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World TB Day 2021 : नवाबों की जमीन पर अंग्रेजों ने बनाया था टीबी अस्पताल, भवाली की आबोहवा टीबी मरीजों के लिए थी वरदान

World TB Day 2021 कभी एशिया की पहचान था भवाली सेनिटोरियम। देवदार के वृक्षों से घिरे इस क्षेत्र की आबोहवा आमजन ही नहीं क्षय रोगियों के लिए भी वरदान थी। अंग्रेजों ने ही इस जगह की अहमियत समझी और बना दिया गया क्षय रोग अस्पताल यानी भवाली सेनिटोरियम।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Wed, 24 Mar 2021 09:44 AM (IST)Updated: Wed, 24 Mar 2021 09:44 AM (IST)
World TB Day 2021 : नवाबों की जमीन पर अंग्रेजों ने बनाया था टीबी अस्पताल, भवाली की आबोहवा टीबी मरीजों के लिए थी वरदान
World TB Day 2021 : नवाबों की जमीन पर अंग्रेजों ने बनाया था टीबी अस्पताल

भवाली (नैनीताल), विनोद कुमार : World TB Day 2021 : कभी एशिया की पहचान था भवाली सेनिटोरियम। देवदार के वृक्षों से घिरे इस क्षेत्र की आबोहवा आमजन ही नहीं, क्षय रोगियों के लिए भी वरदान थी। अंग्रेजों ने ही इस जगह की अहमियत समझी और रामपुर के नवाब से जमीन लेकर बना दिया गया क्षय रोग अस्पताल यानी भवाली सेनिटोरियम। देश-विदेश से यहां मरीज इलाज को पहुंचने लगे। पूर्व पीएम पंडित जवाहर लाल नेहरू की पत्नी कमला नेहरू भी क्षय रोग (टीबी) के इलाज के लिए 65 दिन सेनिटोरियम में रही थी। उन्हें देखने पंडित नेहरू भी यहां पहुंचे थे।

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अंग्रेजों ने रामपुर नवाब से ली थी 225 एकड़ भूमि

ब्रिटिशकाल में ही 1912 में टीबी हॉस्पिटल सेनिटोरियम की स्थापना हुई थी। संयुक्त प्रांत उत्तर प्रदेश के आगरा व अवध के लोगों ने ङ्क्षकग एडवर्ड सप्तम की स्मृति में अस्पताल बनाया। अस्पताल में उपलब्ध रिकार्ड के मुताबिक यह भूमि रामपुर नवाब हामिद अली खां की थी। अंग्रेजों के अनुरोध पर रामपुर नवाब ने 225 एकड़ भूमि सेनिटोरियम के लिए दे दी। आज भी इस जगह पर नवाब की कोठी तो है, लेकिन खंडहर हो चुकी है। 

देवदार व चीड़ के पेड़ों की हवा में औषधीय गुण

नैनीताल जिले में स्थित भवाली का यह स्थल समुद्र तल से 6000 फीट ऊंचाई पर है। यहां का मौसम स्विट्जरलैंड की तरह है। चीड़, बांज, देवदार और बुरांश से आच्छादित यह जगह टीबी रोगियों के लिए वरदान मानी जाती है। सात साल तक सेनिटोरियम में तैनात रहे मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी के एसोसिएट प्रोफेसर डा. डीसी पुनेरा कहते हैं, तब दवाइयां नहीं थी। सर्जरी ही इलाज था। दूसरा टीबी रोगियों के लिए पौष्टिक भोजन व शुद्ध वातावरण बेहद जरूरी था। मरीजों के लिए यह बेहतरीन जगह थी और आज भी है। 

कमला नेहरू के अलावा तमाम हस्तियों ने कराया इलाज

सेनिटोरियम रिकार्ड के अनुसार कमला नेहरू 10 मार्च 1935 से 15 मई 1935 तक भर्ती रही थी। इस दौरान पंडित नेहरू 15 मार्च, 1 अप्रैल, 5 अप्रैल, 1 मई व 14 मई को उनसे मिलने आए थे। इसके अलावा सर कैलाश नाथ काटजू, महान साहित्यकार यशपाल, उत्तर प्रदेश के तत्कालीन सीएम संपूर्णानंद की पत्नी, शौकत अली बंधु, उन्नाव के क्रांतिकारी गया प्रसाद शुक्ला, नैनीताल के एमएलसी बिहारीलाल आदि हस्तियां भी इलाज करा चुकी हैं।

378 बेड का अस्पताल 72 बेड में सिमटा 

1912 में 378 यह बेड का अस्पताल था। शुरुआत में सब अच्छा चला, लेकिन पिछले कई वर्षों से अस्पताल बदहाली के कगार में पहुंच गया। इस समय 72 बेड में सिमट गया है। 22 मरीज भर्ती हैं। 11 डाक्टरों के पद स्वीकृत हैं। इसमें से भी सिर्फ चार कार्यरत हैं। 

नाम बदला, लेकिन नहीं बदली सूरत

उत्तराखंड सरकार ने 27 अक्टूबर 2006 को इसका नाम स्वर्गीय कमला नेहरू चेस्ट इंस्टीट््यूट भवाली कर दिया। 2006 व 2007 के बीच कई उपकरण भी खरीदे। इसमें सीटी स्कैन, अल्ट्रासाउंड, माइक्रोस्कोप, एलाइजा सिस्टम रीडर इत्यादि शामिल थे। 2008 में इसे आयुष ग्राम के लिए चुना गया। 2016 मेंं मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल बनाने के लिए प्रस्ताव तैयार हुआ। इसके लिए हाई कोर्ट ने भी आदेश दिया। आज भी कुछ नहीं हुआ। कार्यवाहक अधीक्षक डा. रजत भट्ट कहते हैं, पर्याप्त बजट मिले तो अस्पताल की दशा सुधर सकती है। 

नेताजी भी पहुंचे थे भवाली सेनिटोरियम

भारत की तमाम हस्तियों में नेताजी सुभाष चंद्र बोस भी भवाली सेनिटोरियम में इलाज के लिए पहुंचे थे। इसका उल्लेख सेनिटोरियम के रिकार्ड में भी है। प्रसिद्ध इतिहासकार प्रो. अजय रावत ने भी अपनी पुस्तक पॉलिटिकल हिस्ट्री ऑफ उत्तराखंड फ्रॉम स्टोन एज टू 1949 में इसका जिक्र किया है। पुस्तक में प्रो. रावत उल्लेख करते हैं, उन्हें क्षय रोग के इलाज की सलाह दी गई थी। तब देश में टीबी इलाज के लिए अस्पताल नहीं थे। 1927 में नेताजी भी सेनिटोरियम में इलाज को पहुंचे थे।

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