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पूर्णागिरि धाम में पांच साल से अधर में लटका रोपवे का निर्माण, नौ क‍िमी खड़ी चढ़ाई चढ़ते हैं श्रद्धालु

पूर्णागिरि धाम में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए हनुमान चट्टी से काली मंदिर तक प्रस्तावित 903.225 मीटर लंबे रोपवे का निर्माण सपना बनकर रह गया है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने 15 जून 2015 को 35 करोड़ की लागत से बनने वाले रोपवे का शिलान्यास किया था ।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sun, 22 Nov 2020 03:52 PM (IST)Updated: Sun, 22 Nov 2020 03:52 PM (IST)
पूर्णागिरि धाम में पांच साल से अधर में लटका रोपवे का निर्माण, नौ क‍िमी खड़ी चढ़ाई चढ़ते हैं श्रद्धालु
पूर्णागिरि धाम में पांच साल से अधर में लटका रोपवे का निर्माण, नौ क‍िमी खड़ी चढ़ाई चढ़ते हैं श्रद्धालु

चम्पावत, जेएनएन : उत्तर भारत के प्रसिद्ध मां पूर्णागिरि धाम में धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए हनुमान चट्टी से काली मंदिर तक प्रस्तावित 903.225 मीटर लंबे रोपवे का निर्माण सपना बनकर रह गया है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने 15 जून 2015 को 35 करोड़ की लागत से बनने वाले रोपवे का शिलान्यास किया था लेकिन तब से अब तक शिलान्यास स्थल पर एक ईट भी नहीं रखी जा सकी है। रोपवे का निर्माण न होने से पूर्णागिरि के दर्शन के लिए आने वाले लाखों श्रद्धालुओं को भैरव मंदिर से नौ किमी की खड़ी चढ़ाई पार कर मंदिर पहुंचना पड़ रहा है।

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रोपवे निर्माण के लिए नई दिल्ली की केआर आनंद एंड केआरए इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट को निवेशक कंपनी बनाया गया। 25 अप्रैल 2016 को मुख्य कार्यकारी अधिकारी उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद की अध्यक्षता में रोपवे परियोजना की समीक्षा बैठक हुई। इसमें रोपवे के निवेशक ने चार माह के भीतर फील्ड स्तर पर कार्य शुरू करने का आश्वासन दिया था। लेकिन तब से अब तक रोपवे निर्माण का कार्य आगे बढ़ाने की दिशा में एक भी कदम आगे नहीं बढ़ाया गया। स्थानीय लोगों और श्रद्धालुओं की मांग के बाद आठ सितंबर 2016 को राच्य सरकार ने पर्यटन मंत्री को रोपवे निर्माण के कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिए थे।

पर्यटन मंत्री के दखल के बाद कार्यदाई एजेंसी ने निर्माण क्षेत्र में पानी भरने की बात कहते हुए हाथ खड़े कर दिए। 2018 में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने देहरादून में दिल्ली की कंपनी के नुमाइंदों को बुलाकर इस संबंध में जानकारी हासिल की थी, तब कंपनी के अधिकारियों ने स्वाइल टेस्टिंग फिर से कराने का अनुरोध किया था। इसके बाद न तो इस संबंध में कोई बैठक हुई और न ही स्वाइल टेस्टिंग दुबारा कराने के लिए सरकार की ओर से कोई ठोस प्रयास किए गए हैं। रोपवे का निर्माण अधर में लटकने से श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों में सरकार के खिलाफ आक्रोश बढ़ता जा रहा है।

यूरोपियन तकनीकि से होना है निर्माण

ठूलीगाड़-पूर्णागिरि रोपवे का निर्माण यूरोपियन सेफ्टी तकनीकि से किया जाना है। डबल रोप पर चलने वाली ट्रालियों में एकबार में 80 लोग और एक घंटे में एक हजार लोग आवाजाही कर सकते हैं। इसके बन जाने के बाद भैरव मंदिर से मां पूर्णागिरि मंदिर तक लगभग 11 किमी की खड़ी चढाई से श्रद्धालुओं को निजात मिलेगी।

दिसंबर तक पूर्ण होना था रोपवे का निर्माण

रोप-वे के निर्माण कार्य में बिलंब का कारण स्वतंत्र अभियंता की कमी माना जा रहा है। नियमानुसार दिसंबर 2016 में ही इसे पूरा कर लिया जाना था, लेकिन अब तक बुनियाद का काम भी शुरू नहीं हुआ है। ब्रिडकुल, ब्रिज रोपवे टनल एंड अदर इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन ऑफ उत्तराखंड लिमिटेड को स्वतंत्र अभियंता की व्यवस्था करनी थी। अब जिला प्रशासन ने दूसरे विभाग के माध्यम से स्वतंत्र अभियंता की तैनाती के लिए शासन से मांग की है।


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