आरटीपीसीआर निगेटिव होने पर सीटी स्कैन में भी कोविड की पुष्टि
जासं हल्द्वानी कोरोना के निदान को लेकर भले ही अभी तक आरटीपीसीआर को ही उत्तम माना गया है लेकिन कई बार लक्षण होने पर भी इस जांच की रिपोर्ट निगेटिव ही आती है। इसके बाद चेस्ट की सीटी स्कैन के आधार पर कोविड की जांच होने लगी है।
जासं, हल्द्वानी: कोरोना के निदान को लेकर भले ही अभी तक आरटीपीसीआर को ही उत्तम माना गया है, लेकिन कई बार लक्षण होने पर भी इस जांच की रिपोर्ट निगेटिव ही आती है। इसके बाद चेस्ट की सीटी स्कैन के आधार पर कोविड की जांच होने लगी है। कर्नाटक सरकार समेत कई राज्यों ने इस जांच को लेकर गाइडलाइन तैयार की है। जिले में भी कई डाक्टर बीमारी के निदान के लिए यह तरीका अपना रहे हैं।
डा. सुशीला तिवारी कोविड अस्पताल के वरिष्ठ फिजीशियन डा. विवेकानंद सत्यवली बताते हैं कि यह तो सही है कि अभी तक आरटीपीसीआर जांच की ही सबसे अधिक प्रामाणिकता है। फिर भी कई बार खांसी, बुखार, सांस लेने में दिक्कत समेत कोरोना जैसे लक्षणों वाले मरीज की जांच निगेटिव आ जाती है। ऐसी स्थिति में सीटी स्कैन के लिए परामर्श देते हैं। नीलकंठ अस्पताल के वरिष्ठ छाती व श्वास रोग विशेषज्ञ डा. गौरव सिंघल के पास भी ऐसे तमाम रोगी पहुंचते हैं, जिनकी रिपोर्ट तो निगेटिव है, लेकिन लक्षण कोरोना जैसे हैं। उनका कहना है कि सीटी स्कैन की रिपोर्ट में दिक्कत दिखने पर ऐसे मरीजों का इलाज कोरोना मरीजों की तरह ही करते हैं। इस तरह की गाइडलाइन कर्नाटक समेत कई राज्यों ने भी लागू की है।
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इलाज में आक्सीजन व कुछ दवाइयों पर भरोसा
डा. सुशीला तिवारी कोविड अस्पताल में कोविड मरीजों के इलाज में जुटे डा. सत्यवली कहते हैं, कोरोना मरीजों के इलाज को लेकर किसी तरह की स्पष्टता नहीं है, लेकिन सपोर्टिग ट्रीटमेंट में आक्सीजन व कुछ स्टीरायड ही कारगर साबित हो रही हैं।
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एसटीएच में 70 मरीज भर्ती
एसटीएच में कोरोना संक्रमित 70 मरीज भर्ती हैं। इसमें से करीब 15 मरीज आक्सीजन में हैं। चिकित्सा अधीक्षक डा. अरुण जोशी ने बताया कि जब मरीजों को आक्सीजन की जरूरत होती है तो तुरंत उपलब्ध कराया जाता है।