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संकट : औद्योगिक क्षेत्र में आई मंदी की मार से सिडकुल भी कराहा

देशव्यापी मंदी की चपेट में अब उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में स्थित सिडकुल औद्योगिक आस्थान भी आ गया है। प्रोडक्शन में कमी आई है वहीं कर्मचारियों को भी अवकाश पर भेजा जा रहा है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sun, 25 Aug 2019 08:27 PM (IST)Updated: Sun, 25 Aug 2019 08:27 PM (IST)
संकट : औद्योगिक क्षेत्र में आई मंदी की मार से सिडकुल भी कराहा
संकट : औद्योगिक क्षेत्र में आई मंदी की मार से सिडकुल भी कराहा

रुद्रपुर, जेएनएन : देशव्यापी मंदी की चपेट में अब उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में स्थित सिडकुल औद्योगिक आस्थान भी आ गया है। कंपनियों के लिए माल ढोने का काम करने वाले ट्रांसपोर्टरों के करीब 807 मालवाहक स्वामियों ने वाहन के कागजात एआरटीओ कार्यालय में सरेंडर कर दिए हैं। जबकि छोटे ट्रांसपोर्टर अपने वाहन बेचने को मजबूर हो गए हैं। आटो कंपनियों में जहां प्रोडक्शन में कमी आई है, वहीं कर्मचारियों को भी अवकाश पर भेजा जा रहा है। औद्योगिक क्षेत्र में आई मंदी से जिले की दर्जनों कंपनियां प्रभावित हैं। ट्रांसपोर्ट सेक्टर में आई मंदी से करीब 25 से 30 फीसद तक गिरावट आई है। ट्रांसपोर्टरों का कहना है कि विभिन्न प्रकार के टैक्स देने के बावजूद किराया घट गया है। डीजल के दामों में बेतहाशा वृद्धि हो रही है। इसके बाद भी 15 से 20 दिनों तक वाहन खड़े करने की नौबत आ गई है। एआरटीओ रुद्रपुर पूजा नयाल ने बताया कि अप्रैल से जुलाई माह तक कुल 711 मालवाहक वाहनों के कागजात सरेंडर किए गए हैं। जबकि एआरटीओ काशीपुर अनीता चंद ने बताया कि कुल 96 वाहनों के कागजात उनके पास सरेंडर कर दिए गए हैं। इस तरह विभिन्न प्रकार के करों से मुक्ति पाने के लिए छोटे ट्रांसपोर्टर वाहन के कागजात सरेंडर करने पर मजबूर हो गए हैं।

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गुलशन जुनेजा, हरवंश ट्रांसपोर्ट, रुद्रपुर ने बताया कि सिडकुल में टाटा, अशोका लीलैंड, बजाज आदि कंपनियों मेें प्रोडक्शन व सप्लाई काफी कम हो गई है। जिससे ट्रांसपोर्टर काम के लिए तरस रहे हैं। मजबूरी में कम भाड़े में ही वाहनों को चलाया जा रहा है। जबकि टोल टैक्स, रोड टैक्स, गुड्स टैक्स आदि भी वहन करना पड़ रहा है। जिससे ट्रांसपोर्ट क्षेत्र में स्थिति खराब हो गई है। महेंद्र भाटिया, भाटिया ट्रांसपोर्ट, ऊधमङ्क्षसह नगर का कहना है कि आटो सेक्टर में मंदी से ट्रांसपोर्टर्स की हालत खराब है। फाइनेंसर से बचने के लिए लोग वाहन को बेचने को मजबूर हैं। बाजार में गिरावट से काम मिलना मुश्किल हो गया है। सरकार की आर्थिक नीतियां उद्योग क्षेत्र के लिए मुफीद नहीं रह गई है। ऐसे में मंदी आना स्वाभाविक है। दिल्ली का किराया पहले जहां 40 हजार था तो अब घटकर 28 हजार तक आ गया है। इसी तरह मुंबई का किराया भी 80 हजार से नीचे 65 तक आ गया है। परितोष वर्मा, क्षेत्रीय प्रबंधक, सिडकुल, रुद्रपुर ने बताया कि देशव्यापी मंदी का कुछ असर सिडकुल पर अवश्य है। लेकिन इससे कंपनियां नहीं बंद हो रही हैं। कंपनियों पर मंदी का ज्यादा असर देखने को नहीं मिल रहा है। प्रोडक्शन को लेकर कुछ दिक्कतें हो सकती हैं। बीएस-6 वाहनों की ङ्क्षचता अवश्य कामकाज को प्रभावित कर रही है।

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