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रूठों की वापसी के लिए कांग्रेस दफ्तर में खुलेगा दरबार, पक्ष सुनने के बाद संगठन को भेजी जाएगी रिपोर्ट

विधानसभा चुनाव के नजदीक आने के साथ भाजपा-कांग्रेस समेत अन्य सभी दल पूरी कोशिश में जुटे हैं कि किस तरह कुनबे का विस्तार हो। सबसे पहले नजर उन नेताओं पर है जो कि पूर्व में किसी वजह से पार्टी को छोड़ गए। या फिर संगठन ने उन्हें खुद निकाल दिया।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Tue, 21 Sep 2021 07:57 AM (IST)Updated: Tue, 21 Sep 2021 05:59 PM (IST)
रूठों की वापसी के लिए कांग्रेस दफ्तर में खुलेगा दरबार, पक्ष सुनने के बाद संगठन को भेजी जाएगी रिपोर्ट
रूठों की वापसी के लिए कांग्रेस दफ्तर में खुलेगा दरबार, पक्ष सुनने के बाद संगठन को भेजी जाएगी रिपोर्ट

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : विधानसभा चुनाव के नजदीक आने के साथ भाजपा-कांग्रेस समेत अन्य सभी दल पूरी कोशिश में जुटे हैं कि किस तरह कुनबे का विस्तार हो। सबसे पहले नजर उन नेताओं पर है जो कि पूर्व में किसी वजह से पार्टी को छोड़ गए। या फिर संगठन ने उन्हें खुद निकाल दिया। कांग्रेस के कुमाऊं कार्यालय स्वराज आश्रम में 24 सितंबर को पूर्व में निष्कासित लोगों की घर वापसी को लेकर उनका पक्ष सुना जाएगा। जिसके बाद रिपोर्ट प्रदेश संगठन को भेजी जाएगी।

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प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने हाल में चार सदस्यीय समिति का गठन किया था। वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरीश कुमार की अध्यक्षता वाली समिति में प्रदेश महासचिव गोविंद सिंह बिष्ट, प्रदेश सचिव शांति प्रसाद भट्ट के अलावा पूर्व महासचिव विजय सिजवाली भी शामिल हैं। 24 सितंबर को हल्द्वानी के स्वराज आश्रम से कमेटी इस मुहिम की शुरूआत करेगी। जिसमें कुमाऊं के सभी जिलों के पुराने मामलों पर सुनवाई होगी। चर्चा है कि कई पुराने क्षत्रप दोबारा वापसी को लेकर तैयार हैं। अब देखना यह है कि किन समझौतों व शर्तों के साथ उनकी घर वापसी होगी।

विरोध और आशीर्वाद पर फोकस

कांग्रेस के सभी बड़े नेता अब यह बात खुलकर कह चुके हैं कि पार्टी में आने वालों का स्वागत है। जबकि पहले बागी की एंट्री को लेकर दो अलग खेमे नजर आने लगते थे। रविवार को हल्द्वानी पहुंचे आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने भी साफ कहा था कि दूसरे दलों के ईमानदार लोगों का पार्टी में स्वागत है। हालांकि, राजनीति के इस खेल में भाजपा अब तक आगे नजर आई है। कांग्रेस के साथ एक निर्दलीय विधायक को भी उसने भगवा दामन थमा दिया।


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