डीएम ने सचिव स्वास्थ्य को पत्र लिखकर आशा कार्यकर्ताओं का मानदेय बढ़ाने की अपील की
लंबे समय से बिना मानदेय के काम कर रही आशा कार्यकर्ताओं को दो हजार रुपये मानदेय दिए जाने की घोषणा हुई लेकिन यह भी 1650 रुपये ही मिल रहा है। पिछले तीन महीने से यह राशि भी नहीं मिली।
हल्द्वानी, जेएनएन : लंबे समय से बिना मानदेय के काम कर रही आशा कार्यकर्ताओं को दो हजार रुपये मानदेय दिए जाने की घोषणा हुई, लेकिन यह भी 1650 रुपये ही मिल रहा है। पिछले तीन महीने से यह राशि भी नहीं मिली। जबकि कोरोना नियंत्रण को लेकर इनकी जिम्मेदारी बढ़ा दी है। इनके काम को देखते हुए अब डीएम सविन बंसल ने मंगलवार को स्वास्थ्य सचिव को पत्र भेजकर कहा है कि आशा कार्यकर्ताओं का मानदेय बढ़ाने की आवश्यकता है।
डीएम का कहना है कि कोविड-19 के नियंत्रण एवं बचाव कार्य में आशा कार्यकर्ताओं का भी महत्वपूर्ण योगदान है। जिले में ही 1000 आशा कार्यकर्ता, 1409 आंगनबाडी कार्यकर्ता व 1028 आंगनबाडी सहायिकायें हैं। इनका काम संदिग्ध व्यक्तियों को होम क्वारंटाइन कराना, स्क्रीनिंग में सहायता करना, स्वास्थ्य विभाग की टीम के साथ सहयोग करना है। इनके काम को देखते हुए इनका मानदेय कम प्रतीत हो रहा है। इसलिए इसे बढ़ाने पर विचार किया जाए।
लंबे समय से संघर्षरत हैं आशा कार्यकर्ता
आशा कार्यकर्ताओं को शहरी क्षेत्र में डिलीवरी कराने को 750 रुपये और ग्रामीण क्षेत्र में 600 रुपये मिलते हैं। इसके बाद 1650 रुपये मानदेय मिल रहा है, लेकिन तीन महीने से यह राशि भी नहीं मिली है। उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन के प्रदेश महामंत्री कैलाश पांडे का कहना है कि वर्तमान में लॉकडाउन के समय में इनका काम कई गुना बढ़ गया है। आशा कार्यकर्ताओं को काम करने में कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन इनका मानदेय 10 हजार रुपये कर दिया जाए। इसकी मांग लंबे समय से की जा रही है।
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