शिवालिक की गोद में हो रहा हिमालय की दुर्लभ और औषधीय वनस्पतियों का संरक्षण
जलवायु परिवर्तन का असर कहें या अवैज्ञानिक दोहन उच्च हिमालयी क्षेत्रों की अधिसंख्य औषधयी वनस्पतियां या तो विलुप्त हो चुकी हैं या लुप्त होने की कगार पर हैं।
अल्मोड़ा, जेएनएन : जलवायु परिवर्तन का असर कहें या अवैज्ञानिक दोहन, उच्च हिमालयी क्षेत्रों की अधिसंख्य औषधयी वनस्पतियां या तो विलुप्त हो चुकी हैं या लुप्त होने की कगार पर हैं। इन दुर्लभ प्रजातियों के संरक्षण व संवर्धन को वैज्ञानिकों का अभिनव प्रयोग सफल हो गया है। शिवालिक की गोद में बसे जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण शोध एवं सतत विकास संस्थान कोसी कटारमल (अल्मोड़ा) उच्च व मध्य हिमालय की तमाम औषधीय वनस्पतियों का अनूठा संग्रहालय तैयार किया गया है। हालांकि ढाई से तीन हजार मीटर की ऊंचाई या इससे भी उच्च इलाकों की तमाम प्रजातियों की पत्तियां व शाखाएं शरदकाल में सूख चली हैं, जो वसंत में पल्लवति होंगे।
शोधार्थियों को मिलेगा बड़ा लाभ
दुर्लभ हिमालयी औषधीय वनस्पतियों के संरक्षण की अनूठी पहल के बीच जीबी पंत राष्ट्ररीय पर्यावरण शोध संस्थान में विकसित संग्रहालय ने शोधार्थियों के लिए अध्ययन के नए द्वार भी खोले हैं। अब इन औषधीय वनस्पतियों की पहचान करना आसान होगा। शोध छात्र पहले इसी संग्रहालय में उगाए गए पौधों का अध्ययन करेंगे। ताकि उच्च हिमालय में पहुंचने पर वह वनस्पतियों की सटीक पहचान कर सकें।
पहाड़ में औषधीय खेती को मिलेगा बढ़ावा
चौतरफा चुनौतियों के बीच जंगली जानवरों के कहर से खेती छोड़ रहे किसानों के लिए यह संग्रहालय आर्थिकी का आधार भी बनेगा। वैज्ञानिकों के अनुसार पर्वतीय किसानों को संग्रहालय का समय समय पर भ्रमण करा उन्हें औषधीय खेती के जरिये खुशहाली लाने को प्रेरित किया जाएगा।
यहां ये दुर्लभ औषधीय प्रजातियां
= वन ककड़ी : फेफड़ों के रोग व कैंसर में रामबाण
= थुनेर : कैंसररोधी, छाल की बनती है नमकीन चाय
= चार पांच प्रकार का किलमोड़ा, शुगर में लाभकारी।
= अतीश : बुखार में फायदेमंद
= पतराला : त्वचा संबंधी रोग में रामबाण।
= कटुकी या कुटकी : शुगर का खात्मा, प्रतिरोधी क्षमता बढ़ाती है। इसके अलावा जटामासी, जंबो, गंधरैणी, ऑरकिट, वज्रदंती, थुनेर, सतावरी, इसबगोल, जुरासिक दौर के दुर्लभ जिंकोबाइलेवा आदि के औषधीय गुणों से भरपूर पौधों का अद्भुत संसार।
चिकित्सा पद्धति से जुड़ी औषधीय वनस्पतियों का संरक्षण
वरिष्ठ शोध वैज्ञानिक हिमालयी पर्यावरण शोध संस्थान प्रो. आइडी भट्ट ने बताया कि हमारा उद्देश्य पारंपरिक चिकित्सा पद्धति से जुड़ी औषधीय व सुगंधित जड़ी बूटी एवं वनस्पतियों का संरक्षण करना है, जो दुर्लभ हैं। इस लाइव लेब्रोटरी किसानों को लाभ होगा, शोधार्थियों को भी फायदा मिलेगा। राष्ट्रीय हिमालयी अध्ययन मिशन के तहत हम धारचूला की चौदास घाटी में भी विलुप्त होती औषधीय वनस्पतियों का संग्रहालय तैयार कर रहे।