सुनाई देता नहीं और बना दिया दिव्यांग का डीएल के लिए मेडिकल
ड्राइविंग लाइसेंस के लिए मेडिकल बनाने में ऐसी लापरवाही का मामला सामने आया है जो सुनने में तो बात छोटी लगती है, लेकिन आए दिन उसके दुष्परिणाम सामने आते रहते हैं। जानिए क्या है मामला।
नैनीताल (जेएनएन) : ड्राइविंग लाइसेंस के लिए मेडिकल बनाने में ऐसी लापरवाही का मामला सामने आया है जो सुनने में तो बात छोटी लगती है, लेकिन आए दिन उसके दुष्परिणाम सामने आते रहते हैं। मामला कुछ ऐसा है - डीएल के लिए ऐसे लोगों का मेडिकल बना दिया जा रहा है जो सुन तक नहीं सकते। अब आप ही सोचिए जो सुन नहीं सकता वो ड्राइव कैसे कर सकता है। ऐसे लोग भी आए दिन हादसों का अहम कारण बनते हैं।
दरअसल हल्द्वानी के बेस अस्पताल में दलाली का एक बड़ा खेल सामने आया है। कम सुनने वाले दिव्यांग का ड्राइविंग लाइसेंस के लिए मेडिकल फिट करा दिया गया। यह मामला प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉ. एसबी ओली के पास पहुंचने के बाद उजागर हुआ। इसके बाद उसका मेडिकल सर्टिफिकेट रोक दिया गया।
सोमवार को कम सुनने वाले तीन युवक बेस अस्पताल पहुंचे। इसके बावजूद नाक, कान गला रोग विशेषज्ञ ने उनकी पर्ची पर फिट लिख दिया। इसके बाद तीनों प्रमाण पत्र हासिल करने के लिए प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक कार्यालय पहुंच गए। कार्यालय से होकर मेडिकल प्रमाण पत्र साइन होने के लिए प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक डॉ. ओली के पास पहुंचा। एक ने कान पर हियङ्क्षरग एड भी लगाया था। जब डॉ. ओली ने उन्हें देखा तो वह भी चौंक गए। पता चला कि एक नहीं, बल्कि तीन ऐसे व्यक्ति हैं, जिन्हें ठीक से सुनाई नहीं देता है। उनका मेडिकल फिटनेस प्रमाण पत्र बन रहा है। इस पर पीएमएस ने तीनों का प्रमाण पत्र रोक दिया। इस तरह की स्थिति के बावजूद अस्पताल प्रबंधन ने किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। इस स्थिति से बेस अस्पताल में दलाली और मिलीभगत का खेल उजागर हो गया है। फिर भी मामले को दबाने की ही कोशिश की जा रही है।
जिम्मेदार बोले गलती से हो गया होगा साइन
डॉ. एसबी ओली, प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक, बेस अस्पताल एक व्यक्ति हियरिंग एड लगाकर आया था। वह पहले भी आ चुका था। इसलिए पकड़ में आ गया। डॉक्टर के वहां भीड़ बहुत अधिक रहती है, इसलिए साइन हो गया होगा। वैसे किसी ऐसे व्यक्ति का फिटनेस प्रमाण पत्र नहीं बनाया गया है।
डॉक्टर के खिलाफ इलाज में लापरवाही की शिकायत
किच्छा की एक महिला ने डॉ. सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय के एक डॉक्टर के खिलाफ इलाज में लापरवाही का आरोप लगाते हुए शिकायत की थी। इसकी जांच हुई, लेकिन किसी तरह का आरोप साबित नहीं हुआ। अब महिला ने जांच से संतुष्ट न होने की बात कहते हुए बाहरी अधिकारी से जांच कराने की मांग की है। इस शिकायती पत्र के आधार पर चिकित्सा निदेशक ने जिलाधिकारी को जांच कराने के लिए लिखा है।