उत्तराखंड के 'युवराज' कमल ने पहले ब्लड कैंसर को दी मात फिर शतकीय पारी से रचा इतिहास
कैंसर को मात देकर फिर से क्रिकेट की पारी शुरू करने वाले हल्द्वानी के कमल कान्याल ने शतकीय पारी की बदौलत वीनू मांकड़ अंडर-19 में उत्तराखंड की टीम ने शानदार जीत हासिल की है।
नैनीताल, जेएनएन : कैंसर नाम की बीमारी ही मौत के खौफ के असर को और गहरा कर देती है। अममून लोग इस बीमारी की चपेट में आकर दम तोड़ देते हैं। लेकिन कुछ अपनी जिजीविशा से मौत को भी मात दे देते हैं। वे यहीं नहीं रुकते हैं बल्कि अपने हक में उपलब्धियों की फेहरिश्त जोड़ते जाते हैं। छह बॉल पर छह छक्के लगाकर इतिहास रचने वाले युवराज सिंह इनमें से एक रहे हैं। लेकिन हम यहां उनकी बात नहीं बल्कि उनके जैसी ही स्थितियों का सामना कर एक विजेता बनकर लौटने वाले उत्तराखंड के क्रिकेटर कमल कन्याल की बात कर रहे हैं।
कैंसर को मात देकर फिर से क्रिकेट की पारी शुरू करने वाले हल्द्वानी के कमल कान्याल ने शतकीय पारी की बदौलत वीनू मांकड़ अंडर-19 में उत्तराखंड की टीम ने शानदार जीत हासिल की है। पुड्डुचेरी में आयोजित इस क्रिकेट ट्रॉफी में सोमवार को उत्तराखंड की लगातार यह दूसरी जीत है। अभी उत्तराखंड की टीम को इस ट्रॉफी को जीतने के लिए सात और मैच खेलने हैं। गौलापार निवासी कमल ने सोमवार को लगातार दूसरे मैच में अच्छे प्रदर्शन से उत्तराखंड की अंडर-19 टीम ने नागालैंड को पराजित कर दिया। पहले मैच में उत्तराखंड ने 50 ओवर में पांच विकेट पर 268 रन बनाए। इसमें कमल ने 103 गेंदो पर नाबाद 103 रन बनाए। आर्य सेठी ने 60 और हल्द्वानी के कुशाग्र मेलकानी ने आठ रन बनाए। जवाब में नागालैंड की पूरी टीम 43.3 आवेरों में 121 रन पर सिमटकर 147 रनों के बड़े अंतराल से मैच गंवा बैठी। उत्तराखंड के लिए इरफान, गौरव चौधरी, आर्य सेठी ने शानदार बॉलिंग करते हुए दो दो विकेट लेकर नागालैंड की पूरी टीम को ढेर कर दिया।
पहले मैच में खेली शानदार 83 रनों की पारी
ट्रॉफी के पहले मैच में भी कमल ने शानदार पारी खेलते हुए उत्तराखंड को विजय दिलाई। यह मुकाबला उत्तराखंड और मणिपुर की टीम के बीच था। जिसमें उत्तराखंड की टीम ने मणिपुर की टीम को 100 से भी अधिक रनों के अंतर हराया। कमल हल्द्वानी कोल्ट्स क्रिकेट एकेडमी में कोच मनोज भट्ट से क्रिकेट की बारीकी सीख रहे हैं।
पहली स्टेज में पता चला था ब्लेड कैंसर
लेफ्ट हैंड से बल्लेबाजी करने वाले कमल कन्याल में ब्लड कैंसर का पता पहले स्टेज में चल गया था। आनन फानन में परिजनों ने उनका इलाज नोएडा के एक हास्पिटल में कराया। इस दौरान तकरीबन एक साल तक उन्हें क्रिकेट से दूर रहना पड़ा। 2013-14 में क्रिकेट खेलने की शुरुआत करने और 2014-15 में ही कैंसर होने के की पुष्टि होने के कारण उन्हें करीब एक साल तक क्रिकेट से दूर रहना पड़ा। फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी और दोबारा प्रैक्टिस शुरू की। जिसके बाद कमल ने शानदारी वापसी करते हुए वीनू मांकड़ ट्राफी में जगह बनाई। इतना ही नहीं अपने बेतहरीन प्रदर्शन से क्रिकेट प्रेमियों का दिल भी जीता।
इन्होंने भी बढ़ाया है प्रदेश का मान
कार्तिक जोशी: हल्द्वानी निवासी कार्तिक जोशी प्रदेश की रणजी टीम का हिस्सा रहे हैं। वह अरुणाचल प्रदेश के खिलाफ दोहरा शतक जड़कर सुर्खियों में आए थे। कार्तिक को अंतिम समय में टीम में शामिल किया गया था। वह चयनकर्ताओं का भरोसा जीतने में कामयाब रहे थे।
पीयूष जोशी: हल्द्वानी निवासी पीयूष जोशी ने भी अंडर-23 सीके नायडू ट्राफी में दोहरा शतक ठोका था। पीयूष ने सिक्किम के खिलाफ केवल 227 गेंदों पर 200 रन बनाए थे।
मयंक मिश्रा: प्रदेश की रणजी टीम में स्पिन आलराउंडर के रूप में शामिल मयंक मिश्रा ने पिछले सीजन में शानदार प्रदर्शन किया। उन्होंने गेंद के साथ ही बल्ले से भी कमाल दिखाया था।
मीनाक्षी जोशी: आवास विकास निवासी मीनाक्षी जोशी ने भी संघर्षों के दम पर वीनू मांकड़ ट्रॉफी में स्थान पक्का किया था। मीनाक्षी के पिता आर्मी में तैनात रहे हैं। मीनाक्षी दाएं हाथ की मीडियम पेसर गेंदबाज हैं।
दिव्या बोहरा: हल्द्वानी निवासी दिव्या बोहरा भी वीनू मांकड़ ट्रॉफी के लिए प्रदेश की टीम में चयनित हुई थी। उसने अंडर-19 बोर्ड ट्राफी का कैंप भी किया है।