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corona : भारत-चीन व्यापार पर कोरोना का साया, अब तक शुरू हाे जाती थी कारोबार की तैयारियां

जून माह से प्रारंभ होने वाले सीमांत स्थलीय भारत-चीन व्यापार पर इस वर्ष संदेह के बादल मंडरा रहे हैं। भारतीय व्यापारी कोरोना का नाम लेते ही चीन जाने से तौबा करने लगे हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sun, 08 Mar 2020 09:03 AM (IST)Updated: Sun, 08 Mar 2020 09:03 AM (IST)
corona : भारत-चीन व्यापार पर कोरोना का साया, अब तक शुरू हाे जाती थी कारोबार की तैयारियां
corona : भारत-चीन व्यापार पर कोरोना का साया, अब तक शुरू हाे जाती थी कारोबार की तैयारियां

धारचूला, तेज सिंह गुंज्याल : जून माह से प्रारंभ होने वाले सीमांत स्थलीय भारत-चीन व्यापार पर इस वर्ष संदेह के बादल मंडरा रहे हैं। भारतीय व्यापारी कोरोना का नाम लेते ही चीन जाने से तौबा करने लगे हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि भारत-चीन व्यापार से जुड़े चार-पांच सौ लोगों की रोजी रोटी प्रभावित होगी और तिब्बत से आने वाला सामान भारतीय बाजारों से गायब रहेगा।

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एक मार्च से शुरू हो जाती थीं व्‍यापार की तैयारियां

यूं तो भारत-चीन व्यापार जून माह से प्रारंभ होता है, परंतु व्यापार में भाग लेने वाले व्यापारी मार्च माह से तैयारियां प्रारंभ कर देते हैं। तिब्बत में बिकने वाले भारतीय सामान सूती कपड़े, चाय, काफी, चीनी, गुड़, मिश्री, पोस्टर, कॉस्मेटिक सामान, सूर्ती के ऑर्डर बुक कराने लगते हैं। भारतीय व्यापारी पिथौरागढ़, हल्द्वानी, रामनगर, बरेली व दिल्ली सहित पंजाब से सामान मंगाते हैं। चीन में गुड़ और मिश्री की बंद पैकेट में मांग के चलते भारतीय व्यापारियों को यह सब बाहर से मंगाना पड़ता है। जून माह से होने वाले व्यापार के चलते मई माह से भारतीय व्यापारी अपना सामान भारतीय मंडी गुंजी में पहुंचाने लगते हैं।

नंजग से आगे घोड़ व खच्‍चर ले जाते हैं सामान

धारचूला से नजंग तक  वाहन से सामान ले जाने के बाद नंजग से आगे का सारा सामान जानवरों घोड़े, खच्चर, झुप्पु और बकरियां की पीठ पर लादकर पहुंचाया जाता है। चीन की तिब्बत स्थि‍त तकलाकोट मंडी तक यह सामान पहुंचाना होता है। जो एक कठिन कार्य है। जिसके चलते ही भारतीय व्यापारी तीन माह पूर्व से तैयारी में जुट जाते हैं। इधर चीन में कोरोना वायरस को देखते हुए भारतीय व्यापारी असमंजस में हैं। व्यापारियों की मंशा जानने पर उनके मन के दो विचार सामने आ रहे हैं। कोरोना को लेकर व्यापारी चीन जाने  की हिम्मत तक नहीं जुटा पा रहे हैं तो कहीं न कहीं कोरोना का प्रभाव समाप्त होने की आस भी रख रहे हैं, परंतु तैयारी किसी भी स्तर पर करते नजर नहीं आ रहे हैं।

तीन सौ से लेकर पांच सौ लोगों के प्रभावित होने के आसार

भारत-चीन युद्ध 1962 के बाद तीस वर्षों तक बंद रहने के बाद वर्ष 1992 से दोबारा प्रारंभ हुआ व्यापार मात्र दो बार प्रभावित हुआ। एक बार जब चीन के बीजिंग में ओलंपिक खेलों के चलते और वर्ष 2013 में आपदा के चलते प्रभावित हुआ। प्रतिवर्ष तीन से साढ़े तीन सौ के आसपास भारतीय व्यापारी और उनके सहायक प्रत्यक्ष रू प से व्यापार में भाग लेते हैं। इसके अलावा भारतीय व्यापारियों का सामान ले जाने वाले सौ से डेढ़ सौ पौनी, पोटर्स होते हैं। व्यापार नहीं हुआ तो ये सभी लोग प्रभावित होंगे ।

कैलास मानसरोवर यात्रा और भारत चीन व्यापार मार्ग एक ही

अभी भारत चीन व्यापार प्रारंभ होने में तीन माह का समय है। इस बीच किस तरह की स्थिति रहती है। बीते वर्षों तक मार्च माह तक भारत चीन व्यापार को लेकर विदेश मंत्रालय स्तर पर बैठक हो जाती थी। कैलास मानसरोवर यात्रा की बैठक के साथ-साथ ही व्यापार को लेकर भी चर्चा होती थी। इस बार अभी तक कोई भी बैठक नहीं हुई है। कैलास मानसरोवर यात्रा और भारत चीन व्यापार मार्ग एक ही है।

व्‍यापार संबंधी निर्णय केन्‍द्र सरकार लेती है

एके शुक्ला, एसडीएम धारचूला एवं ट्रेड अधिकारी ने बताया कि भारत चीन व्यापार को लेकर केंद्र सरकार ही निर्णय लेती है। स्थानीय प्रशासन को निर्देशों का पालन और व्यवस्थाएं करनी होती हैं। व्यापारियों के ट्रेड पास विदेश मंत्रालय से जारी होते हैं। अभी इस संबंध में कोई निर्देश नहीं मिले हैं।

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