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जिम कॉर्बेट पार्क में भालुओं की भी मौजूदगी, ट्रैप कैमरों में कैद तस्वीरों से की जाएगी गणना

बाघ बाहुल्य कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में भालुओं की भी मौजूदगी है। अब 12 साल बाद इनकी भी संख्या का पता लगाया जाएगा।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Thu, 10 Sep 2020 09:36 AM (IST)Updated: Thu, 10 Sep 2020 09:36 AM (IST)
जिम कॉर्बेट पार्क में भालुओं की भी मौजूदगी, ट्रैप कैमरों में कैद तस्वीरों से की जाएगी गणना
जिम कॉर्बेट पार्क में भालुओं की भी मौजूदगी, ट्रैप कैमरों में कैद तस्वीरों से की जाएगी गणना

रामनगर, जेएनएन : बाघ बाहुल्य कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में भालुओं की भी मौजूदगी है। अब 12 साल बाद इनकी भी संख्या का पता लगाया जाएगा। इसके लिए बाघ गणना के लिए जंगल में लगाए गए कैमरों में कैद भालुओं के डाटा का विश्लेषण शुरू कर दिया गया है।

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कॉर्बेट टाइगर रिजर्व प्रशासन ने वर्ष 2008 में यहां भालुओं की संख्या का आकलन किया था। तब पार्क में इनकी संख्या बहुत कम थी। उसके बाद से भालुओं की संख्या की कोई नई जानकारी विभाग को नहीं है। कॉर्बेट मेें बिजरानी रेंज, ढेला व झिरना में भालुओं की मौजूदगी दिखती रही है। इस बार कॉर्बेट प्रशासन की ओर से बाघों की गणना के लिए जंगल में कैमरे लगाए गए थे। इनमें बाघों के साथ ही भालुओं की भी तस्वीरें कैद हुई हैं। ऐसे में कॉर्बेट प्रशासन ने भालुओं की भी गणना का निर्णय लिया है। कॉर्बेट के पार्क वार्डन आरके तिवारी ने बताया कि भालुओं की गिनती अलग से नहीं की गई है। बाघों की गिनती के दौरान कैमरे में भालुओं की तस्वीरें मिली हैं, उसी आधार पर उनकी संख्या का पता लगाया जा रहा है।

उत्तराखंड में भालू की अच्छी खासी संख्या है। ये ज्यादातर उच्च हिमालयी क्षेत्रों में पाए जाते हैं। अवैध शिकार के कारण इनके संरक्षण के लिए खतरा पैदा हाे गया है। सुदूरवर्ती इलाकों में भालू के शिकार में भरवा बंदूकों (पुराने समय की इन बंदूकों को अवैध घोषित किया जा चुका है।) का शिकारी इस्तेमाल करते हैं। ये हथियार शिकारी घरों में नहीं, बल्कि जंगलों में ही छिपाकर रखे जाते हैं। उच्च हिमालयी क्षेत्रों में होने वाली बर्फबारी और पित्त की थैली भालू के दुश्मन बन जाते हैं। बर्फबारी होने पर भालू निचले इलाकों में आते हैं, जहां शिकारी पीत्त के लिए उसका शिकार करते हैं। विदेशों में स्वास्थ्यवर्धक दवा बनाने में प्रयुक्त होने वाला भालू का पीत्त गोल्ड रेट पर बिकता है।


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