भावुक हुए मुख्यमंत्री, बोले-इंदिरा दीदी मेरा मार्गदर्शन करती थीं, उनके नाम पर रखेंगे किसी बड़ी योजना का नाम
नेता प्रतिपक्ष को श्रद्धांजलि देने पहुंचे मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कहा कि उप्र के सदन में उनके साथ रहने का सौभाग्य मिला था। वह मुझे छोटे भाई की तरह मानती थीं। हम भी दीदी के तौर पर बार-बार उनका मार्गदर्शन लिया करते थे।
हल्द्वानी, जागरण संवाददाता : नेता प्रतिपक्ष को श्रद्धांजलि देने पहुंचे मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कहा कि उप्र के सदन में उनके साथ रहने का सौभाग्य मिला था। वह मुझे छोटे भाई की तरह मानती थीं। हम भी दीदी के तौर पर बार-बार उनका मार्गदर्शन लिया करते थे। उनकी सोच व सुझाव हमेशा दलगत राजनीति से ऊपर और राज्य के हित में रहे। दिल्ली की राजनीति में भी उनका एक स्थान था। सदैव विकास के लिए तत्पर रहने वाली डा. इंदिरा हृदयेश की स्मृति में किसी बड़े विकास कार्य का नाम रखा जाएगा।
सोमवार सुबह आवास पर स्वजनों को ढांढस बंधाने पहुंचे सीएम तीरथ ने कहा कि क्षेत्र व प्रदेश के लिए नेता प्रतिपक्ष द्वारा किए काम भुलाये नहीं जा सकते। पिछले एक माह में दस बार उनसे फोन पर बात हुई थी। वर्चुअल बैठक में कोविड की रोकथाम के लिए उनकी चर्चा अहम होती थी। आखिरी सांस तक जनसेवा करने वाली इंदिरा ने विधायक, एमएलसी, मंत्री और नेता प्रतिपक्ष रहते हुए जनसेवा की विरासत तैयार की। इसलिए उनके अधूरे कामों को अब सरकार आगे बढ़ाएगी। डा. इंदिरा एक कुशल प्रशासक, वरिष्ठ राजनीतिज्ञ और संसदीय परंपराओं की ज्ञाता थीं।
पुष्प अर्पित करने स्वराज आश्रम पहुंचे हर शख्स की आंख नम
स्वराज आश्रम को स्वतंत्रता सेनानियों का गढ़ कहा जाता था। आजादी से पूर्व यहां क्रांतिकारी अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष की रणनीति बनाते थे। खस्ताहाल होने पर साल 2005 में मंत्री रहते हुए डा. इंदिरा हृदयेश ने इस भवन का नए सिरे से सुंदरीकरण करवाया था। तत्कालीन सीएम एनडी तिवारी लोकार्पण को पहुंचे थे। इसी स्वराज आश्रम के आंगन में सोमवार सुबह समर्थक व शहर के लोग इंदिरा के अंतिम दर्शन को पहुंचे थे। हाथ से फूल छूटने पर हर शख्स की आंख नम नजर आ रही थी। जिसके बाद सुमित हृदयेश इन्हें संभालते नजर आए।
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