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उत्तरायणी मेला: संस्कृति की शोभायात्रा में दिखे पर्वतीय समाज के रंग

पर्वतीय समाज की सांस्कृतिक विरासत की मनमोहक झांकियों के साथ सोमवार को हल्द्वानी में शोभायात्रा निकाली गई।

By JagranEdited By: Published: Tue, 15 Jan 2019 05:30 AM (IST)Updated: Tue, 15 Jan 2019 05:30 AM (IST)
उत्तरायणी मेला: संस्कृति की शोभायात्रा में दिखे पर्वतीय समाज के रंग
उत्तरायणी मेला: संस्कृति की शोभायात्रा में दिखे पर्वतीय समाज के रंग

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी: पर्वतीय समाज की सांस्कृतिक विरासत की मनमोहक झांकियों के साथ सोमवार को शोभायात्रा सड़क पर निकली तो मानो चारों ओर लोक संस्कृति के रंग बिखर गए। नंदा देवी, भैरव पूजा, सातूं-आठूं पर्व सहित अन्य झांकियों के माध्यम से कुमाऊं की परंपरा व त्योहारों की झलक प्रस्तुत की गई। झांकी में झलक रही संस्कृति को देखने के लिए लोग सड़क किनारे और घरों की छत पर खड़े रहे। विभिन्न स्थानों पर फूल माला पहनाकर कलाकारों का स्वागत किया गया।

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सोमवार को पर्वतीय सास्कृतिक उत्थान मंच की ओर से आयोजित किए जा रहे उत्तरायणी मेले के सातवें दिन भव्य शोभायात्रा निकाली गई। हीरानगर स्थित मंच के प्रागण से गोल्च्यू देवता के जयकारे के साथ संरक्षक व संस्थापक बलवंत सिंह चुफाल सहित अन्य पदाधिकारियों ने शोभायात्रा को रवाना किया। जेल रोड चौराहे से होती हुई शोभायात्रा कालाढूंगी रोड पहुंची। यहा से नैनीताल रोड, रोडवेज बस स्टेशन चौराहा, तिकोनिया होते हुए रेलवे बाजार, मीरा मार्ग, सिंधी चौराहे से होकर वापस जेल रोड से उत्थान मंच आई। शोभायात्रा में पहाड़ के व्रत, त्योहार, कला, संस्कृति की झाकिया सजाई गई थीं। कुमाऊं के लोकदेवता गोल्ज्यू के अल्मोड़ा स्थित चितई मंदिर के प्रतिरूप वाली झाकी लोगों के आकर्षण का केंद्र रही। कुमाऊंनी परिधान के साथ पिछौड़ा ओढ़े महिलाओं का समूह झोड़ा नृत्य करते हुए चल रहा था। पुरुषों के समूह ने वाद्य यंत्रों की धुन पर छलिया नृत्य की प्रस्तुति दी। फूलदेई त्योहार, जियारानी के जागर के साथ कत्यूरी वंशजों की झांकी को लोगों ने खूब सराहा। इसके साथ ही प्रजापिता ब्रह्मकुमारी संस्था के सदस्यों ने शोभायात्रा में शामिल होकर पर्यावरण संरक्षण और नशामुक्ति का संदेश दिया। बैसी की झांकी रही प्रथम

पर्वतीय सांस्कृतिक उत्थान मंच की शोभायात्रा में रामश्रय जनसेवा समिति की बैसी की झांकी को प्रथम स्थान मिला। बैसी के माध्यम से लोक देवताओं के अवतरण की गाथा प्रदर्शित की गई। रामलीला कमेटी ऊंचापुल की झांकी दूसरे और जोहर सांस्कृतिक वेलफेयर सोसायटी की झांकी तीसरे स्थान पर रही। रामलीला कमेटी लछमपुर और भारतीय गो क्रांति मंच की गाय को राष्ट्रमाता का दर्ज दिए जाने की मांग प्रदर्शित करती झांकी को विशेष पुरस्कार के लिए चयनित किया गया। मंगलवार को उत्तरायणी मेले के समापन पर उत्कृष्ट झांकी सजाने वाली संस्थाओं को पुरस्कृत किया जाएगा।


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