डॉ. मनमोहन सिंह चौहान बने गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विवि के कुलपति
गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विवि (Govind Ballabh Pant University uttarakhand) को नए कुलपति मिल गए हैं। नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीट्यूट करनाल हरियाणा के निदेशक डॉक्टर मनमोहन सिंह चौहान पंत विवि के वीसी बनाए गए हैं। यह आदेश देहरादून राजभवन से जारी हो चुका है।
रुद्रपुर, जागरण संवाददाता : नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीट्यूट करनाल, हरियाणा के निदेशक डॉक्टर मनमोहन सिंह चौहान (Dr Manmohan Singh Chauhan) गोविंद बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विवि (Govind Ballabh Pant University uttarakhand) के कुलपति (Vice Chancellor) बनाए गए हैं। यह आदेश देहरादून राजभवन से जारी हो चुका है। उनकी नियुक्ति तीन साल के लिए की गई है। स्थायी कुलपति मिलने से विवि के रुके हुए कामों में आने की संभावना है।
वर्तमान में पन्त विवि के कार्यवाहक कुलपति डॉक्टर एके शुक्ला हैं। इससे पहले डॉक्टर तेज प्रताप सिंह की तीन साल के लिए स्थायी नियुक्ति हुई थी। तीन साल के बाद स्थायी कुलपति की नियुक्ति नहीं हो सकी तो डॉक्टर तेज प्रताप का कार्यकाल छह माह के लिए बढा दिया गया था। इसके बाद विवि के कुलसचिव डॉक्टर एके शुक्ला को कार्यवाहक कुलपति बनाया गया।
डॉक्टर एके शुक्ला को कार्यवाहक कुलपति बनने के बाद से विवि के हितों से जुड़े अहम फैसले नहीं लिए जा पा रहे थे। शिक्षा सहित कई कार्य प्रभावित हो रहे थे। डॉक्टर मनमोहन सिंह चौहान इंडियन वैटनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट में उच्च पद पर रह चुके हैं।
ऐसे में नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीट्यूट करनाल व वैटनरी इंस्टीट्यूट के अनुभव का लाभ विवि के साथ उत्तराखंड के विकास में मिल सकता है। स्थायी नियुक्ति होने से शिक्षण, रिसर्च, नियुक्ति सहित कई अहम फैसले लिए जा सकते हैं। स्थायी नियुक्ति से विवि का स्टाफ उत्साहित है।
डॉ. चैहान की झोली में हैं सैकड़ों उपलब्धियां
- डॉ. चैहान भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी, राष्ट्रीय कृषि विज्ञान अकादमी राष्ट्रीय डेयरी विज्ञान अकादमी व सोसाइटी ऑफ एक्सटेंशन एजुकेशन के फेलो हैं।
- 1999 में यूएसए व 2009 में जर्मनी का दौरा करने वाले डॉ. चैहान को आईसीएआर से 2015 में रफी अहमद किदवई पुरस्कार
- 2020 में डॉ. पी. भट्टाचार्य मेमोरियल अवॉर्ड
- 2019 में राव बहादुर बी विश्वनाथ पुरस्कार, कृषि विज्ञान में वास्विक औद्योगिक पुरस्कार
- 2015 में पशु विज्ञान में आईसीएआर-टीम पुरस्कार
- डॉ. लाभसेटवार पुरस्कार
- डीबीटी बायोटेक्नोलॉजी ओवरसीज फेलोशिप अवार्ड
- 1997 में डेयरी साइंस में अनुकरणीय अनुसंधान पुरस्कार
- 2009 में यूरोपीय इरास्मस मुंडस छात्रवृत्ति पुरस्कार मिले हैं।
डॉक्टर मनमोहन सिंह चौहान एनएएएस अकादमी के कार्यकारी परिषद सदस्य रहे हैं। भारत के दो डीजी आईसीएआर से प्रशंसा पत्र प्राप्त किए हैं। उन्होंने एनडीआरआई करनाल में 12वीं एनएएएस कांग्रेस सहित चार सम्मेलन (दो राष्ट्रीय व दो अंतर्राष्ट्रीय) आयोजित किए हैं।