Move to Jagran APP

22 साल तक मुंबई में प्राइवेट नौकरी के बाद चन्‍द्रशेखर लौटे गांव, अब तुलसी की खेती कर कमा रहे हैं लाखों

अगर मन में विश्वास हो तो कोई भी चीज असंभव नहीं। ऐसा ही कुछ कर दिखाया चौरसों के चंद्रशेखर पांडे ने। उन्होंने 22 साल तक मुंबई में प्राइवेट नौकरी की लेकिन उनका मन वहां नहीं लगा।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Wed, 14 Aug 2019 05:44 PM (IST)Updated: Thu, 15 Aug 2019 11:03 AM (IST)
22 साल तक मुंबई में प्राइवेट नौकरी के बाद चन्‍द्रशेखर लौटे गांव, अब तुलसी की खेती कर कमा रहे हैं लाखों
22 साल तक मुंबई में प्राइवेट नौकरी के बाद चन्‍द्रशेखर लौटे गांव, अब तुलसी की खेती कर कमा रहे हैं लाखों

बागेश्वर, चंद्रशेखर द्विवेदी : अगर मन में विश्वास हो तो कोई भी चीज असंभव नहीं। ऐसा ही कुछ कर दिखाया चौरसों के चंद्रशेखर पांडे ने। उन्होंने 22 साल तक मुंबई में प्राइवेट नौकरी की, लेकिन उनका मन वहां नहीं लगा। वह आ गए गांव को आबाद करने चौरसों। उनके पास संसाधनों की काफी कमी थी। हिम्मत नहीं हारी और अपने बंजर होते जा रहे खेतों को आबाद किया। उनकी मेहनत रंग ला रही है। वह आज क्षेत्र में रह रहे अन्य लोगों के लिए नजीर बने हुए हैं।

loksabha election banner

जिले के गरुड़ स्थित चौरसों गांव में 2017 में आए चंद्रशेखर पांडे ने कुछ करने की ठानी। वह 22 साल तक मुम्बई में हाड़तोड़ मेहनत कर वापस गांव लौट आए। धनाभाव के कारण पहले वह हिम्मत नहीं जुटा पाए। कृषि, बागवानी आदि का कार्य पहले नहीं किया था। फिर कुछ मित्रों की सलाह ली। जिसके बाद वह जुट गए खेती में। चौरसों गांव में उनके पास दस नाली जमीन थी। उन्होंने बंजर जमीन को आबाद करने का मन बनाया। परंपरागत खेती से हटकर उन्होंने तुलसी का उत्पादन करना शुरू किया। बाजार में तुलसी की काफी डिमांड थी और वह 300 रुपये किलो तक बिकती थी। उन्होंने अपने खेतों में तुलसी लगाई। कुछ ही समय बाद उन्हें परिणाम दिखाई देने लगे। तुलसी का उत्पादन काफी अच्छा हुआ। पहले ही साल 10 नाली जमीन में पांच क्विंटल तुलसी हो गई। वह उत्पादन को लेकर काफी खुश थे। उन्होंने अब इसकी तकनीकी जानी ताकि कम जगह पर ही अच्छा उत्पादन किया जा सके। इसमें उनकी मदद जड़ी-बूटी शोध केंद्र के निदेशक चंद्रशेखर सनवाल, एचआरडीए विजय भट्ट ने की। आजीविका से भी उन्होंने सलाह ली। अब वह आस-पास के गांव वालों को प्रोत्साहित कर रहे हैं। वह इस कारोबार को बढ़ाना चाहते है। अभी वह इसी कारोबार से तीन से चार लाख रुपया प्रति माह अर्जित कर रहे हैं। इसके अलावा श्री पांडे अपने खेतों में बेमौसमी सब्जी, तेजपात, रीठा, आंवला, सिट्रस प्रजाति के माल्टा, नारंगी आदि का भी उत्पादन कर रहे हैं। देखा देखी आस पास के लोग भी गांव ना छोडऩे का मन बना रहे है। वह तकनीकी पर आधारित कृषि कर अपनी आमदमी दोगुनी करने का प्रयास कर रहे हैं।

वैज्ञानिक तकनीक से होग खेती 

चंद्रशेखर पांडे, प्रगतिशील काश्तकार, चौरसों ने बताया कि पहाड़ में वैज्ञानिक तकनीक से कृषि, बागवानी की जाए तो अच्छी आमदनी की जा सकती है। अक्सर लोग जंगली जानवरों के डर से खेती करना छोड़ रहे हैं। वह ऐसी खेती करें जिसको यह जानवर नुकसान नही करते। ऐसे कई उत्पाद है जिनकी बाजार में डिमांड हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.