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बौद्ध थाती लोसर : आटे की होली से खिले चेहरे, आस्था संग परंपराओं का अटूट बंधन

खंपा समाज आज भी इस समाज के लोग दिलों में अपनी पुरानी परंपरा को संजोए हैं और युवा पीढ़ी को उससे रूबरू करा रहे हैं। समाज की आटे की होली का अपना अंदाज है और यह परंपरा भी विशिष्ट है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sat, 16 Feb 2019 02:05 PM (IST)Updated: Sat, 16 Feb 2019 08:45 PM (IST)
बौद्ध थाती लोसर : आटे की होली से खिले चेहरे, आस्था संग परंपराओं का अटूट बंधन
बौद्ध थाती लोसर : आटे की होली से खिले चेहरे, आस्था संग परंपराओं का अटूट बंधन

रजत श्रीवास्तव, हल्द्वानी। उत्तराखंड की माटी में आस्था के साथ परंपराओं का अटूट बंधन भी देखने को मिलता है। खंपा समाज को ही देखिए। आज भी इस समाज के लोग दिलों में अपनी पुरानी परंपरा को संजोए हैं और युवा पीढ़ी को उससे रूबरू करा रहे हैं। बौद्ध धर्म को मानने वाले खंपा समाज की आटे की होली का अपना अंदाज है और यह परंपरा भी विशिष्ट है। बौद्ध धर्म के अनुयायियों का इस होली से ही नया साल शुरू होता है। इस बार यह चार फरवरी से शुरू हुआ था और शुक्रवार 15 फरवरी तक चला। देश-विदेशों में बौद्ध धर्म के लोग इस तरह की होली मनाते हैं। होली से 15 दिन पहले ही आटे की बोरियां रख ली जाती है और इसके बाद पूजा-अर्चना के बाद सुबह से ही आटे की होली खेली जाती है। परंपरा के रंग घुली होली का अंदाज खुद में अनोखा है। खंपा समाज की होली का नाम लोसर है। जिसमें लो का अर्थ साल, सर का अर्थ नया होता है। इसलिए इसको नए साल की होली यानि लोसर कहते हैं।

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इसलिए खेलते हैं आटे की होली

लोगों को अब तक आपने गुलाल लगाकर होली खेलते देखा है, मगर खंपा समाज के लोग सूखे आटे को गालों पर मलकर होली खेलते हैं। मान्यता है कि आटे का रंग सफेद होता है और सफेद शांति का प्रतीक है। ऐसे में शांति के साथ प्रेम का संदेश देना होली का मकसद है। हल्द्वानी में आवास विकास के बौद्ध मठ में यह होली खेली जाती है।

रंगों का भी अलग है संदेश

मठ में लगे रंग-बिरंगे झंडो का भी अलग संदेश है। मान्यता है कि पांच रंगों में नीला आसमान को दर्शाता है। सफेद बादल को, लाल वायु, हरा हरेला और पीला जमीन को माना जाता है। इससे संदेश मिलता है कि यह प्रकृति हर विपत्ति से बचाती है। मठ में लगे झंडों पर मंत्र भी लिखे गए हैं।

बौद्ध मठ कमेटी के अध्यक्ष आनंद सिंह खंपा ने बताया कि आटे की होली से नए साल और होली की शुरुआत होती है। सूखे आटे को उड़ाकर और गालों पर लगाकर लोग होली मनाते हैं। उत्तराखंड में ही नहीं विदेश में रहने वाले समाज के लोग इसे उल्लास के साथ मनाते हैं।

होली खेलकर मनाया नया साल

खंपा समाज ने बौद्ध मठ में शुक्रवार को आटे की होली खेलकर नया साल मनाया। वहीं, देर शाम उन्होंने पुलवामा में हुए आतंकी हमले की निंदा कर आक्रोश व्यक्त किया। सुबह करीब 11 बजे से पूजा हुई। इसके बाद सभी ने आटे को उड़ाकर और एक-दूसरे के चेहरों पर लगाकर बधाई दी। इस मौके पर लोटो, प्रेम सिंह, पूर्व प्रधान शेर सिंह, खड़क सिंह, शेख, कुंगा, शोभा, प्रेमा, प्रेम्बा आदि मौजूद रहे।

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