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हनुमान जयंती : सर्वार्थसिद्धि व आनंद योग में मनाया जा रहा बजरंगबली का प्राकट्योत्सव

श्रीराम भक्त हनुमान का प्राकट्योत्सव बुधवार चित्रा नक्षत्र व चैत्र पूर्णिमा के योग में मनाया जा रहा है। त्रेता युग में पूर्णिमा पर चित्रा नक्षत्र में केसरी नंदन का जन्म हुआ था ।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Wed, 08 Apr 2020 12:17 PM (IST)Updated: Wed, 08 Apr 2020 12:17 PM (IST)
हनुमान जयंती : सर्वार्थसिद्धि व आनंद योग में मनाया जा रहा बजरंगबली का प्राकट्योत्सव
हनुमान जयंती : सर्वार्थसिद्धि व आनंद योग में मनाया जा रहा बजरंगबली का प्राकट्योत्सव

हल्द्वानी, जेएनएन : श्रीराम भक्त हनुमान का प्राकट्योत्सव बुधवार, चित्रा नक्षत्र व चैत्र पूर्णिमा के योग में मनाया जा रहा है। त्रेता युग में पूर्णिमा पर चित्रा नक्षत्र में केसरी नंदन का जन्म हुआ था । चित्रा नक्षत्र व संयोगवश बुधवार होने पर आनंद और सर्वार्थ सिद्धि योग है। कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए लॉकडाउन के चलते श्रद्धालु हनुमान जी का पूजन घरों में ही रहकर कर रहे हैं। मंदिरों में सिर्फ पुजारी ने ही पूजन किया। पंडितों का कहना है कि राम भक्त हनुमान का पूजन पूरी श्रद्धा और शुद्धता से करने पर रोगों का नाश होता है। इसका उल्लेख हनुमान चालीसा नासे रोग हरे सब पीरा, जपत निरंतर हनुमत वीरा में भी है। श्री महादेव गिरी संस्कृत महाविद्यालय हल्द्वानी के प्राचार्य डॉ. नवीन चंद्र जोशी का कहना है कि पूर्णिमा तिथि मंगलवार की दोपहर में प्रारंभ होकर बुधवार दोपहर तक रहेगी। बुधवार सुबह पौने सात बजे तक हस्त नक्षत्र रहा, जबकि इसके बाद चित्रा नक्षत्र शुरू हो गगा। जो अति अतिशुभकारी है।

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हनुमान चालीसा, हनुमानाष्टक का करें पाठ

डॉ. नवीन जोशी का कहना है कि अानंद योग के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग भी सूर्योदय से देर रात तक रहेगा। लॉकडाउन के कारण सभी के पास पर्याप्त समय है, इसलिए समय का सदुपयोग कर सुंदरकांड, बजरंग बाण, हनुमानाष्टक, हनुमान चालीसा और राम रक्षा स्त्रोत का पाठ किया जा सकता है। हनुमान जी की पूजा ब्रह्म मुहूर्त से लेकर दोपहर 12 बजे तक की अवधि में करना श्रेष्ठ माना जाता है। 108 बार हनुमान चालीसा का पाठ करने से विशेष लाभ होगा।

कुछ न हो तो सिंदूर चढ़ाएं

श्रद्धालुओं को घरों में ही उपलब्ध साधनों से हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए। पूजा में वस्तुओं का नहीं श्रद्धा व भाव का महत्व है। कुछ न मिले तो घर में रखा सिंदूर चढ़ाएं और जनेऊ पहना कर राम नाम का जाप करें। हनुमान जी को सिंदूर सबसे अधिक प्रिय है। घर पर पकवान बनाकर भोग लगाएं। खासतौर पर चूरमा व बेसन के लड्डू का भोग लगा सकते हैं। चने व श्रीफल का भोग लगाना भी उत्तम रहेगा।

शिव का रुद्रावतार हैं हनुमान

पंडित मुकेश तिवारी के मुताबिक हनुमानजी को भगवान शिव का 11वां रुद्रावतार माना जाता है। इस दिन बालव योग, हस्त व चित्रा नक्षत्र का एक ही दिन होना भी शुभ फल का संकेत दे रहा है। हनुमान जी की पूजा-उपासना से बल-बुद्वि व साहस में वृद्धि होती है और एक नई ऊर्जा का संचार होता है।

चांदी का चोला धारण करेंगे पवन पुत्र

रामलीला मोहल्ला स्थित श्री संकट मोचन हनुमान मंदिर में सादगी पूर्वक पवन पुत्र का प्राकट्योत्सव मनाया गया। पुजारी पंडित विवेक शर्मा ने बताया कि बाबा को चांदी का चोला ओढ़ाया गया और फूलों से श्रृंगार किया गया। चूरमे व बेसन के लड्डू का भोग लगाया। सुबह 9 बजे पांच ब्राह्मणों ने सुंदरकांड का पाठ किया। मंदिर में भक्तों के आने पर पाबंदी है।


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