गुरुजी के सामने प्रवेश के लिए बच्चे जुटाने की चुनौती, अचानक आए आदेश से शिक्षक परेशान
सरकारी स्कूलों में मंगलवार को मनाए जाने वाले प्रवेशोत्सव को लेकर शिक्षक चिंतित हैं। उत्सव के लिए बच्चे एकत्रित करने में शिक्षकों के पसीने छूट रहे हैं।
हल्द्वानी, जेएनएन : सरकारी स्कूलों में मंगलवार को मनाए जाने वाले प्रवेशोत्सव को लेकर शिक्षक चिंतित हैं। उत्सव के लिए बच्चे एकत्रित करने में शिक्षकों के पसीने छूट रहे हैं। एकाएक आए कार्यक्रम से विभागीय कार्यशैली पर भी सवाल उठने लगे हैं।
अकादमिक शोध एवं प्रशिक्षण निदेशक सीमा जौनसारी ने 12 मार्च को निर्देश देते हुए प्राथमिक से इंटरमीडिएट तक के विद्यालयों में 16 अप्रैल को प्रवेशोत्सव मनाने की बात कही थी। कहा गया था कि एक से 15 अप्रैल के बीच शिक्षक अपने क्षेत्र के आसपास घर-घर संपर्क कर शैक्षिक योजनाओं की जानकारी देते हुए बच्चों को सरकारी स्कूलों में प्रवेश दिलाने के लिए प्रोत्साहित करेंगे। सीईओ कार्यालय की ओर से 9 अप्रैल को जारी पत्र में कहा गया है कि प्रवेशोत्सव में स्थानीय नागरिक, अभिभावक के साथ अध्यनरत बच्चों की माताएं बुलाई जानी हैं। इधर, निर्वाचन ड्यूटी में लगे शिक्षक मतदान के बाद 13 अप्रैल को कार्य मुक्त हुए हैं। शिक्षकों के पास रविवार की छुट्टी के बाद सोमवार का दिन बचता है। ऐसे में शिक्षकों की चिंता बढ़ी हुई है।
लिपिक को भी सौंपी जिम्मेदारी
सीईओ कार्यालय की ओर से 12 अप्रैल को जारी पत्र में प्रशासनिक अधिकारियों के साथ वरिष्ठ व कनिष्ठ लिपिक को भी प्रवेशोत्सव के लिए बच्चे जुटाने की जिम्मेदारी सौंपी है। ऐसे 19 कार्मिकों को उनके नियुक्ति स्थल के आसपास के विद्यालय आवंटित किए गए हैं।
शिक्षक व पुस्तक बगैर उत्सव
सरकारी शिक्षा का हाल भी गजब है। कई स्कूलों में शिक्षक नहीं है। डीएलएड व टीईटी पास न करने वाले शिक्षा मित्रों की सेवाएं समाप्त करने के आदेश हैं। ऐसे में बिना शिक्षक, पुस्तक व ड्रेस के प्रवेशोत्सव पर सवाल उठ रहे हैं। पिछले साल किताबों व गणवेश की धनराशि फरवरी, मार्च में बैंक खाते में डाली गई।
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