लिपुलेख सीमा पर चीन ने सैन्य छावनी बनाई, एक हजार से अधिक सैनिकों को किया तैनात
लद्दाख के बाद चीन ने उत्तराखंड के लिपुलेख से लगती सीमा पर पाला में सैन्य छावनी बना ली है। इसकी क्षमता करीब एक हजार जवानों की है।
पिथौरागढ़, ओपी अवस्थी : लद्दाख के बाद चीन ने उत्तराखंड के लिपुलेख से लगती सीमा पर पाला में सैन्य छावनी बना ली है। इसकी क्षमता करीब एक हजार जवानों की है। इस खबर के बाद भारतीय सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट हो गई हैं। सेना के साथ ही आइटीबीपी ने भी गश्त बढ़ा दी है।
भारत से लगती सीमा पर चीन की गतिविधियां शुरू से ही संदिग्ध रही हैं। लद्दाख से लगायत सिक्किम तक सीमा विवाद को तूल देता रहा है। अभी तक उत्तराखंड की लिपुलेख से लगती सीमा इससे अछूती रही है। यहां की भौगोलिक स्थिति ऐसी रही कि चीन कभी हस्तक्षेप करने की हिम्मत नहीं कर सका। यही कारण है कि इसे देश की सुरक्षित सीमाओं में एक माना जाता है, लेकिन अब छावनी के निर्माण से यहां भी सैन्य गतिविधियां बढऩे की आशंका जताई जा रही है।
तीन साल से चल रही थी तैयारी
चीन ने करीब तीन वर्ष पहले से सैन्य छावनी की तैयारी शुरू कर दी थी। अब पाला में चीनी सैनिक स्थाई रू प से रहने लगे हैं। इस स्थान से भारतीय सीमा की दूरी महज दस किमी है। सूत्रों के अनुसार चीन ने छावनी में सैनिकों के आवास सहित सभी सुविधाएं मुहैया कराई हैं। ऐसे में वहां पूरे वर्ष तैनाती संभव हो गई है।
भारतीय सेना भी मुस्तैद
सीमावर्ती क्षेत्रों में चीन की ओर से स्थाई सैन्य छावनी निर्माण की खबर पर भारतीय सेना ने भी गतिविधि बढ़ा दी। लिपुलेख तक भारतीय सेना और आइटीबीपी के जवान तैनात हैं।
एक स्थान से दो देशों पर नजर
तिब्बती भाषा में पाला का अर्थ दो रास्तों का मिलना होता है। चीन ने जिस स्थान पर सैन्य छावनी बनाई है वहां से भारतीय सीमा लिपुलेख और नेपाल की टिंकर सीमा के लिए मार्ग निकला है। पाला में सैन्य छावनी से चीन के सैनिक भारत और नेपाल दोनों सीमाओं पर नजर रख रहे हैं।