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हड्डी व तंत्रिका तंत्र को मजबूत बनाता है गहत का रस

गहत के रस के सेवन से हड्डियां मजबूत होती हैं और मस्तिष्क का तंत्रिका तंत्र भी दुरुस्त रहता है। पेट की कब्ज सही होती है तो ब्लड प्रेशर भी नियंत्रित होता है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sat, 23 Feb 2019 11:04 AM (IST)Updated: Sat, 23 Feb 2019 08:27 PM (IST)
हड्डी व तंत्रिका तंत्र को मजबूत बनाता है गहत का रस
हड्डी व तंत्रिका तंत्र को मजबूत बनाता है गहत का रस

किशोर जोशी, नैनीताल। अभी तक पर्वतीय क्षेत्र में उगने वाले गहत को पथरी रोग में रामबाण माना जाता था, अब ताजा शोध में पता चला है कि इसके रस के सेवन से हड्डियां मजबूत होती हैं और मस्तिष्क का तंत्रिका तंत्र भी दुरुस्त रहता है।

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पेट की कब्ज सही होती है तो ब्लड प्रेशर भी नियंत्रित होता है। गहत एंटीडायबिटिक, कार्डियो प्रोटेक्टिव, एंटी एलजाइमर भी है। इसके सेवन से उम्र ढलने पर भूलने की बीमारी भी कम होती है।

कुमाऊं विवि के डीएसबी परिसर जंतु विज्ञान विभाग के नेशनल पोस्ट डॉक्टर फैलो डॉ. नेत्रपाल शर्मा का गहत पर प्रकाशित शोध पत्र यूरोपियन जर्नल ऑफ फार्माक्यूटिकल एंड मेडिकल रिसर्च व इंटरनेशनल जर्नल ऑफ फार्माक्यूटिकल साइंस एंड रिसर्च, इंटरनेशनल जर्नल ऑफ साइंटिफिक रिसर्च में प्रकाशित हो चुका है। इसमें गहत के गुणकारी रहस्यों से पर्दा उठाया गया है। मुख्य शोधकर्ता प्रो. सतपाल बिष्टï के निर्देशन में मैदान के साथ ही नैनीताल के ओखलकांडा, अल्मोड़ा जिले के मारनौला व लमगड़ा, गढ़वाल के रानीचौरी, बागेश्वर के पिंगलकोट में उगने वाली गहत पर डीएसबी की प्रयोगशाला में शोध किया गया।

मोरनौला की काली गहत सर्वाधिक गुणकारी

शोध में पता चला है कि अल्मोड़ा जिले की मोरनौला में उगने वाली काली गहत में अन्य स्थानों की लाल गहत से दुगने गुण पाए गए। काली गहत में लाल से दुगने तत्व हैं। डॉ. शर्मा बताते हैं कि गहत या हार्सग्राम डीएनए बनाने में मदद करता है। रक्त के प्लाज्मा में थक्का बनाता है। थक्का किडनी में स्टोन निर्माण करता है तो गहत का रस स्टोन नहीं बनने देता। मतलब साफ है कि लगातार गहत के सेवन से पथरी की संभावना ही नहीं होगी। गहत का वनस्पतिक नाम माइक्रो टाइलोना यूनिफ्लोरम है। गहत को हॉर्सग्राम कहा जाता है। गहत में कैलशियम, बाइंडिंग प्रोटीन होता है।

सिमट रही है खेती

पर्वतीय क्षेत्र में मडुवे के साथ ही गहत की खेती की जाती है। पलायन की वजह से सिमटती खेती ने गहत उत्पादन में भी गिरावट आई है। अलबत्ता नेपाल सीमा से सटे चंपावत जिले के गांव, पनार घाटी से लगे गांव में उत्पादन अधिक होता है। शीत व बसंत ऋतु में इसका सेवन लोग अधिक करते हैं। मुख्य शोधकर्ता प्रो. सतपाल बिष्टï के अनुसार इस साल मई में गहत पर अध्ययन का शोध पत्र स्वीडन में होने वाली फार्मा यूरोप-2019 में प्रस्तुत किया जाएगा।

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