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Sherwood College Controversy : अब मालिकाना हक को लेकर लखनऊ डायसिस भी मैदान में, दोनों प्र‍िसिंपल को बताया अवैध

शेरवुड स्कूल ऑल सेंट्स कालेज व अन्य संपत्तियों पर लखनऊ का मालिकाना हक होने का दावा किया है। प्रधानाचार्य को पद को लेकर शुरू खींचतान अब और बढ़ने लगी है। शुरुआत में आगरा डाइसिस और प्रधानाचार्य संधू के बीच चल रही जंग में अब लखनऊ डायसिस भी कूद पड़ी है।

By Prashant MishraEdited By: Published: Thu, 17 Dec 2020 03:38 PM (IST)Updated: Thu, 17 Dec 2020 03:38 PM (IST)
Sherwood College Controversy : अब मालिकाना हक को लेकर लखनऊ डायसिस भी मैदान में, दोनों प्र‍िसिंपल को बताया अवैध
आगरा डाइसिस और प्रधानाचार्य अमनदीप संधू के बीच चल रही जंग में अब लखनऊ डायसिस भी कूद पड़ी है।

जागरण संवाददाता, नैनीताल : शहर के प्रतिष्ठित शेरवुड स्कूल के मालिकाना हक और प्रिंसिपल कुर्सी की दौड़ में नया मोड़ आ गया है। अब लखनऊ डायसिस ने मैदान पर उतरकर स्कूल पर अपना हक जताया है। डायसिस प्रतिनिधियों ने पत्रकार वार्ता कर शेरवुड स्कूल, ऑल सेंट्स कालेज व अन्य संपत्तियों पर लखनऊ का मालिकाना हक होने का दावा किया है। शेरवुड स्कूल के प्रधानाचार्य को पद को लेकर शुरू हुई खींचतान अब और बढ़ने लगी है। शुरुआत में आगरा डाइसिस और प्रधानाचार्य अमनदीप संधू के बीच चल रही जंग में अब लखनऊ डायसिस भी कूद पड़ी है।

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गुरुवार को डायसिस के विधि सलाहकार राकेश सोबती, व राकेश मिश्रा ने पत्रकार वार्ता कर कहां कि शुरुआत से शेरवुड कालेज पर लखनऊ डायसिस का ही हक रहा है। 1976 में अवैधानिक तरीके से चर्च ऑफ नार्थ इंडिया ने डायसिस और संपत्तियों का बंटवारा कर दिया। और शहर स्थित शेरवुड और ऑल सेंट्स कॉलेज पर कब्जा जमा लिया। जिसके बाद से ही इन संपत्तियों के लिए चर्च ऑफ़ इंडिया लखनऊ डायसिस न्यायालयों मैं केस लड़ रही है।कहा कि 2009 में लखनऊ डायसिस के बिशप विजय मंटोडे ने शेरवुड स्कूल पर मालिकाना हक को लेकर न्यायालय में शरण ली।

इसके बाद 2013 में न्यायालय ने चर्च ऑफ नार्थ इंडिया के अस्तित्व को खत्म कर निर्णय दिया कि शेरवुड स्कूल के प्रतिनिधित्व किसका रहेगा इसको लेकर निचली अदालत से फैसला करवाया जाए। उन्होंने कहा कि शेरवुड स्कूल पर अपनी संपत्ति बताने वाले आगरा डायसिस के नाम ना तो सोसाइटी का पंजीकरण है, और ना ही उनके हक में न्यायालय का फैसला। उन्होंने आगरा डायसिस और उसके द्वारा नियुक्त दोनों प्रधानाचार्य को अवैध करार देते हुए लखनऊ डायसिस को ही असली मालिक बताया। कहा कि उनके द्वारा कोर्ट में इंटरवेंशन एप्लीकेशन दाखिल की गई है। न्यायालय के निर्णय के बाद ही कुछ फैसला लिया जाएगा।


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