पवनदीप के स्वजन मुंबई में, रिश्तेदारों को मिल रहे बधाई संदेश, जिलेभर में जश्न का माहौल
इंडियन ऑइडल 12 के विजेता पवनदीप राजन की उपलब्धि पर न केवल उनके गांव बल्कि पूरे जिले में खुशी की लहर दौड़ गई है। जैसे ही यह खबर मिली संगीत प्रेमियों और उनके समर्थकों ने आतिशबाजी कर जश्न मनाया। पवनदीप का पूरा परिवार अभी मुंबई में ही है।
संवाद सहयोगी, चम्पावत : इंडियन ऑइडल 12 के विजेता पवनदीप राजन की उपलब्धि पर न केवल उनके गांव बल्कि पूरे जिले में खुशी की लहर दौड़ गई है। जैसे ही यह खबर मिली संगीत प्रेमियों और उनके समर्थकों ने आतिशबाजी कर जश्न मनाया। पवनदीप का पूरा परिवार अभी मुंबई में ही है। लेकिन उनके रिश्तेदारों को बधाई देने वालों का तांता लग गया है। पवनदीप राजन की इस उपलब्धि पर जिलाधिकारी विनीत तोमर, एसपी लोकेश्वर सिंह सहित तमाम अधिकारियों एवं संगीत जगत से जुड़े लोगों ने भी खुशी जताई है।
चम्पावत में पवनदीप के समर्थकों एवं विभिन्न संगठनों के लोगों ने सोमवार को स्टेशन बाजार में आतिशबाजी की। व्यापारियों ने भी एक दूसरे को मिठाई बांटकर खुशी का इजहार किया। लोहाघाट में राम सेवा समिति के अध्यक्ष एवं लोक कलाकार जीवन मेहता के नेतृत्व में लोगों ने मिष्ठान वितरण कर खुशी जताई। पवन दीप का यहां तक का सफर काफी प्रेरणा देने वाला रहा है। 27 जुलाई 1996 को जन्मे पवनदीप राजन ने अपने पिता कुमाऊंनी लोक गायक सुरेश राजन के सानिध्य में बचपन से ही संगीत की शिक्षा ग्रहण की।
सिर्फ डेढ़ साल की उम्र में पवनदीप ने तबले पर हाथ फेरा तो तबले पर थिरकती उनकी उंगलियों को देख पिता को बेटे में भविष्य का उम्दा कलाकार नजर आ गया। फिर क्या था पवनदीप को संगीत के मुकाम पर पहुंचाने के लिए उन्होंने ऐड़ी चोटी का जोर लगा दिया। इंडियन आइडल-12 का विजेता बनने ही पिता की पहली ख्वाहिश पूरी हो गई। पवनदीप की प्राथमिक शिक्षा यूनिवर्सिटी सीनियर सेकेंडरी स्कूल चम्पावत से और स्नातक की शिक्षा कुमाऊं विश्व विद्यालय नैनीताल से हुई है। बचपन से ही उनकी रूचि संगीत में थी। और उनकी इसी रूचि को देखते हुए उनके पिता ने उन्हें संगीत की ट्रेनिंग देनी शुरू की।
पवनदीप को संगीत का माहौल विरासत में मिला है। उनकी माता सरोज राजन, बड़ी बहन चांदनी राजन एवं छोटी बहन ज्योति दीप राजन भी सुरीली आवाज की धनी हैं। छोटी बहन ज्योति दीप राजन भी कुमाऊंनी गीतों के क्षेत्र में अपना लोहा मनवा चुकी हैं। पवनदीप को बचपन से ही गिटार, तबला, पियानो के साथ ढोलक जैसे कई संगीत वाद्य यंत्र बजाना पसंद रहा है। वर्ष 1998 में जब पवनदीप राजन की उम्र मात्र दो साल थी तभी से इनकी उंगलियां तबले पर थिरकने लगी थी। तब चम्पावत में आयोजित कुमाऊं महोत्सव में पवनदीप ने अपना स्टेज कार्यक्रम प्रस्तुत कर अपनी विलक्षण प्रतिभा का एहसास दर्शकों को करा दिया था।
कम लोग जानते हैं कि संगीत के बड़े पुरस्कार जीतने से पहले पवनदीप दूरदर्शन और जी टीवी उनके तबला वादन का प्रसारण कर चुका है। इंडियन ऑइडल के 12वां सीजन जीतने से पहले पवनदीप राजन वर्ष 2015 में वॉइस ऑफ इंडिया का खिताब भी अपने नाम कर चुके हैं। मार्च 2020 में लॉकडाउन के दौरान उन्होंने अपने स्वयं के यू ट्यूब चैनल पर बहुत सारे गीतों की रचना की तथा उनमें शूटिंग भी की। अब उन्होंने इंडियन आइडल का खिताब अपने नाम कर संगीत की दुनियां में एक और उपलब्धि हासिल कर ली है।
थाली में बजाई थी दादरा की ताल
पवनदीप राजन ने डेढ़ साल की उम्र में अचानक थाली पर दादरा की ताल बजाई थी। दो साल की उम्र में तबला वादन शुरू किया था। पवन दीप राजन को उत्तराखंड सरकार यूथ एंबेसडर के रूप में सम्मानित कर चुकी है। पवनदीप का यह खिताब उत्तराखंड केकलाकारों के लिए उम्मीद लेकर आया है। खासकर कुमाऊंनी कलाकारों के लिए पवनदीप प्रेरणास्रोत बन चुके हैं।