कुविवि में साइबर सिक्योरिटी, फॉरेंसिक विज्ञान व क्रिमिनोलॉजी विभाग को मंजूरी nainihtal news
कुमाऊं विवि के कुलपति प्रो. केएस राणा की विवि में रोजगारपरक पाठ्यक्रमों के संचालन की दिशा में किए जा रहे प्रयासों को शासन ने भी मंजूरी दी है।
नैनीताल, जेएनएन : कुमाऊं विवि के कुलपति प्रो. केएस राणा की विवि में रोजगारपरक पाठ्यक्रमों के संचालन की दिशा में किए जा रहे प्रयासों को शासन ने भी मंजूरी दी है। शासन ने डेढ़ साल पहले विवि में साइबर सिक्योरिटी, फॉरेंसिक विज्ञान व क्रीमिनोलॉजी विभाग खोलने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान करते हुए शासनादेश जारी कर दिया है। इन विभागों के लिए 15 नए पदों के सृजन को भी स्वीकृति प्रदान की गई है।
कुलपति प्रो. केएस राणा ने बताया कि उत्तर भारत के बहुत कम विश्वविद्यालयों में क्रिमिनोलॉजी, फॉरेंसिक विज्ञान व साइबर सिक्योरिटी पाठ्यक्रम संचालित है। ऐसे में विवि इन पाठ्यक्रमों के संचालन से भारतीय अन्वेषण संस्थानों को अपराध की तहकीकात करने में मदद मिलेगी। कुलपति के अनुसार विवि में बायोमेडिकल साइंस फैकल्टी के गठन की पहल भी की गई है, जिसके अंतर्गत बायो फॉरेंसिक विशेषज्ञ तैयार किए जाएंगे। यह भी बताया कि रूसा के अंतर्गत द्वारा दो साल में अन्वेषण प्रयोगशाला तैयार की जा चुकी है। उन्होंने बताया कि तीनों पाठ्यक्रम बायो मेडिकल साइंस फैकल्टी के अंतर्गत संचालित किए जाएंगे। जिससे नई फैकल्टी का भी विस्तार होगा।
टेक्नोलॉजी के बढ़ने के साथ बढ़ा साइबर क्राइम
टेक्नोलॉजी के बढ़ने से आज लगभग हर फिल्ड में कंप्यूटर और इंटरनेट का इस्तेमाल किया जा रहा है। आज ऐसा समय आ गया है कि इंटरनेट और कंप्यूटर पर हमारी लगातार निर्भरता बढ़ती जा रही है। हालांकि जैसे-जैसे हमारी जिंदगी में इंटरनेट की दखल बढ़ती जा रही है वैसे-वैसे ही साइबर क्राइम की रफ्तार भी बढ़ रही है। जिस वजह से इस फिल्ड में साइबर सिक्योरिटी और साइबर लॉ जानने वाले पेशेवरों की मांग बढ़ गई है।
क्या है साइबर क्राइम
इंटरनेट का गलत तरीके से इस्तेमाल करके किसी को नुकसान पहुंचाना या इंटरनेट के माध्यम से होने वाले अपराधों को साइबर क्राइम कहा जाता है। इसके लिए दुनिया के हर देश में साइबर स्पेस का अलग कानून बनाया गया है जिसका मकसद है इंटरनेट के माध्यम से होने वाले हाइटेक अपराधों पर लगाम लगाई जा सके। साइबर क्राइम के अंतर्गत ब्लैकमेलिंग, स्टॉकिंग, कॉपीराइट, क्रेडिट कार्ड चोरी, फ्रॉड, पोर्नोग्राफी आदि आते हैं इसके अलावा इंटरनेट के माध्यम से किए जाने वाले सभी अपराधों को साइबर क्राइम माना गया है।
करियर विकल्प
जैसे-जैसे लोगों की कंप्यूटर और इंटरनेट पर निर्भरता बढ़ती जा रही है वैसे-वैसे साइबर क्राइम भी बढ़ते जा रहे है। साइबर क्राइम के बढ़ने से इस क्षेत्र में ऐसे विशेषज्ञों की मांग बढ़ गई है जो साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट है और जिन्हें साइबर लॉ की नॉलेज है। आपको बता दें कि कानून और पुलिस साइबर अपराधों को रोक पाने में नाकाम रही है जिस वजह से इस फिल्ड में एक्सपर्ट के लिए बहुत संभानाएं उत्पन्न हुई है। इस फिल्ड में उन लोगों की खासी डिमांड बढ़ गई है जो लोग साइबर की हाइटेक टेक्नोलॉजी से वाकिफ होते हैं।
ऐसे ली जा सकती है इस फिल्ड में एंट्री
अगर आप भी इस फिल्ड में काम करना चाहते है तो आप 12वीं पास करने के बाद इसके किसी भी कोर्स में एडमिशन ले सकते है। जिन लोगों ने पहले से ही कानून की डिग्री ले रखी है उन लोगों के लिए एक बेहतरीन फिल्ड साबित हो सकती है। साइबर से संबंधित कोर्स करने के लिए आपका किसी भी स्ट्रीम में 12वीं या ग्रेजुएशन पास होना जरूरी है। हमारे देश में ऐसे कई कोर्स उपलब्ध है जो किए जा सकते है।
यहां से भी कर सकते हैं कोर्स
सिम्बायोसिस सोसायटी लॉ कॉलेज, पुणे
आसियान स्कूल ऑफ साइबर लॉ, पुणे
सेंटर ऑफ डिस्टेंस एजुकेशन, हैदराबाद
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी, इलाहाबाद
साइबर लॉ कॉलेज, नावी
अमेटी लॉ स्कूल, दिल्ली
डिपार्टमेंट ऑफ लॉ, दिल्ली यूनिवर्सिटी