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मकर संक्रांति पर गार्गी के तट पर आस्था की डुबकी, चढ़ाई खिचड़ी

सूर्य देव के राशि परिवर्तन करने के पर्व मकर संक्रांति पर सैकड़ों श्रद्धालुओं ने गौला नदी में डुबकी लगाई।

By JagranEdited By: Published: Wed, 16 Jan 2019 07:30 AM (IST)Updated: Wed, 16 Jan 2019 07:30 AM (IST)
मकर संक्रांति पर गार्गी के तट पर आस्था की डुबकी, चढ़ाई खिचड़ी
मकर संक्रांति पर गार्गी के तट पर आस्था की डुबकी, चढ़ाई खिचड़ी

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी: सूर्य देव के राशि परिवर्तन करने के पर्व मकर संक्रांति पर सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालुओं ने मंगलवार को रानीबाग स्थित गार्गी (गौला) नदी के तट पर आस्था की डुबकी लगाई। सुबह के समय कड़ाके ठंड में जल में स्नान कर भगवान सूर्यदेव को अ‌र्घ्य दिया गया। मंदिरों में भगवान का पूजन कर खिचड़ी प्रसाद का भोग लगाया गया।

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मकर संक्रांति का स्नान करने के लिए तड़के चार बजे से ही लोग रानीबाग पहुंचने लगे थे। स्नान और पूजन के साथ ही परिजनों संग आए बालकों का यज्ञोपवीत संस्कार कराया। दिन चढ़ने के साथ ही नदी किनारे श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ती रही। स्नान के बाद रानीबाग के चित्ररेश्वर महादेव मंदिर और शनि देव मंदिर में लोगों ने पूजा की। परिसर में श्रद्धालुओं के लिए खिचड़ी कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें सैकड़ों की संख्या में पहुंचे क्षेत्रवासियों खिचड़ी का प्रसाद ग्रहण किया।

इस मौके पर शनि देव मंदिर के संस्थापक नरेश गुप्ता ने बताया कि मान्यता है कि मकर संक्रांति के दिन ही पवित्र गंगा नदी का धरती पर अवतरण हुआ था। समस्त नदियों को गंगा जैसा निर्मल और स्वच्छ बनाने के संकल्प के साथ आज गार्गी में स्नान के बाद खिचड़ी का प्रसाद बनाकर वितरित किया गया। उन्होंने बताया कि पिछले कई वर्षों से संक्रांति 14 जनवरी को पड़ती थी, लेकिन इस वर्ष 15 जनवरी का संयोग बना। इस अवसर पर नंदा डांगी, ऋषि कपूर, हेमंत, रोहित, सुधांशु, अतुल गुप्ता, आशीष गोयल, रवि गुप्ता बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे। जियारानी का आशीर्वाद लेकर लौटे कत्यूर वंशज

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी: मकर संक्रांति पर गढ़वाल और कुमाऊं के विभिन्न जिलों से अपनी कुलदेवी जियारानी का पूजन करने के लिए रानीबाग आए कत्यूरी वंशज मंगलवार तड़के गार्गी नदी में स्नान कर अपने घरों को लौटे। जगरियों और पुजारियों के साथ ढोल-दमौ और मशकबीन पर जियारानी के जागरों की धुन बजाते हुए कत्यूरी वंशज नदी किनारे पहुंचे। तट पर जियारानी के घाघरे की छाप वाली शिला का धूप, दीप और पुष्प अर्पण कर पूजन किया गया। परिवार के साथ कत्यूरी वंशजों ने गर्गी नदी में डुबकी लगाकर संक्रांति का स्नान किया। गढ़वाल के धूमाकोट, नैनीडांडा, पौड़ी और कुमाऊं के भिकियासैंण, चम्पावत, रानीखेत सहित आसपास के क्षेत्रों से अपने परिजनों के साथ कत्यूरी वंशज जत्थों में सोमवार को जियारानी का पूजन करने के लिए पहुंचे थे।


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