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उत्तराखंड व यूपी के बॉर्डर से सटे इलाकों में तांडव मचाने वाले दोनों टस्कर हाथी अब काबू में, जानिए

उत्तराखंड व यूपी के बॉर्डर से सटे इलाकों में तांडव मचाने वाले दो टस्करों को 15 दिन की कड़ी मेहनत के बाद गुरुवार को पीलीभीत टाइगर रिजर्व की तरफ रवाना कर दिया गया।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Fri, 19 Jul 2019 09:21 AM (IST)Updated: Fri, 19 Jul 2019 09:21 AM (IST)
उत्तराखंड व यूपी के बॉर्डर से सटे इलाकों में तांडव मचाने वाले दोनों टस्कर हाथी अब काबू में, जानिए
उत्तराखंड व यूपी के बॉर्डर से सटे इलाकों में तांडव मचाने वाले दोनों टस्कर हाथी अब काबू में, जानिए

हल्द्वानी, जेएनएन : उत्तराखंड व यूपी के बॉर्डर से सटे इलाकों में तांडव मचाने वाले दो टस्करों को 15 दिन की कड़ी मेहनत के बाद गुरुवार को पीलीभीत टाइगर रिजर्व की तरफ रवाना कर दिया गया। इसके लिए टस्करों को ट्रैंकुलाइज कर शांत करने के बाद क्रेन की मदद से इन्हें बड़े ट्रक में लादा गया। इस अभियान में यूपी-उत्तराखंड समेत पांच राज्यों के फॉरेस्ट अफसर जुटे थे। हाथियों के आबादी से दूर होने पर स्थानीय लोगों ने भी राहत की सांस ली।

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दो जुलाई को दो टस्करों ने रुद्रपुर में एक बच्चे की जान ले ली थी। इसके अलावा बहेड़ी व बिलासपुर में भी दो लोगों की जान ली थी। ये हाथी पीलीभीत के जंगल से भटकते हुए उत्तराखंड की सीमा में घुसे थे। इन्हें पकडऩे के लिए कॉर्बेट, वेस्टर्न सर्किल के दो डॉक्टर व वनकर्मियों को भी यूपी वन कर्मियों की मदद के लिए भेज गया। कई दिन बरेली के आसपास तलाश करने पर पता चला कि हाथी फिर से रामपुर सीमा की तरफ पहुंच गए हैं। बुधवार को रामपुर के मिल्क के पास हाथा नामक गांव में इन्हें पकड़कर डोज देकर शांत किया गया। इन्हें पहले अमानगढ़ टाइगर रिजर्व भेजने का प्लान था, मगर गुरुवार सुबह पीलीभीत टाइगर रिजर्व ले जाने का निर्णय लिया गया। इसके लिए बड़ी क्रेन व ट्रक मंगाए गए। यूपी, उत्तराखंड, कर्नाटक, आसाम व पश्चिम बंगाल से वन विभाग के अधिकारी व डॉक्टर भी पहुंचे। दुधवा पार्क से तीन हथिनियां भी लाई गईं। बुधवार शाम अंधेरा होने से टस्करों को लेकर जाना मुश्किल था। रातभर भारी संख्या में वनकर्मी इन पर नजर रखे हुए थे। गुरुवार सुबह नौ बजे क्रेन से दोनों ट्रकों में हाथियों को लादा गया। इसके बाद पीलीभीत से सटी नेपाल सीमा पर छोड़ दिया गया। अभियान में वनाधिकारी ललित वर्मा, गणेश भट्ट, डीएफओ रामपुर एके कश्यप, एसडीओ रामपुर वरुण सिंह, रेंजर महफूज अली आदि शामिल रहे।

बेहद मुश्किल अभियान

दो राज्यों के वनाधिकारियों की नींद उड़ाने वाले इन टस्करों को काबू करना वन विभाग के लिए चुनौती थी। आबादी व हाथियों दोनों की सुरक्षा का जिम्मा था। वहीं ट्रैंकुलाइज करने के लिए दवा का डोज ज्यादा होने पर यह घातक सिद्ध हो सकता है। इसी वजह से अलग-अलग जगहों से विशेषज्ञ चिकित्सकों को बुलाया गया। पीलीभीत टाइगर रिजर्व की तरफ ले जाने पर उत्तराखंड वन विभाग का डर भी खत्म हो गया। लगातार इनके वापस लौटने का अंदेशा बना हुआ था। 

पांच राज्यों की टीम जुटी थी 

डॉ. पराग मधुकर धकाते, वन संरक्षक वेस्टर्न सर्किल ने बताया कि पांच राज्यों की टीम इस मुश्किल अभियान में जुटी थी। कॉर्बेट व वेस्टर्न सर्किल के चिकित्सकों के अलावा वनकर्मी भी भेजे गए थे।


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