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हरदा के पंजाब में जमते ही गुटबाजी छोड़्रकर एक मंच पर दिखने लगे कांग्रेस के नेता

रदा के मिशन पंजाब शुरू होने के बाद कांग्रेस में एक बड़ा परिर्वतन देखने को मिल रहा है। काशीपुर में दो फाड़ में बंटे कांग्रेस नेता अब गुटबाजी छोड़कर एक मंच पर नजर आने लगे हैं। एक सप्ताह में सभी आयोजनों में एक साथ मंच पर नजर आए हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Wed, 07 Oct 2020 09:43 AM (IST)Updated: Wed, 07 Oct 2020 09:43 AM (IST)
हरदा के पंजाब में जमते ही गुटबाजी छोड़्रकर एक मंच पर दिखने लगे कांग्रेस के नेता
हरदा के मिशन पंजाब शुरू होने के बाद कांग्रेस में एक बड़ा परिर्वतन देखने को मिल रहा है।

काशीपुर, जेएनएन : हरदा के मिशन पंजाब शुरू होने के बाद कांग्रेस में एक बड़ा परिर्वतन देखने को मिल रहा है। काशीपुर में दो फाड़ में बंटे कांग्रेस नेता अब गुटबाजी छोड़कर एक मंच पर नजर आने लगे हैं। कल तक काशीपुर में महानगर कांग्रेस के ओयोजित कार्यक्रम में कई नेता नदारद रहते थे वहीं पिछले एक सप्ताह में सभी आयोजनों में एक साथ मंच पर नजर आए हैं। काशीपुर में हाल के दिनों में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के आह्वान पर किए सत्याग्रह व प्रदर्शन में सभी नेताओं ने भागीदारी सुनिश्चित की है। ऐसे में कयास लगाए जाने शुरू हो हैं कि कांग्रेस में प्रदेश अध्यक्ष को आने वाले दिनों में हरदा गुट से कोई दिक्कत नहीं आने वाली है।

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उत्तराखंड की राजनीति के केन्द्र में रहे पूर्व सीएम हरीश रावत को पंजाब का प्रभारी बनाया जाना किसी को खुशी दे गया तो किसी को गम। उत्तराखंड की प्रदेश कांग्रेस में गुटबाजी तो किसी से छिपी नहीं है चुनाव नजदीक होने के नाते कांग्रेस आलाकामन को इस बात का इल्म हो गया था कि प्रदेश में सबकुछ ठीक करने की कवायद ऐसे करनी होगी जिससे दोनों पक्ष संतुष्ट हों। पंजाब के प्रभारी बनाए जाने के कुछ ही दिन बाद झोला उठाकर हरदा पंजाब में जम गए। उत्तराखंड में हरदा का एकला चलो अभियान कांग्रेस के अन्य नेताओं को रास नहीं आ रही थी। ऐसे में उनके पंजाब में जमे रहने से उत्तराखंड में भी पार्टी एक बार फिर पटरी पर आएगी, यह देखने वाली बात होगी।

काशीपुर में क्या थी गुटबाजी

काशीपुर में कांग्रेस में पिछले एक साल गुटबाजी खुलकर सामने आने लगी थी। काशीपुर में हरदा के कई दौरों में महानगर अध्यक्ष समेत कई बड़े पदाधिकारी नदारद दिखे। वहीं प्रदेश अध्यक्ष के दौरे के दौरान हरदा गुट के कई कांग्रेसी उपस्थित नहीं रहे। ऐसे में कांग्रेसी नेताओं के बीच चल रहे गतिरोध खुलकर सामने आने लगे थे। कांग्रेसी नेताओं के बीच प्रदेश में तकरीबन हर क्षेत्र में यह गुटबाजी कांग्रेस की सक्रियता पर सवाल खड़े कर रहा था। यही कारण रहा कि आलाकमान को प्रदेश में गुटबाजी खत्म के लिए कदम उठाना पड़ा।

नए प्रभारी के दौरे से पहले बनाया बेहतर माहौल

कांग्रेस ने उत्तराखंड में नए सिरे जमीन तैयार करने की जिम्मेदारी प्रभारी देवेन्द्र यादव को सौंपी है। सूत्रों की माने तो नए प्रभारी की जिम्मेदारी मिलते ही उन्होंने स्थानीय नेताओं से फीडबैक लिया। मिशन विधानसभा के लिए नए प्रभारी ने गुटबाजी खत्म करने के लिए प्रदेश अध्यक्ष के आह्वान पर होने वाले कार्यक्रम में शामिल न होने वाले नेताओं के सूची मांगी। नए प्रभारी देवेन्द्र यादव अपने दौरे से पहले सबकुछ ऑल इज वेल देखना चाहते हैं।


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