कैचमेंट का क्षेत्रफल सात लाख 40 वर्गमीटर है, जो नैनी झील को रिचार्ज करता है। जबकि कृत्रिम झील दस हजार वर्ग मीटर में बन रही है, जो कुल कैचमेंट का मात्र 1.4 प्रतिशत है। इससे नैनी लेक में फर्क नहीं पड़ेगा। इसको देखते हुए तालाब का तला कंक्रीट के बजाय जियो सिंथैटिक प्ले लाइनर से बनाया जाएगा। यह बायो डिग्रेडेबल या समय पर गलने वाला होगा। देश में यह तकनीक कई कृत्रिम झीलों में प्रयुक्त की गई है।
चिल्ड्रन पार्क की भी होगी खोदाई
निगम के जीएम के अनुसार सूखाताल में बड़ी लेक का क्षेत्रफल दस हजार वर्ग मीटर जबकि छोटी का 1200 वर्ग मीटर होगा। दोनों झीलों का लिंक किया जाएगा। इसके लिए स्पिल वे या लकड़ी का ढांचा बनाया जाएगा। इसके लिए चिल्ड्रन पार्क के लिए प्रस्तावित स्थान पर भी खोदाई की जाएगी।
पांच सौ मीटर तक बिछेगा टनलनुमा पाइप
आपदा की दृष्टि से झील से पांच सौ मीटर दूर तक टनलनुमा पाइप लगाया जाएगा, जो ट्रेंच लैस तकनीकी पर आधारित होगा। दोनों झील भरेंगी तो ऑटोमेटिक ही ओवरफ्लो होने से पहले पानी टनलनुमा पाइप से निकासी हो जाएगी। इस पाइप को चीनाबाबा तिराहे के समीप के नाले में छोड़ दिया जाएगा। यह पानी फिर नाले से नैनी झील में जाएगा। फिलहाल प्रोजेक्ट का 30 फीसद काम पूरा हो चुका है, मार्च तक इसे पूरा किया जाएगा।