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फि‍नलैंड में छाया हल्द्वानी का बायो डायवर्सिटी पार्क, जैव विविधता संरक्षण के प्रयासों को सराहा

उत्तराखंड वन अनुसंधान केंद्र हल्द्वानी के दुर्लभ प्रजातियोंं के संरक्षण के लिए किए जा रहे कार्यों की सराहना अब प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा भी की जाने लगी है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Fri, 12 Jun 2020 07:41 PM (IST)Updated: Sat, 13 Jun 2020 07:14 AM (IST)
फि‍नलैंड में छाया हल्द्वानी का बायो डायवर्सिटी पार्क, जैव विविधता संरक्षण के प्रयासों को सराहा
फि‍नलैंड में छाया हल्द्वानी का बायो डायवर्सिटी पार्क, जैव विविधता संरक्षण के प्रयासों को सराहा

नैनीताल, जेएनएन : उत्तराखंड वन अनुसंधान केंद्र हल्द्वानी के दुर्लभ प्रजातियोंं के संरक्षण के लिए किए जा रहे कार्यों की सराहना अब प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा भी की जाने लगी है। हल्द्वानी में विकसित उत्तराखंड के जैव विविधता वाले पार्क को फिनलैंड की बायो एकेडमी के निदेशक डॉ. लीसा ने सराहा है। उन्होंने इसे जैव विविधता संरक्षण की दिशा में किया गया महान प्रयास बताया है। 

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10 जून को फिनलैंड के प्रतिष्ठित संस्थान की ओर से फेसबुक पर डाले गए पोस्ट में उन्होंने लिखा है कि अनुसंधान केंद्र के निदेशक मुख्य वन संरक्षक संजीव चतुर्वेदी ने इस पार्क को विकसित कर जैव विविधता के संरक्षण के क्षेत्र में बड़ा कदम उठाया है। इस तरह के प्रयासों से वैश्विक स्तर पर जैव विविधता के संरक्षण की जिम्मेदारी तथा टिकाऊ विकास की अवधारणा को बल मिला है।

बता दें कि फीनलैंड का करीब दो तिहाई क्षेत्र वनों से आच्छादित है। वह जैव विविधता व वनों के संरक्षण में वैश्विक स्तर पर एक मॉडल के रूप में स्थापित है। फिनलैंड की बायो एकेडमी ने इस दिशा में कई वैज्ञानिक तकनीक विकसित की हैं, जिसमें प्रशिक्षण के लिए भारतीय वन सेवा के अधिकारियों को हर साल केंद्र सरकार की ओर से भेजा जाता है। 

एफटीआई में वनस्पतियों पर किया जा रहा रिसर्च  

एफटीआई हल्द्वानी स्थित केंद्र में लगातार वनस्पतियों पर रिसर्च किया जा रहा था। वन अनुसंधान केंद्र के संरक्षक संजीव चतुर्वेदी ने बताया कि बायो डायवर्सिटी पार्क में पांच सौ प्रजातियों का दीदार होगा। हिमालयी, जलीय से लेकर अन्य गुणों से युक्त वनस्पति इसमें शामिल होंगे।

अलग-अलग तरह की मिट्टी के सैंपल रखे गए

वनस्पतियों के संसार जानकारी से लोगों को रूबरू कराने के लिए म्यूजियम भी बनाया गया है। जिसमें उत्तराखंड की आठ अलग-अलग तरह की मिट्टी के सैंपल रखने के साथ यह भी बताया गया है कि कौन सी मिट्टी किस प्रजाति के लिए अनुकूल है। वहीं, आम लोगों के लिए कुछ समय बाद इसे खोला जाएगा।

पार्क में यह प्रजातियां शामिल

बायो डायवर्सिटी पार्क में वृक्ष व झाड़ी की 130 प्रजाति, मेडिकल गुण की 40 प्रजाति, कैक्टस 150 प्रजाति, आर्किट 12 प्रजाति, बांस 25 प्रजाति, पॉम 60 प्रजाति, जलीय वनस्पति 25 प्रजााति। इसके अलावा धार्मिक व ऐतिहासिक महत्व मिलाकर पार्क में 45 थीम पर आधारित प्रजाति यहां मिलेगी। वन संरक्षक अनुसंधान संजीव चतुर्वेदी ने बताया कि तमाम रिसर्च और कड़ी मेहनत के बाद बायो डायवर्सिटी पार्क को तैयार किया गया है। 18 एकड़ में बना यह उत्तराखंड में सबसे बड़ा पार्क है। मैदान से लेकर हिमालयी वनस्पतियों को खोजने के साथ संरक्षण के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है।

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