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आज से नहाय-खाय के साथ छठ का महाव्रत शुरू

भगवान सूर्यदेव की उपासना का महापर्व छठ पूजन रविवार से आरंभ हो रहा है। 36 घंटे के महाव्रत में पहले दिन नहाय-खाय की परंपरा का पालन कर व्रत की शुरुआत होगी।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sun, 11 Nov 2018 11:30 AM (IST)Updated: Sun, 11 Nov 2018 11:30 AM (IST)
आज से नहाय-खाय के साथ छठ का महाव्रत शुरू
आज से नहाय-खाय के साथ छठ का महाव्रत शुरू

नैनीताल (जेएनएन) : भगवान सूर्यदेव की उपासना का महापर्व छठ पूजन रविवार से आरंभ हो रहा है। 36 घंटे के महाव्रत में पहले दिन नहाय-खाय की परंपरा का पालन कर व्रत की शुरुआत होगी। सोमवार से निर्जला व्रत शुरू होगा। जिसका पारायण 14 नवंबर को उगते हुए सूर्यदेव को अघ्र्य देकर किया जाएगा। इससे पहले 13 नवंबर को अस्तांचलगामी सूर्य को व्रती पहला अघ्र्य देंगे। शनिवार को छठ पूजा सेवा समिति के सदस्यों ने रामपुर रोड स्थित छठ पूजन स्थल पर पूजन की तैयारियों को अंतिम रूप दिया। पूजन स्थल पर लोगों की अत्याधिक भीड़ होने के कारण छह नई वेदियां तैयार की गई हैं। यहां पहले दस वेदियां थी, जिससे व्रतियों को पूजन के लिए इंतजार करना पड़ता था, लेकिन इस बार सोलह वेदियों में पूजन होगा। समिति की मीडिया प्रभारी ऊषा कुमार ने बताया कि रविवार को व्रती नदी के जल में नहाय-खाय का स्नान कर सात्विक भोजन करेंगे। इसके बाद शाम को लौकी की सब्जी और रोटी ग्रहण करेंगे। सोमवार से निर्जला व्रत आरंभ होगा। व्रत की परंपरा के अनुसार दूध, गुड़ और चावल की खीर का प्रसाद बनाया जाएगा। उन्होंने बताया कि चार दिवसीय छठ पर्व के अंतिम दिन सुबह छह बजे उगते सूर्य को अघ्र्य देकर व्रत का पारायण होगा। इस मौके पर छठ पूजन स्थल पर प्रसाद वितरण और भजनों की प्रस्तुति होगी। इस बार छठ पूजा 13 नवंबर को की जाएगी।

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यह है छठ पूजन विधि

- यह पर्व चार दिनों तक चलता है।

- पर्व की शुरुआत कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से होती है और सप्तमी को भोर मेें व्रत का समापन होता है।

- कार्तिक शुक्ल चतुर्थी को नहाय-खाय के साथ इस व्रत की शुरुआत होती है। इस दिन लौकी और चावल खाया जाता है।

- दूसरे दिन को लोहंडा-खरना कहते हैं। इस दिन व्रत के बाद शाम को गन्ने के रस की बनी खीर खाते हैं।

- तीसरे दिन शाम को सूर्य को अर्घ के साथ ही ठेकुवा व मौसमी फल चढ़ाते हैं।

- चौथे दिन उगते सूर्य को अंतिम अर्घ्य दिया जाता है। इसके बाद कच्चे दूध और प्रसाद को खाकर व्रत का परायण किया जाता है।

- इस बार पहला अर्घ्य 13 नवंबर को संध्या काल में दिया जाएगा और अंतिम अर्घ्य 14 को सूर्योदय के समय दिया जाएगा।

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