नैनीताल में कांट्रेक्ट फार्मिंग ने संवारी ढाई हजार किसानों की तकदीर, तीन ब्लाकों में 2011 से उगाई जा रही बासमती
कोटाबाग रामनगर व बेतालघाट के पाटकोट देवीरामपुर तिवारी गांव मल्ली सेठी अमेल समेत दस गांवों के करीब ढाई हजार किसान वर्ष 2011 से ही हरियाणा के सोनीपत की नेचर बायो फूड कंपनी से जुड़े हैं। कंपनी इन्हें हर वर्ष बासमती गेहूं मडुआ व मक्के के बीज मुहैया कराती है।
नैनीताल, किशोर जोशी। नए कृषि कानूनों का भले ही एक तबका विरोध कर रहा है। इन्हें किसान विरोधी बता रहा है। मगर नैनीताल जिले के तीन ब्लाकों के करीब ढाई हजार किसानों की कांट्रेक्ट फार्मंग ने तकदीर ही संवार दी है। आज सभी संपन्न हैं। संसाधनों से परिपूर्ण हैं। इन्हें अपने उपज की समर्थन मूल्य से अधिक कीमत मिल रही है। बासमती चावल हाथों हाथ बिक रहा है। मडुआ और मक्के की भी बेहतर कीमत मिल रही है।
जिले के कोटाबाग, रामनगर व बेतालघाट के पाटकोट, देवीरामपुर, तिवारी गांव मल्ली सेठी, अमेल समेत दस गांवों के करीब ढाई हजार किसान वर्ष 2011 से ही हरियाणा के सोनीपत की नेचर बायो फूड कंपनी से जुड़े हैं। कंपनी इन्हें हर वर्ष बासमती देहरादून टाइप थ्री, गेहूं, मडुआ व मक्के के बीज मुहैया कराती है। इन गांवों के संबंधित किसान जैविक विधि से फसल तैयार करते हैं।
देवीरामपुर कोटाबाग के प्रगतिशील किसान नंदन सिंह मयाल बताते हैं कि तीनों ब्लाकों में करीब चार हजार बीघा क्षेत्र में बासमती की खेती की जा रही है। खाद के रूप में गोबर व गोमूत्र का ही प्रयोग करते हैं। हरियाणा की कंपनी से अनुबंध से उन्हें बाजार भाव से अधिक कीमत मिल रही है। अनुबंध के बाद भी वह अपनी मर्जी के मालिक हैं। वह उत्पाद अन्य को भी बेच सकते हैं। फिलहाल बासमती को सौ प्रतिशत निर्यात किया जाता है।
उमा को मिला स्विटजरलैंड जाने का मौका
कोटाबाग निवासी किसान उमा मयाल को वर्ष 2016 में बासमती की खेती की आधुनिक विधि सीखने के लिए कंपनी ने स्विटजरलैंड भेजा। उमा बताती हैं कि कंपनी उन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य से अधिक कीमत दे रही है।
अपना ब्रांड, अपनी कीमत
दोहनियां कोटाबाग निवासी युवा किसान युगल किशोर बोनियाल बीएससी किए हैं। उनके पास 30 बीघा जमीन है। युगल ने नौकरी की बजाय खुद की फर्म बना ली। अभी वह आठ बीघा जमीन में ब्लैक राइस, रेड राइस उगाते हैं। अपनी ग्रीन टी, हनी, फारेस्ट हनी, मल्टी फ्लोरा हनी की आफलाइन के साथ ही आनलाइन बिक्री करते हैं। युगल के अनुसार वह अपने उत्पाद का खुद रेट तय करते हैं।
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