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प्राचार्य डा. अरुण जोशी के सामने सुपरस्पेशलिस्ट की सुविधाएं जुटाना चुनौती

नए प्राचार्य डा. अरुण जोशी ने अपना पदभार संभाल लिया है मगर उनके सामने सुशीला तिवारी अस्तपाल में सुपर स्पेशियलिस्ट के लिए सुविधाएं जुटाना सबसे बड़ी चुनौती बन रही है। एसटीएच में पांच सुपरस्पेलिस्ट तो तैनात हैं मगर उनके लिए न ही ऑपरेशन थिएटर है और न ही दक्ष स्टाफ।

By Prashant MishraEdited By: Published: Fri, 23 Jul 2021 11:13 PM (IST)Updated: Fri, 23 Jul 2021 11:13 PM (IST)
प्राचार्य डा. अरुण जोशी के सामने सुपरस्पेशलिस्ट की सुविधाएं जुटाना चुनौती
कुमाऊं भर के आम मरीज सुपरस्पेशलिस्ट डाक्टरों का पूरा लाभ पाने से वंचित हैं।

जागरण संवाददाता, हल्द्वानी : राजकीय मेडिकल कॉलेज के नए प्राचार्य डा. अरुण जोशी ने अपना पदभार संभाल लिया है, मगर उनके सामने सुशीला तिवारी अस्तपाल में सुपर स्पेशियलिस्ट के लिए सुविधाएं जुटाना सबसे बड़ी चुनौती बन रही है। एसटीएच में पांच सुपरस्पेलिस्ट तो तैनात हैं, मगर उनके लिए न ही ऑपरेशन थिएटर है और न ही दक्ष स्टाफ। इस कारण कुमाऊं भर के आम मरीज सुपरस्पेशलिस्ट डाक्टरों का पूरा लाभ पाने से वंचित हैं। अब नवनियुक्त प्राचार्य प्रो. अरुण जोशी के सामने इन सुविधाओं को जुटाना चुनौती है।

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एसटीएच में दो-दो न्यूरोसर्जन व एक यूरोलॉजिस्ट हैं तैनात

एसटीएच में दो न्यूरोसर्जन, दो प्लास्टिक सर्जन व एक यूरोलॉजिस्ट तैनात हैं। प्लास्टिक सर्जन को चार साल से अधिक समय हो गया है। एक न्यूरोसर्जन डेढ़ साल से अधिक समय से कार्यरत हैं। इसके बाद अन्य सुपरस्पेशलिस्ट ने ज्वाइन किया।

इमरजेंसी ओटी ही एकमात्र सहारा

इमरजेंसी में ही महज कामचलाऊ ऑपरेशन थिएटर बनाया गया है। जहां न ही आधुनिक उपकरण हैं और न ही दक्ष स्टाफ। इसकी वजह से सामान्य मरीजों के ही ऑपरेशन हो पाते हैं।

इसलिए जरूरत है ट्रेंड स्टाफ की

सुपरस्पेशलिस्ट डाक्टर को ऑपरेशन के समय ट्रेंड स्टाफ की जरूरत रहती है। इसमें स्टाफ नर्स, सी आर्म टेक्नीशियन, ओटी टेक्निशियन आदि शामिल रहते हैं।

ट्रामा सेंटर बना है, लेकिन चालू नहीं

ऐसा नहीं कि अस्पताल में हाईटेक ओटी नहीं है, लेकिन यह चालू नहीं हो सका है। करीब चार करोड़ की लागत से ट्रामा सेंटर के नाम पर आधुनिक उपकरणों से लैस ओटी तैयार है।

कुमाऊं भर के मरीजों का लोड

एसटीएच पर कुमाऊं भर के मरीजों की उम्मीदें टिकी रहती हैं। कोई पहाड़ी से गिरकर को कोई अन्य दुर्घटना में घायल होकर इस अस्पताल में रेफर किए जाते हैं। आलम यह है कि अस्पताल में एक दिन की ओपीडी में 500 से एक हजार मरीज पहुंच रहे हैं।

प्राचार्य प्रो. अरुण जोशी का कहना है कि कोविड अस्पताल होने के चलते कोरोना मरीजों के इलाज को लेकर ही दबाव था। इसलिए अलग-अलग आइसीयू में स्टाफ को तैनात किया गया था। अब जल्द ही सुपरस्पेशलिस्ट डाक्टरों को पूरा स्टाफ व उपकरण युक्त ओटी की सुविधा दे दी जाएगी।


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