ठेकेदार ने तीन साल में की 60 लाख रुपये की जीएसटी चोरी, इस तरह दिया टैक्स चोरी काे अंजाम
नैनीताल दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ लालकुआं को मैनपावर उपलब्ध कराने के मामले में हुई कर चोरी का बड़ा खेल उजागर होने लगा है। प्राथमिक जांच में ही सामने आया है कि सिद्धि इंटरप्राइजेज ने दस्तावेजों में हेरफेर कर तीन साल में 60 लाख रुपये से अधिक की जीएसटी चोरी की।
हल्द्वानी, जेएनएन: नैनीताल दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ लालकुआं को मैनपावर उपलब्ध कराने के मामले में हुई कर चोरी का बड़ा खेल उजागर होने लगा है। प्राथमिक जांच में ही सामने आया है कि सिद्धि इंटरप्राइजेज संचालक संदीप जोशी ने दस्तावेजों में हेरफेर कर तीन साल में 60 लाख रुपये से अधिक की जीएसटी चोरी की है। इस प्रकरण में हैरान करने वाली बात यह है कि दुग्ध संघ के अध्यक्ष मुकेश बोरा भी गंभीर मामले को दबाने की कोशिश करते रहे।
रामनगर निवासी सोनू किरण के सीएम हेल्पलाइन में मामले की शिकायत करने के बाद जीएसटी व डेयरी विभाग हरकत में आए हैं। इस मामले में राज्य कर विभाग ने अंदरूनी जांच शुरू की है और डेयरी के सहायक निदेशक डीपी सिंह ने दुग्ध संघ के सामान्य प्रबंधक से मामले में आख्या भी मांगी है। लेकिन, मामला चार महीने पहले से चर्चा में आ गया था। संदेह होने पर दुग्ध संघ प्रशासन ने ठेकेदार को 6 व 13 अगस्त 2020 को दो पत्र भेजे थे। इसमेंसंघ ने ठेकेदार से जीएसटी रिटर्न दाखिल करने के कागजात मांगे थे, पर ठेकेदार ने उपलब्ध नहीं कराए। इसके बाद तत्कालीन जीएम अजय क्वीरा ने जीएसटी विभाग को पत्र भेजा। उन्होंने ठेकेदार की ओर से जमा टैक्स संबंधी मामले का सत्यापन कराने का आग्रह किया था। ऐसे में अध्यक्ष की मंशा पर उठ रहे सवाल 23 सितंबर को ठेकेदार ने कोविड-19 का हवाला देकर रिटर्न से जुड़े दस्तावेज उपलब्ध कराने के लिए दो माह का समय मांगा था। अध्यक्ष मुकेश बोरा ने समय देने की संस्तुति कर दी। पत्र में तत्कालीन जीएम क्वीरा ने टिप्पणी करते हुए लिखा था कि जीएसटी प्रकरण में प्रभारी वित्त, प्रभारी प्रशासन की ओर से कार्यवाही चल रही है, लिहाजा विधिक राय के आधार पर कार्रवाई करना उचित होगा, मगर इसे दरकिनार कर टैक्स में हेरफेर करने वाले ठेकेदार के प्रति कृपा दृष्टि बनी रही।
जून 2019 में रद हो गया था रजिस्ट्रेशन
सिद्धि इंटरप्राइजेज एक जुलाई 2017 को जीएसटी में पंजीकृत हुई थी। पंजीकरण के तत्काल बाद से फर्म ने दुग्ध संघ को मैनपावर उपलब्ध करानी शुरू की, मगर जीएसटी दाखिल करने के प्रति फर्म का शुरुआत से ही रवैया ढुलमुल रहा, जिस कारण जून 2019 में जीएसटी पंजीयन रद हो गया था। बाद में ठेकेदार के आग्रह पर पुराने रिटर्न, पेनाल्टी आदि जमा कराने पर अगस्त में पंजीकरण वैध हुआ।
ऐसे होता रहा हेरफेर का खेल
फर्म वित्तीय वर्ष 2017-18 से लालकुआं दुग्ध संघ को श्रमिक उपलब्ध करा रही है। 116 श्रमिकों के सापेक्ष फर्म को प्रतिमाह 16 से 19 लाख रुपये भुगतान होता है। सेवा क्षेत्र होने के नाते फर्म को प्राप्त भुगतान पर 18 प्रतिशत जीएसटी देना होता है। ठेकेदार ने दस्तावेजों में कम दुग्ध संघ से प्राप्त भुगतान को कम दिखाया और उसी के सापेक्ष रिटर्न दाखिल करता रहा।
टैक्स में हेरफेर का मामला संज्ञान में आने के तत्काल बाद जीएसटी विभाग को लिखित रूप से सूचित कर दिया था। जहां तक पुराने अनियमितता के मामले हैं, उसमें जांच चल रही है। दुग्ध संघ अध्यक्ष किसलिए आरोप लगा रहे हैं, इस पर मैं कह नहीं सकता। -अजय क्वीरा, तत्कालीन जीएम, लालकुआं दुग्ध संघ
सिद्धि इंटरप्राइजेज ने सितंबर तक का जीएसटीआर-1 व 3बी दाखिल किया है। छह करोड़ की प्राप्ति के सापेक्ष फर्म पर एक करोड़ की देनदारी बनती है, जबकि अभी तक करीब 42 लाख जमा कराया है। विभागीय जांच जारी है। -नंदन गिरी, असिस्टेंट कमिश्नर राज्य कर
दुग्ध संघ स्वायत्तशासी संस्था है। उन्हें निदेशालय स्तर से ही ग्रांट रिलीज हुई है। शासन जिलास्तर पर जांच की कोई अपेक्षा करता है, तो हम जांच करवाएंगे। -सविन बसंल, डीएम