adulterants on festivals त्योहारों पर मिलावटखोरों से रहें सावधान, इस तरह से खुद जांचें खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता
त्योहारी सीजन में मिलावटखोरी चरम पर होती है। मिलावटखोर खाद्य पदार्थों को लंबे समय तक ताजा रखने के लिए स्टार्च सोडा यूरिया डिटर्जेंट समेत कई केमिकलों का प्रयोग करते हैं।
भानु जोशी, हल्द्वानी। त्योहारी सीजन में मिलावटखोरी चरम पर होती है। जहां स्थानीय स्तर पर दूध, दही, घी, मावा, मिठाई आदि को ताजा व खुशबूदार बनाए रखने के लिए मिलावटखोर इसमें सिंथेटिक दूध, मैदा, वनस्पति घी, आलू, आरारोट मिलाते हैं, वहीं बड़े मिलावटखोर खाद्य पदार्थों को लंबे समय तक ताजा रखने के लिए स्टार्च, सोडा, यूरिया, डिटर्जेंट समेत कई केमिकलों का प्रयोग करते हैं। ऐसे में खरीदारी करते समय यदि थोड़ी सावधान रखी जाए तो ये हमारी सेहत के लिए बेहतर होगा। मिलावट हम चंद मिनटों में पकड़ सकते हैं, मगर इसके लिए परंपरागत के साथ ही वैज्ञानिक तरीकों का ज्ञान होना बेहद जरूरी है।
मिलावट से ये होंगे नुकसान
मिलावटी मावा व सिंथेटिक दूध के सेवन से फूड प्वॉयजनिंग हो सकती है। उल्टी-दस्त की भी शिकायत हो सकती है। किडनी व लीवर पर इसका बुरा असर पड़ता है। स्किन की बीमारी का खतरा भी बढ़ जाता है।
परंपरागत व वैज्ञानिक तरीकों से ऐसे पहचानें मिलावट
मावा : सिंथेटिक मावा पानी में मिलाकर फेंटने पर टुकड़ों में बंटकर अलग हो जाता है। शुद्ध मावा पतला होकर पानी में घुल जाएगा और एक जैसा रहेगा। मावा लेते वक्त उसे उंगलियों से मसल के देखें। यदि दानेदार है तो मिलावटी हो सकता है। वहीं, फिल्टर आयोडीन की दो-तीन बूंद डालने पर यदि मावा काला पड़ जाए तो समझ लें कि यह मिलावटी है।
दूध : दूध में डिटर्जेंट, पानी व सिंथेटिक दूध भी मिलाया जाता है। आधा कप दूध में आधा कप पानी मिलाने पर यदि झाग निकले तो समझें डिटर्जेंट मिलाया गया है। वहीं उंगलियों के बीच मसलने पर साबुन जैसा लगे तो यह सिंथेटिक दूध हो सकता है।
चांदी का वर्क : अधिकांश मिठाइयों के ऊपर चांदी का वर्क मिठाई की शोभा बढ़ाता है। लेकिन नकली वर्क स्वास्थ्य खराब कर सकता है। चांदी के वर्क को हथेली में मसलने से यदि वह कठोर हो जाता है तो नकली है।
घी : देसी घी में आलू, आरारोट व रिफाइंड तेल भी मिलाया जाता है। घी में थोड़ी मात्रा में आयोडीन सोल्यूशन मिलाने पर यदि रंग नीला हो जाता है तो ये घी में स्टार्च का होना दर्शाता है। यानी घी में आलू मिलाया गया है।
मिठाई : ज्यादा रंगीन व चमकदार मिठाइयों में सिंथेटिक तत्व या केमिकल मिला हो सकता है। टिंचर आयोडीन की पांच-छह बूंदें व चीनी के पांच-छह दाने डालकर गरम करने पर यदि मिठाई का रंग नीला हो जाता है तो वह मिलावटी है।
मिल्क टेस्टिंग किट भी कारगर
दूध में मिलावट की जांच के लिए मिल्क टेस्टिंग किट का उपयोग किया जा सकता है। यह मेडिकल स्टोर व सर्जिकल स्टोर में दो से ढाई हजार रुपये कीमत का मिलेगा। इसके अलावा लेक्टोमीटर से भी गुणवत्ता जांची जा सकती है। खाद्य सुरक्षा अधिकारी कैलाश चंद्र टम्टा ने बताया कि स्थानीय स्तर पर की जाने वाली मिलावट की जांच के लिए कुछ हद तक परंपरागत तरीकों का इस्तेमाल किया जा सकता है। लेकिन अधिकतर में केमिकल या अन्य उपकरणों की जरूरत पड़ती है।
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