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सेवा विस्तार न मिलने से आहत पाॅलीटेक्निक काॅलेजों के संविदा शिक्षकों ने मुख्य न्यायाधीश को भेजा पत्र

सरकार और विभागीय अनदेखी से नाराज पालीटेक्निक कालेजों के संविदा शिक्षकों ने अब हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से न्याय की गुहार लगाई है। उत्तराखंड पालीटेक्निक संविदा शिक्षक एसोसिएशन ने मामले में मुख्य न्यायाधीश को पत्र भेजा है। मामला 2018 से कोर्ट में विचाराधीन है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Fri, 20 Nov 2020 06:37 AM (IST)Updated: Fri, 20 Nov 2020 06:37 AM (IST)
सेवा विस्तार न मिलने से आहत पाॅलीटेक्निक काॅलेजों के संविदा शिक्षकों ने मुख्य न्यायाधीश को भेजा पत्र
पाॅलीटेक्निक काॅलेजों के संविदा शिक्षकों ने मुख्य न्यायाधीश को भेजा पत्र

हल्द्वानी, जेएनएन : सरकार और विभागीय अनदेखी से नाराज पालीटेक्निक कालेजों के संविदा शिक्षकों ने अब हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से न्याय की गुहार लगाई है। उत्तराखंड पालीटेक्निक संविदा शिक्षक एसोसिएशन ने मामले में मुख्य न्यायाधीश को पत्र भेजा है।

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पत्र में संविदा शिक्षकों ने कहा है कि राजकीय पालीटेक्निक कालेजों में 250 संविदा शिक्षकों बीते कई वर्षों से सेवा दे रहे थे। विभाग द्वारा संतोषजनक सेवा को देखते हुए प्रत्येक साल सेवा विस्तार दिया जाता रहा। लेकिन 2018 में शासन से सेवा विस्तार की अनुमति मिलने के बावजूद विभाग ने बिना किसी कारण के संविदा शिक्षकों की सेवा समाप्त कर दी। इसके लिए पूर्व में न तो कोई नोटिस जारी किया गया और न ही मौखिक आदेश ही निकाला गया।

इसके बाद संविदा शिक्षकों ने न्याय की उम्मीद लेकर हाईकोर्ट में केस दायर किया। लेकिन मामला 2018 से कोर्ट में विचाराधीन है। कहा कि इन दो वर्षों में न्याय न मिल पाने के कारण संविदा शिक्षकों की स्थिति अत्यंत दयनीय हो गई है। नौकरी न होने के कारण अधिकांश संविदा शिक्षकों की पारिवारिक और आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो चुकी है। एसोसिएशन ने मुख्य न्यायाधीश से मामले में न्यायोचित निर्णय लेकर संविदा शिक्षकों को न्याय दिलाने की गुहार लगाई है।

पालीटेक्निकों में 800 पद रिक्त

एसोसिएशन ने मुख्य न्यायाधीश को बताया है कि राज्य के राजकीय पालीटेक्निकों में वर्तमान में शिक्षकों के 1328 पद स्वीकृत हैं। जिनमें से महज 529 में ही शिक्षक नियुक्त हैं। बताया कि 799 पद खाली होने से पठन-पाठन बाधित हो रहा है। इसके बावजूद संविदा शिक्षकों की सेवा को विभाग द्वारा दरकिनार कर दिया गया।


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