राष्ट्रीय मुद्दों पर राजनीति से हटकर हो चिंतन
आरएसएस के अनुषांगिक संगठन अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद की बैठक में वक्ताओं ने रखे अपने विचार।
By Edited By: Published: Fri, 21 Sep 2018 07:40 PM (IST)Updated: Sat, 22 Sep 2018 08:22 AM (IST)
जागरण संवाददाता, नैनीताल : आरएसएस के अनुषांगिक संगठन अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद की बैठक में संगठनात्मक मसलों के साथ ही संगठन की भावी दिशा पर मंथन किया गया। इस दौरान जम्मू-कश्मीर में प्रभावी संविधान के अनुच्छेद-35 ए पर भी चर्चा हुई। शुक्रवार को पार्वती प्रेमा जगाती सरस्वती विहार में आयोजित बैठक में आरएसएस के प्रांत संघ चालक गजेंद्र सिंह संधू, क्षेत्रीय संगठन मंत्री सत्यप्रकाश, परिषद के प्रांतीय महामंत्री बृज सिंह, हाई कोई इकाई के अध्यक्ष संदीप टंडन, महामंत्री पंकज पुरोहित, जयप्रकाश, जीएस विर्क, जयवर्धन कांडपाल, सुयश पंत समेत अन्य शामिल हुए। तीन सत्रों में चर्चा हुई। प्रांत संघचालक ने आरएसएस की दिशा व संगठनात्मक संरचना के बारे में भी जानकारी दी गई। बौद्धिक सत्र में अधिवक्ताओं का आह्वान किया गया कि किस तरह सामाजिक मुद्दों पर प्रभावी तौर पर काम किया जा सकता है। न्यायिक क्षेत्र में बेहतर लोग कैसे आएं तथा पूरे अधिवक्ता समाज में राष्ट्रवाद की भावना का संचार हो, इसके लिए चिंतन किया गया। कहा गया कि जम्मू कश्मीर में संविधान का अनुच्छेद-35 ए 14 मई 1954 से प्रभावी है। मगर यह अनुच्छेद का संविधान की किसी किताब में उल्लेख नहीं मिलता। इसके तहत जम्मू कश्मीर विधान सभा को अधिकार है कि वह अपने नागरिक की परिभाषा तय करे। इस अनुच्छेद की वजह से देश के किसी राज्य का नागरिक ना जम्मू कश्मीर की नागरिकता ले सकता है और ना ही संपत्ति क्रय कर सकता है। इस अनुच्छेद को संसद में दो तिहाई बहुमत की सरकार ही बदल सकती है। इस मौके पर देश के समक्ष अन्य ज्वलंत कानूनी सवालों पर भी चर्चा की गई। बताया गया कि परिषद का राष्ट्रीय सम्मेलन 26 दिसंबर को लखनऊ में होगा। बैठक में परिषद से जुड़े 65 अधिवक्ता मौजूद थे।
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