अमूल से करार : आंचल दूध की सुधरेगी गुणवत्ता, बढ़ेगा उत्पादन
उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में घाटे में चल रहे दुग्ध उत्पादक सहकारी संघों की तस्वीर बदलने के लिए गुजरात के सबसे बड़े सहकारी दुग्ध उत्पादक संस्था अमूल की मदद ली जाएगी।
नैनीताल (जेएनएन) : उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों में घाटे में चल रहे दुग्ध उत्पादक सहकारी संघों की तस्वीर बदलने के लिए गुजरात के सबसे बड़े सहकारी दुग्ध उत्पादक संस्था अमूल की मदद ली जाएगी। उत्तराखंड डेयरी विकास विभाग और अमूल संयुक्त रूप से कार्य योजना बनाकर घाटे वाले दुग्ध संघ के विकास के लिए काम करेंगे। योजना को धरातल में लाने के लिए अभी हाल ही में देहरादून में हुए इंवेस्टर्स समिट में अमूल के प्रतिनिधियों ने भाग लिया और गढ़वाल मंडल के घाटे में चल रहे दुग्ध उत्पादक सहकारी संघों के साथ मिलकर काम करने की इच्छा जताते हुए निवेश करने का प्रस्ताव रखा है।
प्रदेश के 13 जिलों में 11 दुग्ध संघो से जुड़ी प्राथमिक स्तर की तकरीबन चार हजार दुग्ध सहकारी समितियां हैं। तकरीबन 53 हजार उत्पादकों द्वारा इन समितियों के माध्यम से प्रदेश में प्रतिदिन दो लाख लीटर दूध उत्पादन किया जाता है। इसमें अकेले कुमाऊं मंडल से ही लगभग डेढ़ लाख लीटर दुग्ध उत्पादन होता है। जबकि हरिद्वार और देहरादून को छोड़कर गढ़वाल मंडल के पर्वतीय क्षेत्रों में दुग्ध उत्पादन 50 हजार लीटर प्रतिदिन से भी कम है, जिससे गढ़वाल मंडल के कई दुग्ध संघ घाटे में चल रहे है। इनको घाटे से उबारने के साथ ही किसानों की आय दोगुनी करने,पहाड़ों में पलायन को रोकने, पशुपालन और दुग्ध उत्पादन को बढ़ाने की योजना पर अब फोकस किया जा रहा है। इस कार्ययोजना को अमलीजामा पहनाने के लिए देश में सहकारिता के क्षेत्र में पहले स्थान पर अपनी जगह बना चुकी अमूल की मदद ली जाएगी।
इस तरह से परवान चढ़ेगी योजना : अमूल सबसे पहले गढ़वाल मंडल के घाटे में चल रही दुग्ध संघों में कार्य करने की तैयारी कर रहा है। जहां पर उत्पादकों को दुग्ध उत्पादन के प्रति प्रोत्साहन करने के आकर्षक योजनाएं चलाने के साथ ही दूध की गुणवत्ता को बनाये रखने के लिए अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस टेस्टिंग लैब, चिलिंग प्लांट व वसा परीक्षण में पारदर्शिता के साथ ही उत्पादकों को दूध का अधिक से अधिक मूल्य देने की दिशा में कार्य किया जाएगा।
दूध की गुणवत्ता बढ़ाने पर जोर : इसके अलावा उत्पादकों को उच्च कोटि के पशुओ को उपलब्ध कराने व पशु आहार की गुणवत्ता को बनाये रखने के लिए कार्ययोजना बनाई जाएगी। यही नही उत्पादकों को आसानी से पशु चिकित्सक उपलब्ध हो सके इसके लिए कार्ययोजना तैयार की जा रही है। इसके साथ ही ग्राहकों को लुभाने के लिए पैकेजिंग पर भी ध्यान दिया जाएगा। उसे आकर्षक बनाया जाएगा। आंचल दूध की विश्वसनीयता बढ़ाने की दिशा में भी काम होगा।
डेयरी विकास के निदेशक संजय कुमार ने बताया कि देहरादून में हुए इंवेस्टर्स समिट में अमूल से इस बारे में एमओयू हुआ है। उनकी टीम गढ़वाल मंडल में कुछ स्थानों पर विजिट भी कर चुकी है। गुजरात सहकारी दुग्ध विपणन संघ लिमिटेड के प्रबंधन में अमूल ब्रांड सहकारिता के माध्यम से दुग्ध उत्पादन करता है और उत्तराखंड में भी सहकारी समितियों के माध्यम से दुग्ध उत्पादन किया जा रहा है। इसलिए गढ़वाल मंडल में अमूल और दुग्ध उत्पादक संघ सयुंक्त रूप से योजना बनाकर गढ़वाल मंडल में दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए काम करेंगे।
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