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कूड़ा प्रबंधन के बिना नहीं सुधरेगी स्वच्छता रैंकिंग, इंदौर को बनाना होगा नजीर

हल्द्वानी नगर निगम प्रशासन कूड़ा प्रबंधन में पूरी तरह फेल है। शिकायतों के निस्तारण को लेकर कोई सिस्टम नहीं है। प्लास्टिक पर पाबंदी दिखावे भर के लिए है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Fri, 08 Mar 2019 12:39 PM (IST)Updated: Fri, 08 Mar 2019 12:39 PM (IST)
कूड़ा प्रबंधन के बिना नहीं सुधरेगी स्वच्छता रैंकिंग, इंदौर को बनाना होगा नजीर
कूड़ा प्रबंधन के बिना नहीं सुधरेगी स्वच्छता रैंकिंग, इंदौर को बनाना होगा नजीर

हल्द्वानी, जेएनएन : मध्य प्रदेश के इंदौर शहर ने लगातार तीसरी बार स्वच्छता में पहली रैंक हासिल कर देश की दूसरी निकायों के लिए मिसाल कायम की है। इंदौर में रोजाना 1100 टन कचरा निकलता है। 500 टन गीले कचरे को खाद में बदला जाता है, जबकि 600 टन सूखे कचरे को मैटेरियल रीसाइकिलिंग फैसिलिटी (एमआरएफ) तकनीक से ब्रिस्क, पैवर व अन्य सामग्री में बदला जाता है। कचरे की जद में आई 100 एकड़ की जमीन अब हरी-भरी दिखने लगी है। इससे इतर, हल्द्वानी नगर निगम प्रशासन कूड़ा प्रबंधन में पूरी तरह फेल है। शिकायतों के निस्तारण को लेकर कोई सिस्टम नहीं है। प्लास्टिक पर पाबंदी दिखावे भर के लिए है। सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट एंड रीसाइक्लिंग प्लांट व सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट अभी तक फाइलों से बाहर नहीं निकले हैं।

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इंदौर व हल्द्वानी में अंतर

मानक                            अंक       हल्द्वानी     इंदौर

डायरेक्ट ऑब्जर्वेशन         1250     723           1241

सर्विस लेवल प्रोग्रेस           1250    160           1129

जनता का फीडबैक            1250     617          1239

सर्टिफिकेशन                   1250      25           1050

कुल                                5000    1525        4659

इंदौर ने असंभव को संभव कर दिखाया

डोर-टू-डोर कलेक्शन, प्लास्टिक प्रतिबंधित

100 प्रतिशत घर, व्यवसायिक क्षेत्र व अन्य स्रोतों से कचरा लेने की व्यवस्था बनाई। इसके कारण 2017 में इंदौर सबसे स्वच्छ शहर बना। 2017-18 में घर-दुकानों से अलग-अलग कचरा लेना शुरू किया। सिंगल यूज प्लास्टिक कैरी बैग व प्लास्टिक प्रतिबंधित किया। मंडी से निकलने वाले 20 टन गीले कचरे के लिए देश का पहला बॉयो-सीएनजी प्लांट बनाया।

तीस हजार घरों में कंपोस्ट खाद तैयार की

लगातार दो बार नंबर वन बनने के बाद चुनौती थी ट्रेंचिंग ग्राउंड का कूड़ा खत्म करना। इसके लिए कई नवाचार किए। थ्री-आर (रीड्यूस, रीयूज व रीसाइकल) पर काम शुरू किया। 29 हजार घरों में होम कम्पोस्टिंग शुरू हुई। बाजारों को डिस्पोजल मुक्त बनाने का अभियान चलाया। शहर के चारों दिशाओं में सीएंडडी वेस्ट कलेक्शन सेंटर बनाए।

आइसीटी तकनीक से मॉनीटरिंग

सफाई का स्तर बनाए रखना चुनौतीपूर्ण था। इसलिए आइसीटी तकनीक से मॉनीटङ्क्षरग व शिकायतों का समाधान शुरू किया। कचरा उठाने वाली गाडिय़ों की रूट मैपिंग की। ओडीएफ प्लस व डबल प्लस पर फोकस किया। इंदौर पहला शहर था, जिसने पहले 3 व 5 स्टार रेटिंग के लिए दावा किया। वह इसमें सफल भी हुआ।

सफाई व्‍यवस्‍था में हुआ काफी सुधार

सीएस मर्तोलिया, नगर आयुक्त ने बताया कि सफाई में पहले की अपेक्षा काफी सुधार हुआ है। सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट व एसटीपी निर्माण कार्य की प्रक्रिया अंतिम चरण में है। आने वाले समय में निश्चित ही शहर की तस्वीर बदलेगी।

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