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जस्टिस लोकपाल ने कहा जजों की नियुक्ति में कार्यपालिका न करे हस्‍तक्षेप NAINITAL NEWS

कोलेजियम सिस्टम को न्यायपालिका की निष्पक्षता के लिए जरूरी दिया। कहा कि यदि न्यायाधीशों की नियुक्ति मेें कार्यपालिका का हस्तक्षेप होगा तो न्यायपालिका की निष्पक्षता प्रभावित होगी।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sat, 12 Oct 2019 08:44 PM (IST)Updated: Sun, 13 Oct 2019 10:31 AM (IST)
जस्टिस लोकपाल ने कहा जजों की नियुक्ति में कार्यपालिका न करे हस्‍तक्षेप NAINITAL NEWS
जस्टिस लोकपाल ने कहा जजों की नियुक्ति में कार्यपालिका न करे हस्‍तक्षेप NAINITAL NEWS

नैनीताल, जेएनएन : उत्तराखंड हाई कोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह का कहना है कि न्यायपालिका ने देश का मान बढ़ाया है। उन्होंने कोलेजियम सिस्टम को न्यायपालिका की निष्पक्षता के लिए जरूरी करार देते हुए कहा कि यदि न्यायाधीशों की नियुक्ति मेें कार्यपालिका का हस्तक्षेप होगा तो न्यायपालिका की निष्पक्षता प्रभावित हो सकती है। कहा कि जब कार्यपालिका अपने कर्तव्यों का निर्वहन सही तरीके से नहीं करती है तो न्यायपालिका को दखल देना पड़ता है। उन्होंने देश में मीडिया की स्वतंत्रता बरकरार रखने पर जोर देते हुए कहा कि मीडिया की ओर से उजागर छोटी सी समस्या भी जनहित याचिका का रूप ले लेती है।

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जस्टिस लोकपाल शनिवार को जिला बार एसोसिएशन की ओर से आयोजित अखिल भारतीय विधि विचार गोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। फ्रीमेंशन हॉल मल्लीताल में आयोजित गोष्ठी में उन्होंने कहा कि इस तरह के विचार मंथन से बेहतर परिणाम निकलते हैं। पूर्व विधायक डॉ नारायण सिंह जंतवाल ने कहा कि जिस देश में प्रेस व न्यायपालिका स्वतंत्र नहीं है, वहां स्वस्थ लोकतंत्र की कल्पना नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि संविधान के तीनों स्तंभ कार्यपालिका, न्यायपालिका व विधायिका में किसी को मनमानी की अनुमति नहीं है। जोड़ा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में कानून बनाने में हीलाहवाली हो रही है।

न्यायिक मजिस्ट्रेट अभय सिंह ने कहा कि स्वतंत्र न्यायपालिका लोकतांत्रिक परंपरा का आधार स्तंभ है। जिला बार एसोसिएशन अध्यक्ष हरिशंकर कंसल ने अतिथियों व प्रतिभागियों का स्वागत किया। संचालन करते हुए पूर्व सचिव मनीष जोशी ने न्यायपालिका की स्वतंत्रता विषय की महत्ता पर प्रकाश डाला। वरिष्ठ अधिवक्ता सुरेश परिहार ने कहा कि विचार गोष्ठी की शुरूआत 1968 में पूर्व मंत्री प्रताप भैय्या द्वारा की गई थी। विचार गोष्ठी का समापन रविवार को होगा, समापन मौके पर मुख्य अतिथि हाई कोर्ट के न्यायमूूर्ति शरद कुमार शर्मा होंगे।

क्या होता है कॉलेजियम सिस्टम ?

कॉलेजियम सिस्टम का भारत के संविधान में कोई जिक्र नहीं है। यह सिस्टम 28 अक्टूबर 1998 को 3 जजों के मामले में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के जरिए प्रभाव में आया था। कॉलेजियम सिस्टम में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस और सुप्रीम कोर्ट के 4 वरिष्ठ जजों का एक फोरम जजों की नियुक्ति और तबादले की सिफारिश करता है। कॉलेजियम की सिफारिश दूसरी बार भेजने पर सरकार के लिए मानना जरूरी होता है। कॉलेजियम की स्थापना सुप्रीम कोर्ट के 5 सबसे सीनियर जजों से मिलकर की जाती है। सुप्रीम कोर्ट तथा हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति तथा तबादलों का फैसला भी कॉलेजियम ही करता है। इसके अलावा उच्च न्यायालय के कौन से जज पदोन्नत होकर सुप्रीम कोर्ट जाएंगे यह फैसला भी कॉलेजियम ही करता है।

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