रुद्रपुर की महिलाओं ने आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ाए कदम, आनलाइन से चटका अचार का कारोबार
कोविड-19 के बाद कइयों के रोजगार छूट गए तो खुद का व्यापार भी ठप हो गया। ऊधमसिंहनगर जिले के संजय नगर की तीन महिलाओं के साथ भी यही हुआ तो उन्होंने अपने साथ ही अन्य महिलाओं को भी सशक्त बनाने की ठानी।
बृजेश पांडेय, रुद्रपुर : कोविड-19 के बाद कइयों के रोजगार छूट गए तो खुद का व्यापार भी ठप हो गया। ऊधमसिंहनगर जिले के संजय नगर की तीन महिलाओं के साथ भी यही हुआ तो उन्होंने अपने साथ ही अन्य महिलाओं को भी सशक्त बनाने की ठानी। 15 से अधिक वरायटी के अचार बनाने का काम शुरू किया। वर्तमान में 25-30 महिलाओं का एक समूह तैयार हो गया है, जो इस काम में जुट गई हैं। आनलाइन, होम डिलीवरी भी सुविधा इंटरनेट मीडिया के माध्यम से प्रचार-प्रसार कर रही हैं।
संजय नगर एवं भूतबंगला की महिलाओं ने आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ाए हें। उन्होंने कोविड के दौरान आपदा को अवसर के रूप में परिवर्तित कर दिया। देवभूमि एक पहल संस्था ने इन महिलाओं को रोजगार से जोडऩे के लिए प्रयास किया तो पूरी लगन से अचार के व्यापार की ओर कदम बढ़ाया, वर्तमान में 30 से अधिक महिलाएं नीबू, आम, मिक्स, अदरक, लहसुन आदि के घर के बने अचार तैयार कर रुद्रपुर के बाजार, लोकल में बेच रही थी।
प्रोडक्ट की मार्केटिंग के लिए धीरे-धीरे डिजिटल इंडिया की ओर कदम बढ़ाया। आनलाइन एवं आफलाइन बेचना शुरू किया। इंटरनेट मीडिया ने इनका बेहतर साथ दिया। इसके बाद सिर्फ स्थानीय ही नहीं बल्कि देहरादून, पिथौरागढ़, बागेश्वर, नैनीताल, ऊधमसिंह नगर जनपदों में यहां का बना अचार लोगों को खूब भा रहा है। हाल ही में संस्था को हरिद्वार से भी एक क्विंटल विभिन्न प्रकार के अचार का आर्डर मिला है। इससे जुड़ी महिलाओं को घर बैठे आमदनी हो रही है।
इन चीजों से बनाती हैं अचार
सीजन के हिसाब से अचार तैयार किया जाता है। इसमें आम, इमली, मिर्च, गाजर एवं मूली, गोभी, आंवला, करौंदा, लहसुन, अदरक, हल्दी, मिक्स, नीबू आदि।
प्रति किलो के हिसाब से महिलाओं को लाभ
वर्तमान में करीब 30 से अधिक महिलाएं अचार बनाती हैं। इन महिलाओं को प्रति किलो अचार का भुगतान संस्था करती हैं। इसमें 20 रुपये से लेकर 50 रुपये प्रति किलो तक दिया जाता है।
महिलाओं करते हैं प्रशिक्षित
देवभूमि एक पहल समिति, रुद्रपुर कोमल शर्मा ने बताया कि महिलाओं को आगे लाने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है। सामग्री संस्था खुद से लाती है, महिलाएं बनाती हैं। उन्हें अचार बनाने का प्रशिक्षण भी दिया जाता है, ताकि वह खुद से भी काम कर सकें।