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नवरात्र में गूंजी 'नवदेवियों' की किलकारी, कहीं लक्ष्मी ने खोलीं आंखें तो कहीं बिराजी दुर्गा

बेटों की तरह बेटियां भी कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। समाज में लोगों को कई बार अपने हौसले से लोहा मनवाया है। ऐसे में अब सोच बदली है और तस्वीर भी।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Sun, 14 Apr 2019 10:40 AM (IST)Updated: Sun, 14 Apr 2019 10:40 AM (IST)
नवरात्र में गूंजी 'नवदेवियों' की किलकारी, कहीं लक्ष्मी ने खोलीं आंखें तो कहीं बिराजी दुर्गा
नवरात्र में गूंजी 'नवदेवियों' की किलकारी, कहीं लक्ष्मी ने खोलीं आंखें तो कहीं बिराजी दुर्गा

हल्द्वानी, रजत श्रीवास्तव : बेटों की तरह बेटियां भी कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। समाज में लोगों को कई बार अपने हौसले से लोहा मनवाया है। ऐसे में अब सोच बदली है और तस्वीर भी। बेटों से अधिक बेटियों के जन्म पर झलकती खुशी का अलग अहसास है। नवरात्र पर हल्द्वानी में 'नवदेवियों' के जन्म से घर रोशन हुए हैं। इस बार सरकारी और प्राइवेट अस्पतालों में 60 से अधिक बेटियों ने जन्म लिया है।

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सुशीला तिवारी अस्पताल

सुशीला तिवारी अस्पताल में नवरात्र पर बेटियों की किलकारी गूंजी है। यहां पांच से 13 अप्रैल यानी अष्टमी तक 50 कन्याओं ने सुरक्षित जन्म लिया है।

महिला अस्पताल

महिला अस्पताल में रोजाना महिलाओं की भीड़ लगी रहती है। नवरात्र की अवधि में यहां करीब 10 बेटियों ने आंखें खोली हैं।

कृष्णा हास्पिटल

कृष्णा हास्पिटल में भर्ती दो महिलाओं ने अष्टमी-नवमी के दिन बेटियों को जन्म दिया है। नवरात्र शुरू होने के बाद ये भर्ती हुई थीं, जिनकी शनिवार को डिलीवरी हुई।

लक्ष्मी रखेंगे बिटिया का नाम

भगवती जोशी, कालाढूंगी  ने बताया कि बेहद खुशी है कि मुझे नवरात्र में बेटी हुई है। दो दिन पहले ही प्रसव पीड़ा हुई थी। जब नर्स ने बताया कि बेटी हुई है, तभी सोच लिया था कि इसका नाम लक्ष्मी रखेंगे।

साक्षात लक्ष्मी ने लिया जन्म

मीना, बच्चीपुर, बेलपड़ाव ने कहा कि चार दिन पहले एसटीएच में भर्ती हुई थीं। नवरात्र का वक्त भी चल रहा है। ऐसे में बेटी का होना मतलब साक्षात लक्ष्मी ने जन्म लिया है।

दुर्गा रखेंगे बेटी का नाम

आंचल, धारचूला ने बताया कि बेटा हो या बेटी सभी ईश्वर का आशीष है। यह पल जरूर यादगार रहेंगे कि नवरात्र पर घर में बेटी ने जन्म लिया है। यह पल हमेशा याद रहे इसलिए बच्ची का नाम दुर्गा रखूंगी।

पांच दिन पहले हुई बेटी

रंजिता, दिनेशपुर का कहना है कि बेटी और बेटे में आजकल कोई भेद नहीं है। बेटियां परिवार का संबल होती हैं। पांच दिन पहले ही बेटी हुई तो खुशी का ठिकाना नहीं रहा।

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