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सीट बेल्ट से 50 फीसद और हेलमेट 75 फीसद कम हो जाता है जान का खतरा

वाहन में यात्रा करते समय चालक, बगल व पीछे बैठे सदस्यों का सीट बेल्ट नहीं पहनना काफी खतरनाक हो सकता है। हादसे के समय झटका लगने से या छिटकने से जनहानि का खतरा काफी बढ़ जाता है।

By Skand ShuklaEdited By: Published: Wed, 14 Nov 2018 04:54 PM (IST)Updated: Wed, 14 Nov 2018 04:54 PM (IST)
सीट बेल्ट से 50 फीसद और हेलमेट 75 फीसद कम हो जाता है जान का खतरा
सीट बेल्ट से 50 फीसद और हेलमेट 75 फीसद कम हो जाता है जान का खतरा

हल्द्वानी (जेएनएन) : वाहन में यात्रा करते समय चालक, बगल व पीछे बैठे सदस्यों का सीट बेल्ट नहीं पहनना काफी खतरनाक हो सकता है। हादसे के समय अचानक झटका लगने से या छिटकने से जनहानि का खतरा काफी बढ़ जाता है। विशेषज्ञ मानते हैं कि सीट बेल्ट पहनने से चालक की जान जाने का खतरा 40 से 50 फीसद तक कम हो जाता है। जबकि पीछे बैठे सदस्यों की जान जाने का खतरा 25 से 75 फीसद तक कम हो जाता है। वहीं, दोपहिया वाहनों के दुर्घटनाग्रस्त होने पर 75 फीसद मौतों का कारण चालक व सवार व्यक्ति के सिर पर चोट लगना है। हेलमेट पहनने से सिर पर गंभीर चोट लगने का खतरा काफी कम हो जाता है।

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सीट बेल्ट पहनने पर ही खुलता है एयरबैग

वाहन चलाते समय सीट बेल्ट पहनने पर ही हादसे के वक्त एयरबैग खुलता है। विशेषज्ञों के मुताबिक हादसे के बाद एयरबैग खुलने की रफ्तार 300 किमी प्रति घंटे से भी अधिक होती है। एयरबैग खुलने के लिए कार में लगे सेंसर पर दबाव पडऩा जरूरी है। विशेषज्ञों के मुताबिक सीट बेल्ट के सेंसर से जुड़े होने से तेजी से दबाव पड़ता है और एयरबैग खुल जाते हैं। जबकि सीट बेल्ट नहीं पहनने से कई बार सेंसर पर दबाव कम पड़ता है और वह नहीं खुलते हैं।

सिर का सुरक्षा कवच बनता है हेलमेट

दोपहिया वाहन चालक व सवार व्यक्ति को हेलमेट अनिवार्य रूप से पहनना चाहिए। हादसे के समय हेलमेट सुरक्षा कवच के रूप में काम करता है। हेलमेट के बाहर का कवच सिर को बचाता है। जबकि भीतर की ओर लगा मुलायम कपड़ा व फॉम आदि सिर के झटके को कम कर कम चोट पहुंचने देता है। चिकित्सकों के मुताबिक हमारे शरीर को सबसे अधिक खतरा सिर की चोट से होता है। दुर्घटना में अन्य अंगों का नुकसान आपको जीने की मोहलत देता है, लेकिन सिर पर गहरा जख्म लगने पर जान जाने का खतरा रहता है।

आइएसआइ हेलमेट के फायदे

सस्ता हेलमेट आपको पुलिस व परिवहन विभाग के चालान से तो बचा सकता है, लेकिन हादसे के समय ये आपकी जान के खतरे को कम नहीं करेगा। जागरूकता के कई कार्यक्रम चलने व चालान के बावजूद अधिकांश लोग हेलमेट पहनने से कतराते हैं। सख्ती पर वह सस्ता हेलमेट पहनकर वाहन चलाना व बैठकर आना-जाना करते हैं। जबकि आइएसआइ मार्का हेलमेट काफी मजबूत होने के साथ ही आरामदायक होता है। इसका वजन सस्ते हेलमेट की तुलना में कम होता है। इससे यह हादसे में सिर को सुरक्षित रखने के साथ ही वजनी हेलमेट पहनने से शरीर में होने वाली समस्याओं को भी रोकता है। आइएसआइ मार्का हेलमेट को आसानी से धो भी सकते हैं।

 

बाजार में आसानी से मिल रहे अच्छे हेलमेट

इस समय मार्केट में स्टीलबर्ड, स्टड्स, रेंगलर आदि प्रतिष्ठित कंपनियों के हेलमेट उपलब्ध हैं। जिनकी कीमत 800 से 3000 रुपये तक है। डेढ़ से दो हजार कीमत के हेलमेट भी सिर को सुरक्षित रखने में काफी कारगर साबित होते हैं। हल्द्वानी में सीपीयू व पुलिस की सख्ती के बाद लोगों ने हेलमेट पहनना काफी हद तक शुरू कर दिया है। हालांकि अब भी अंदरूनी गलियों व लिंक मार्गों पर लोग हेलमेट पहनने से परहेज करते हैं।

बच्चे भी जरूर पहनें हेलमेट

दोपहिया वाहन में सवार बच्चों को भी अनिवार्य रूप से हेलमेट पहनना चाहिए। वरिष्ठ न्यूरो सर्जन डॉ. महेश शर्मा बताते हैं कि हादसे के समय बच्चे व्यस्क पुरुषों की अपेक्षा तेजी से छिटकते हैं। बच्चों की सिर की हड्डियां व नसें भी व्यस्क पुरुषों की अपेक्षा कमजोर होती हैं। जिससे हादसे के समय उनके सिर पर गंभीर चोट लगने व जान जाने का खतरा भी अधिक रहता है।

बच्चों को कार की अगली सीट पर न बैठाएं

कार चलाते समय बच्चों को अगली सीट पर बैठाना खतरनाक हो सकता है। क्योंकि बच्चों को सीट बेल्ट नहीं लग पाती है। चालक के तेज ब्रेक लगाने पर बच्चे आगे गिर सकता है। बच्चों को आगे के बजाय पिछली सीट पर बैठाना चाहिए। इसके साथ ही उसके बगल में जिम्मेदार व्यक्ति को बैठाया जाना चाहिए, जो सफर के दौरान बच्चे को पकड़कर रखे और झटका लगने पर सुरक्षित रखे।

कवच की तरह काम करते हैं सीट बेल्‍ट व हेलमेट

डॉ. महेश शर्मा, वरिष्ठ न्यूरो सर्जन, विवेकानंद हॉस्पिटल, हल्द्वानी ने बताया कि हेलमेट व सीट बेल्ट सुरक्षा कवच की तरह काम करते हैं। तकनीक के विकसित होने के साथ ही काफी तेज गति में चलने वाले वाहन सड़कों पर उतर रहे हैं। दुर्घटना के समय सिर पर चोट लगने से दिमाग में अचानक दबाव पड़ता है। इससे जान जाने का खतरा रहता है। जबकि हेलमेट व सीट बेल्ट इस दिमाग पर पडऩे वाले असर को कम कर देते हैं।

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