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कोरोना काल में और निखर गई उत्तराखंड के स्विट्जरलैंड की खूबसूरती, शुरू होंगी पर्यटन गतिविधियां

लॉकडाउन के बाद प्रसिद्ध पर्यटक स्‍थल कौसानी में पर्यटकों की आवाजाही पर पूरी तरह बंद है। महात्‍मा गांधी के अनाशक्ति आश्रम समेत अन्य स्थान विरान पड़े हैं।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Mon, 31 Aug 2020 10:35 AM (IST)Updated: Mon, 31 Aug 2020 10:35 AM (IST)
कोरोना काल में और निखर गई उत्तराखंड के स्विट्जरलैंड की खूबसूरती, शुरू होंगी पर्यटन गतिविधियां
कोरोना काल में और निखर गई उत्तराखंड के स्विट्जरलैंड की खूबसूरती, शुरू होंगी पर्यटन गतिविधियां

बागेश्वर, जेएनएन : लॉकडाउन के बाद प्रसिद्ध पर्यटक स्‍थल कौसानी में पर्यटकों की आवाजाही पर पूरी तरह बंद है। महात्‍मा गांधी के अनाशक्ति आश्रम समेत अन्य स्थान विरान पड़े हैं। वाहनों की आवाजाही कम होने और इस वर्ष जंगलों में आग नहीं लगने से इस बार कौसानी की सुदंरता पूरी तरह निखर आई है। हिमालय का विहंगम दृश्य पर्यटकों के दीदार को इंतजार कर रहा है। जब आजादी की लड़ाई का समय था, तब‍ बापू ने यहां आकर अलख जगाई थी। लड़ाई अब भी और यह कोरोना से है। इस जंग को जीतने के लिए लॉकडाउन के बाद कौसानी में पर्यटन व्यवसाय को आगे बढ़ाने के लिए पुरजोर व ठोस पहल शासन-प्रशासन के स्‍तर पर होनी है। कारोबारियों को नए सिरे से इस पर्यटक स्‍थली को खड़ा करना होगा। कोरोना संक्रमण के चलते हुए लॉकडाउन का असर जिले के विख्यात पर्यटक स्थलों, ट्रैकिंग रूटों पर भी पड़ा है।

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गांधी के सपनों का मिनी स्विट्जरलैंड

महात्मा गांधी के सपनों का मिनी स्विट्जरलैंड है कौसानी। उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में 6,075 फुट से अधिक की ऊंचाई पर बसा है खूबसूरत हिल स्टेशन कौसानी। कहीं-कहीं इसे कुमाऊं का स्वर्ग भी कहते हैं. कौसानी पहुंचकर आपको हिमालय की चोटियों का 350 किलोमीटर फैला नजारा एक ही जगह से देखने का मौका मिलता है। सीढ़ीदार पहाड़ी धान के खेतों और हरे-भरे ऊंचे-ऊंचे देवदार के घने जंगलों के बीचों बीच रुद्रधारी फॉल्स कमाल की खूबसूरती संजोए है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक यह आदि कैलाश है। यहीं भगवान शिव और विष्णु का वास था। यहां आने-जाने का रास्ता कठिन नहीं है। कौसानी के पास 12 किलोमीटर ट्रेकिंग करते-करते भी यहां पहुंच सकते हैं। ठंडे पानी का झरना काफी ऊंचाई से गिरता है।

अनासक्ति आश्रम में लिखी थी अनासक्ति योग किताब

अनासक्ति आश्रम को ही गांधी आश्रम के नाम से जानते हैं. बताया जाता है कि 1929 के आसपास महात्मा गांधी आश्रम में दो हफ्ते रहे थे। इसी दौरान, उन्होंने 'अनासक्ति योग' पर एक किताब लिखी थी. आश्रम के एक हिस्से में म्यूजियम भी है। इसके अलावा यहां चाय के बागान करीब 210 हेक्टेयर एरिया में फैले हैं। चाय पीने के शौकीनों के लिए तो कमाल की जगह है। यहां किस्म-किस्म की चाय पत्तियां उगाई जाती हैं. यहां की बेस्ट चाय पत्ती 'गिरियास टी' की खेती भी यहां होती है। इसके अलावा ऑर्गैनिक टी भी मिलती है।

कैसे पहुंचे कौसानी

दिल्ली से कौसानी सड़क मार्ग से जुड़ा है और इसकी दूरी करीब 410 किलोमीटर है। दिल्ली से कौसानी पहुंचने में करीब 9-10 घंटे का वक्त लगता है। नैनीताल से कौसानी 120 किलोमीटर दूर है। जबकि अल्मोड़ा से इसकी दूरी सिर्फ 50 किलोमीटर है। कौसानी का नजदीकी एयरपोर्ट पंत नगर है। हालांकि, एयरपोर्ट भी करीब 180 किलोमीटर दूर है। नजदीकी रेलवे स्टेशन काठगोदाम है, जहां से अल्मोड़ा होकर कौसानी की दूरी 140 किलोमीटर के आसपास है।

सितंबर के बाद लगेंगे पर्यटन को पंख

15 सितंबर से 15 नवंबर तक चलने वाले वर्ष के दूसरे पर्यटन सीजन से पर्यटक कारोबार को पंख लगने की उम्मीद है, लेकिन मौजूदा हालात को देखते हुए कुछ कह पाना संभव नहीं है। होटल ऐसोसिएशन के अध्यक्ष बलवंत सिंह नेगी ने बताया कि अधिकतर होटल पर्यटकों के कारण ही चलते हैं।

लॉकडाउन के कारण पर्यटन व्यवसाय प्रभावित

जिला पर्यटन अधिकारी बागेश्वर कीर्ति चंद्र आर्या ने बताया कि लॉकडाउन के कारण पर्यटन व्यवसाय खासा प्रभावित हुआ है। पर्यटन विभाग को करीब डेढ़ करोड़ का नुकसान हुआ है। सितंबर से शुरू होने वाले वर्ष के दूसरे पर्यटन सीजन से उम्मीदें बरकरार हैं। कौसानी विश्व प्रसिद्ध है और वहां पर्यटकों का आना जाना जल्द शुरू होगा।


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