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कुमाऊं विश्वविद्यालय में नए सत्र से लागू होगा क्रेडिट आधारित पाठ्यक्रम

सिलेबस में हर सेमेस्टर में एक सप्ताह में कितने लेक्चर होंगे यह तय किया गया है। कुलपति प्रो जोशी ने बताया कि कामन मिनिमम सिलेबस पूरे प्रदेश के लिए हैं। जिसे विश्वविद्यालय ने अपनी वेबसाइट में अपलोड कर दिया है।

By Prashant MishraEdited By: Published: Sat, 29 Jan 2022 07:36 AM (IST)Updated: Sat, 29 Jan 2022 07:36 AM (IST)
कुमाऊं विश्वविद्यालय में नए सत्र से लागू होगा क्रेडिट आधारित पाठ्यक्रम
10 फरवरी तक शिक्षकों, छात्रों, शिक्षाविदों से सुझाव मांगे गए हैं। इसके बाद नए पाठ्यक्रम को अंतिम रूप दिया जाएगा।

जागरण संवाददाता, नैनीताल: कुमाऊं विवि समेत राज्य के सभी विश्वविद्यालयों और उनसे सम्बद्ध कालेजों में नए शैक्षणिक सत्र से नई शिक्षा नीति के तहत क्रेडिट आधारित नए पाठ्यक्रम शुरू किए जाएंगे। नए पाठ्यक्रम को एक साथ लागू किया जाएगा। कला, भाषा, विज्ञान, वाणिच्य, प्रबंधन एवं कौशल विकास से संबंधित अधिकांश विषयों के पाठ्यक्रम तैयार कर लिए गए हैं। यह सभी पाठ्यक्रम कुमाऊं विवि की वेबसाइट पर अपलोड हैं। जिस पर 10 फरवरी तक शिक्षकों, छात्रों, शिक्षाविदों से सुझाव मांगे गए हैं। इसके बाद नए पाठ्यक्रम को अंतिम रूप दिया जाएगा।

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राज्य में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को धरातल पर उतारने के लिए सरकार ने कुमाऊं विवि के कुलपति प्र्रो एनके जोशी की अध्यक्षता में पाठ्यक्रम निर्धारण एवं क्रियान्वयन समिति का गठन किया है। सभी विश्वविद्यालयों को अलग-अलग संकायों से संबंधित विषयों के पाठ्यक्रमों को नई शिक्षा नीति के तहत निर्माण करने की जिम्मेदारी दी गई थी। कुमाऊं विवि की ओर से जनवरी में आयोजित राष्टï्रीय कार्यशाला में विषय विशेषज्ञों की उपस्थिति में कामन मिनिमम सिलेबस तैयार किया गया। अभी केवल स्नातक स्तर के लिए कामन मिनिमम सिलेबस तैयार किया गया है। जिसमें स्नातक के सभी पाठ्यक्रम सेमेस्टर आधारित बनाए गए हैं। मल्टीपल एंट्री और एग्जिट के तहत सिलेबस बना है। छह सेमेस्टर में स्नातक के पाठ्यक्रम को बनाया गया है। एक साल में दो सेमेस्टर का सिलेबस सर्टिफिकेट कोर्स के लिए बनाया गया है। दो साल में चार सेमेस्टर डिप्लोमा और तीन साल में छह सेमेस्टर के कोर्स को स्नातक की डिग्री के लिए तैयार किया गया है।

परंपरागत पाठ्यक्रमों को रोजगारपरक बनाने की कोशिश

परंपरागत पाठ्यक्रमों को भी रोजगारपरक बनाने की कोशिश की गई है। भूगोल, समाजशास्त्र, इतिहास, अर्थशास्त्र जैसे परंपरागत विषयों में अतिरिक्त कार्ययोजना भी जोड़ी गई है। मिनिमम सिलेबस में हर सेमेस्टर में अलग-अलग क्रेडिट निर्धारित किया गया है। अगर कोई छात्र एक साल की स्नातक की पढ़ाई छोड़ देता है, आगे फिर वह अपनी पढ़ाई को पूरी करना चाहता है, तो इसी क्रेडिट के आधार पर उसे अपने कोर्स को पूरा करने की सुविधा दी जाएगी।

सिलेबस में हर सेमेस्टर में एक सप्ताह में कितने लेक्चर होंगे, यह तय किया गया है। कुलपति प्रो जोशी ने बताया कि कामन मिनिमम सिलेबस पूरे प्रदेश के लिए हैं। जिसे विश्वविद्यालय ने अपनी वेबसाइट में अपलोड कर दिया है। पाठ्यक्रम निर्धारण एवं क्रियान्वयन समिति की ओर से सुझाव मांगे गए हैं। 70 प्रतिशत पाठ्यक्रम एक जैसा रखना अनिवार्य है। विश्वविद्यालय चाहे तो 30 प्रतिशत सिलेबस अपने संसाधनों, परिस्थितियों एवं आवश्यकताओं के आधार पर परिवर्तित कर सकता है।


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