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पिथौरागढ़ के मिताड़ी गांव में लगेगी जिले की पहली गोमूत्र अर्क उत्पादन यूनिट, ग्रामीणों को मिलेगा रोजगार

विकास विभाग ने जिले में एक गोमूत्र अर्क उत्पादन एवं संग्रहण केंद्र बनाने का प्रस्ताव बार्डर एरिया डेवलपमेंट प्रोग्राम (बीएडीपी) के तहत केंद्र सरकार को प्रेषित किया था। जिसे केंद्र सरकार ने स्वीकृति दे दी है। इसकेलिए पांच लाख की धनराशि स्वीकृत की गई है।

By Prashant MishraEdited By: Published: Thu, 17 Jun 2021 11:24 PM (IST)Updated: Thu, 17 Jun 2021 11:24 PM (IST)
पिथौरागढ़ के मिताड़ी गांव में लगेगी जिले की पहली गोमूत्र अर्क उत्पादन यूनिट, ग्रामीणों को मिलेगा रोजगार
गांवों से गोमूत्र का संकलन कर इसका अर्क निकालने के बाद इसे बाजार में लाया जाएगा।

जागरण संवाददाता, पिथौरागढ़ : तमाम बीमारियों के उपचार में रामबाण साबित हो रहे गोमूत्र के जरिए जिले के लोगों को रोजगार देेने की कवायद शुरू हो गई है। इसके लिए जिले के मिताड़ीगांव में जिले की पहली गोमूत्र अर्क उत्पादन यूनिट लगाई जा रही है। केंद्र सरकार ने इस यूनिट के लिए पांच लाख की धनराशि जिले को दी है।

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सीमांत जिले पिथौरागढ़ में बड़ी संख्या में गो पालन होता है। गोमूत्र की देश के बाजार में भारी मांग है। इसमें उत्तराखंड के पहाड़ी जिलों में मिलने वाली बद्री गाय के गोमूत्र की मांग ज्यादा है। गोमूत्र का अर्क निकालकर विभिन्न कंपनियां अपने उत्पाद बाजार में बेच रही हैं। इसके जरिए जिले के लोगों को रोजगार देने के प्रयास लंबे समय से चल रहे थे। विकास विभाग ने जिले में एक गोमूत्र अर्क उत्पादन एवं संग्रहण केंद्र बनाने का प्रस्ताव बार्डर एरिया डेवलपमेंट प्रोग्राम(बीएडीपी)के तहत केंद्र सरकार को प्रेषित किया था। जिसे केंद्र सरकार ने स्वीकृति दे दी है। इसकेलिए पांच लाख की धनराशि स्वीकृत की गई है। केंद्र कनालीछीना विकास खंड के मिताड़ी गांव में बनाया जाएगा। आस-पास के गांवों से गोमूत्र का संकलन कर इसका अर्क निकालने के बाद इसे बाजार में लाया जाएगा।

सीडीओ गोपल गिरी का कहना है कि कनालीछीना विकास खंड के मिताड़ीगांव में गोमूत्र अर्क एवं संग्रहण केंद्र खोला जा रहा है। इसके लिए बीएडीपी योजना के तहत पांच लाख की धनराशि प्राप्त हुई है। केंद्र स्थापित हो जाने के बाद आस-पास के ग्रामीणों को रोजगार के अवसर मिलेंगे। इस तरह की यूनिट लगने से गो पालन में बढ़ोतरी होगी। आम लोगों काे इसका फायदा मिलेगा। इस प्रकार से गोपालकों के साथ ही ग्रामीणों को रोजगार भी मिलेगा। अभी तक गोमूत्र को किसी आय के साधन के रूप में प्रयोग नहीं किया जाता था। थोड़ा बहुत ऑर्गेनिक खेती करने वाले लोग पेस्टीसाइड के रूप में प्रयोग करते थे। पर अब व्यवसायिक रूप से उपयोग होने से इस क्षेत्र में क्रांति आएगी।

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